Goloka Dham Mystery: धरती पर युगों युगों से स्वर्गलोक और नरकलोक की चर्चा होती रही है। शास्त्रों में वर्णित है कि धर्म की राह पर चलने वाले लोगों को स्वर्गलोक और अधर्मी लोगों को नरकलोक मिलता है। लेकिन वेदों पुराणों में इन दोनों लोकों के अलावा शिवलोक, गौलोक, ब्रह्मलोक जैसे अन्य लोकों का उल्लेख भी मिलता है। इन सभी लोकों में से श्रीकृष्ण के गौलोक को बहुत ही सुंदर और शांत माना गया है।
माना जाता है कि जो व्यक्ति गौलोक पहुंच जाता है उसे जन्म मरण के बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। ग्रंथों के अनुसार, श्रीकृष्ण का गौलोक इतना सुंदर है कि स्वर्गलोक के देवता भी गौलाेक की सुंदरता पर मोहित हो जाते हैं। यह गौलोक बहुत ही अलौकिक और अनोखा है जहां श्रीहरि, अपने श्रीकृष्ण रूप में राधारानी के साथ विराजमान रहते हैं। आज इस लेख में हम श्रीकृष्ण के गौलोक की सुंदरता और उसकी भव्यता के बारे में चर्चा करेंगे।
गौलोक की सुंदरता का रहस्य

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, गीता में श्रीकृष्ण के गौलोक का रहस्य बताया गया है। धर्मग्रंथ गीता के अनुसार, गौलोक का आकार कमल की पंखुड़ियों के समान है। गौलोक को सभी लोकों का आधार माना गया है। इसके दक्षिण भाग में शिवलोक और उत्तर भाग में विष्णुलोक है। ब्रह्मसंहिता के अनुसार, गौलोक का अर्थ है “गायों का लोक”।
गौलोक में राधाकृष्ण गोपियों के साथ रहते हैं। श्रीकृष्ण एक ग्वाले थे और उन्हें गायों से बहुत अधिक स्नेह था। इसी कारण श्रीकृष्ण के लोक को गौलोक कहा गया है। श्रीकृष्ण के गौलोक को ही परमधाम माना गया है। क्योंकि यहां आने वाली हर आत्मा मोक्ष को प्राप्त कर सांसारिक जीवन से मुक्त हो जाती है।
गौलोक को साकेत धाम, परमधाम, सनातन आकाश, वृंदावन जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। सांसारिक मोह- माया से दूर इस धाम की सुंदरता की कल्पना वही इंसान कर सकता है जिसके मन में श्रीकृष्ण के लिए प्रेम और भक्ति हो। गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि “न तद्भासयते सूर्यो न शशांको न पावकः। यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम।” इस श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं कि “परमधाम न तो सूर्य या चन्द्रमा से, न ही अग्नि या बिजली से चमकता है। जो लोग यहां पहुंच जाते हैं वह इस भौतिक जगत में फिर कभी लौटकर नहीं आते हैं।” श्रीकृष्ण का गौलोक स्वयं श्रीकृष्ण की आभा से ही प्रकाशित है।

गर्ग संहिता और ब्रह्मसंहिता में गौलोक का बहुत ही सुंदर और अद्भुत चित्रण किया गया है। श्रीमद्भगवद गीता के अनुसार, गौलोक में शांत और सौम्य स्वभाव की गायें मिलती हैं। जिन्हें देखने से देवताओं के दर्शन जैसी अनुभूति होती है। चारों तरफ कल्पवृक्ष की हरियाली और कमल के फूलों से सजे हुए बगीचे हैं। हर तरफ बहते हुए झरनों की आवाज श्रीकृष्ण की बांसुरी से बजने वाले मधुर संगीत की तरह प्रतीत होती है। गोप- गोपियां, राधाकृष्ण के साथ मिलकर रास रचाते हैं।
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