Raavan
Raavan

Hindi Poem: लंकापति रावण था सबसे बलसाली
फिर भी न्याय पड़गया उसपे भारी ।।
स्वर्ण नगरीको वो बचा न पाया
दस सिर भी उसके काम न आया ।।
विजयादशमी याद दिलाती हे उसकि कहानी
कहानी जो आज भी नहीं हुई पुरानी ।।
हर घर में आज रावण है बस गया
अहंकार और घमंड का हो रहा बोलबाला ।।
संचार गति से सब ज्ञानी बन गए
अज्ञानी भी आज महाज्ञानी बन बैठे ।।
पुष्पक विमान जैसी आज की गाड़ी
छीनलेता सड़क पर चलनेकी आज़ादी ।।
मर्यादा आज घायल हो चुकी है
सही गलत की कोई पहचान नहीं है ।।
पुराने रावण में भी कुछ थी अच्छाई
आज के रावण में सिर्फ भरी बुराई ।।
अपना स्वार्थ रहता आज सबसे ऊपर
खून के रिश्ते भी नहीं आते नज़र ।।
पहले अपने मनसे अहंकार को हटाओ
फिर जाके तुम नकली रावणको जलाओ ।।
भगवान् राम कोई बन नहीं पायेगा
एक अच्छा इंसान ज़रूर हो जायेगा ।।
रावण को रावण ही रहने दो
उससे आज के रावण कुछ सीख लो ।।