Dussehra Shastra Puja
Dussehra Shastra Puja

Dussehra Shastra Puja: दशहरे का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। जैसी कि मान्यता है कि इसी दिन श्रीराम ने रावण का वध किया था। वहीं इस दिन से जुड़ी एक दूसरी मान्यता ये भी है कि इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। ऐसे में दशहरे का दिन अध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही इस दिन शस्त्र पूजा का भी प्रचलन है, मान्यता है कि दशहरे के दिन शस्त्र पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दशहरा आप भी शस्त्र पूजा कर लाभ उठा सकते हैं। चलिए आपको इसकी सही विधि और इससे जुड़ी परम्पराओं के बारे में बताते हैं।

प्राचीन काल से चली आ रही है ये परम्परा 

praacheen kaal se chalee aa rahee hai ye parampara
praacheen kaal se chalee aa rahee hai ye parampara

जी हां, शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, दरअसल हिंदू धर्म में शस्त्र और शास्त्र दोनों का ही बेहद महत्व है। आत्मसुरक्षा और धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र का प्रयोग होता रहा है। ऐसे में पुराने समय में राजा-महाराजा शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इसी दिन का चुनाव किया युद्ध के लिए किया करते थे। शस्त्र पूजन की परंपरा ये परम्परा पहले की तरह आज भी देश की तमाम रियासतों में कायम है।

शस्त्र पूजा की विधि

शस्त्र पूजन के लिए दशहरा के दिन सुबह उठकर स्नान ध्यान करें और उसके बाद घर पर जितने भी शस्त्र हैं उन पर पवित्र गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद शस्त्रों पर हल्दी या कुमकुम से तिलक लगाएं और उन्हे अक्षत और फल-फूल अर्पित करें।ध्यान रहे शस्त्र पूजा में शस्त्रो पर शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। वैसे दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने का विधान है।