Shashi with wife Jennifer
Shashi with wife Jennifer

Summary : शशि ने जेनिफर की मौत के बाद शादी नहीं की

शशि कपूर का मानना था कि जेनिफर जैसा कोई हो ही नहीं सकता, कैसे पैदा होता है आखिर ये यकीन, समझिए यहां...

Shashi Kapoor Love Story: बॉलीवुड की प्रेम कहानियां अक्सर फिल्मी अंदाज में बड़ी और रंगीन दिखाई जाती हैं, लेकिन कुछ कहानियां बेहद गहरी और लंबे समय तक चलने वाली होती हैं। इन्हीं में से एक है शशि कपूर और जेनिफर केंडल का प्यार। 18 मार्च 1938 को जन्मे इस मशहूर अभिनेता को उनकी अदाकारी और आकर्षण के लिए हमेशा याद किया जाता है। जब वे केवल 18 साल के थे, तभी उन्हें जेनिफर से प्यार हो गया। उस उम्र में जब ज्यादातर लोग अपने जीवन का रास्ता खोज रहे होते हैं, शशि पहले से ही पूरी तरह आश्वस्त थे कि वे जेनिफर के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहते हैं।

उनके माता-पिता, जिनमें उनके पिता और मशहूर अभिनेता पृथ्वीराज कपूर भी शामिल थे, बेटे के इस फैसले से हैरान रह गए। लेकिन शशि तैयार थे इंतजार करने के लिए। अपनी मौत से पहले एक पुराने इंटरव्यू में शशि ने उस पल को याद करते हुए कहा था , “जब मैंने पहली बार जेनिफर को देखा, तब मैं 18 साल का था। मैंने तुरंत कहा कि मैं उससे शादी करना चाहता हूं। मेरे माता-पिता चौंकते हुए बोले, ‘हे भगवान, 18 तो बहुत छोटी उम्र है।’ तब मैंने कहा, ‘ठीक है, मैं इंतजार कर लूंगा।’ मैंने दो साल इंतजार किया। फिर उन्होंने पूछा, ‘क्या तुम अब भी यही चाहते हो?’ मैंने कहा, ‘हां’ तब उन्होंने कहा, ‘ठीक है।’”

Shashi Kapoor Love Story
Shashi with Jennifer

सब कुछ अच्छे से चल रहा था, लेकिन अचानक सबकुछ टूट गया जब 7 सितंबर 1984 को जेनिफर का निधन हो गया। वे कोलन कैंसर से जूझ रही थीं। उसी इंटरव्यू में जब शशि कपूर से पूछा गया कि उन्होंने दोबारा शादी क्यों नहीं की, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैंने ऐसा कभी नहीं किया। क्यों? क्योंकि मैं कर ही नहीं सकता। मुझे पता है कि मैं नहीं कर सकता। मुझे कभी उससे बेहतर कोई नहीं मिल सकता। अब वैसे लोग बनते ही नहीं।” जब कोई इंसान अपने सबसे प्रिय साथी को खो देता है, तो दुख सिर्फ उस व्यक्ति की कमी का नहीं होता, बल्कि उस अद्वितीय भावनात्मक जुड़ाव के खो जाने का होता है, जिसे दोबारा पाना लगभग नामुमकिन लगता है। शशि कपूर का किस्सा दिखाता है कि कैसे किसी प्रिय की यादें समय के साथ और भी आदर्श रूप ले लेती हैं, जिससे “आगे बढ़ना” असंभव लगने लगता है।

मनोविज्ञान के जानकार बताते हैं  कि कभी-कभी इतनी जल्दी शादी करने की निश्चितता व्यक्ति की गहरी भावनात्मक परिपक्वता और युवावस्था की आदर्शवादी सोच, दोनों का मेल होती है। लेकिन इसका संतुलन उनकी जीवन की परिस्थितियों, आत्म-जागरूकता और रिश्ते की प्रकृति पर निर्भर करता है। जेनिफर की मौत तक सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन उनके जाने के बाद शशि कपूर का संसार बदल गया।

कभी-कभी जिस चीज को पाने के लिए इंसान को इंतजार करना पड़ता है, उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। रिश्तों में यह “इंतजार” कई मायनों में अहम साबित होता है –

  • गहरा भावनात्मक जुड़ाव – इंतजार की अवधि यह साबित कर देती है कि भावनाएं केवल क्षणिक नहीं बल्कि सच्ची और गहरी हैं।
  • ज्यादा संतुष्टि – शोध से पता चलता है कि ऐसे जोड़े, जिन्होंने शुरुआत में चुनौतियों का सामना किया (जैसे माता-पिता की झिझक), उनके रिश्ते और मजबूत और टिकाऊ बनते हैं।
  • स्थिरता – बहुत जल्दी लिए गए फैसले कभी-कभी गलत भी हो सकते हैं, लेकिन जो लोग धैर्य रखते हैं, वे शादी में ज्यादा स्पष्टता और विश्वास लेकर जाते हैं।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...