कमरे के बीचों बीच उसकी आग में झुलसी हुई लाश, जो आधी जल चुकी थी, एक सफेद चादर में ढकी हुई थी। वह जल चुकी थी, सांसें खत्म हो चुकी थीं, लेकिन उसकी आग से अनछुई रूह वहीं कमरे में एक कोने में बैठी मुस्कुरा रही थी। घरवालों की, लोगों की, रिश्तेदारों की बातें सुन रही थी। कई बहुत अफसोस कर रहे थे कि देखो, बेचारी जलकर मर गई।
Tag: Read Stories
Posted inहिंदी कहानियाँ
एंटी रैगिंग – गृहलक्ष्मी कहानियां
आसमान में लालिमा छाने लगी थी। उत्साह से भरे पंक्षी अनंत आकाश के विस्तार को नाप लेने के लिए अपने पंखों को फैला कर उड़ान भरने लगे थे। फर्राटा भरते वाहनों ने सड़कों के सूनेपन को मिटाना शुरू कर दिया था। सोया हुआ शहर जाग उठा था।
Posted inहिंदी कहानियाँ
खुला आकाश – गृहलक्ष्मी कहानियां
ट्रिन– ट्रिन हेलो कौन?
– नमस्ते भाईसाहब कैसे हैं?
ठीक हूं। तुम सुनाओ।
Posted inहिंदी कहानियाँ
समीकरण – गृहलक्ष्मी कहानियां
आसमां से विधाता भी अपनी इस कृति (इंसान) को देख निहाल हो रहा था। ‘विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक और आशावादी बने रहकर तू विजयी हो ही जाता है। धन्य है तू!