आसमान में लालिमा छाने लगी थी। उत्साह से भरे पंक्षी अनंत आकाश के विस्तार को नाप लेने के लिए अपने पंखों को फैला कर उड़ान भरने लगे थे। फर्राटा भरते वाहनों ने सड़कों के सूनेपन को मिटाना शुरू कर दिया था। सोया हुआ शहर जाग उठा था। मंजिल तक पहुंचने की आस में भीड़ सड़कों पर उमडऩे लगी थी। ताजगी और उत्साह से भरे लोग एक और दिवस को अपने अनुभव के खाते में गूंथने के लिए अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाने लगे थे।नमिता का भी मन उत्साह से भरा हुआ था, लेकिन उसके दिल के किसी कोने में एक अज्ञात सा भय भी समाया हुआ था। हर बीतते पल के साथ वह भय उसके उत्साह पर हावी होता जा रहा था। वह अपने मन को समझाने की कोशिश करती लेकिन उसकी घबराहट बढ़ती ही जा रही थी।’हैलो, हिमानी वो… दरअसल मैं सोच रही थी… कुछ सोच कर उसने हिमानी को फोन मिलाया पर अपनी बात पूरी न कर सकी।
‘नमिता, क्या बात है? इतनी परेशान क्यूं हो?हिमानी ने पूछा।’मैंन सुना है कि इंजीनियरिंग कालेज में नए स्टूडेंट्स की बहुत तगड़ी रैगिंग की जाती है। मुझे तो बहुत डर लग रहा है। मैं आज कालेज नहीं जा पाऊंगी। नमिता ने अपने अंदर का डर बाहर निकाला।’यह सब पुराने जमाने की बातें हैं। आजकल तो रैंगिंग को अपराध माना जाता है। बहुत सख्त कानून बन गए हैं जिन्हें तोडऩे वालों को तगड़ी सजा दी जाती है।हिमानी ने समझाया फिर बोली, ‘घबरा मत। मैं तुम्हारे घर आ जाती हूं, फिर साथ ही कालेज चलेंगे।ठीक है नमिता ने कहा।
नमिता और हिमानी पक्की सहेलियां थीं। संयोग से दोनों का एक ही इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन हुआ था। आज उनका कालेज जाने का पहला दिन था। नमिता ने कुछ दोस्तों से इंजीनियरिंग कालेज में होने वाली तगड़ी रैगिंग के बारे में सुन रखा, जिससे वह काफी घबरा रही थी।हिमानी की बात सुन उसे कुछ राहत मिली। उसने कबर्ड से हरे रंग का कढ़ाई वाला कुर्ता और सफेद शलवार निकाली। यह सूट उसने कुछ दिनों पहले ही सिलवाया था जिसे सभी ने बहुत पसंद किया था। थोड़ी ही देर में हिमानी आ गई। उसने काले रंग की शर्ट और खाकी ट्राउजर पहन रखा था, जिसमें बहुत स्मार्ट दिख रही थी।दोनों कालेज की ओर चल दीं। हिमानी रास्ते भर नमिता को समझाती रही जिससे धीरे-धीरे उसका डर दूर हो गया। कालेज के भीतर पहुंच कर वे अपने ब्लाक की ओर चल दीं।
तोता मैडम, जरा सुनिएगा तभी एक शरारत भरी आवाज सुनाई पड़ी।वे दोनों अपने रास्ते पर चलती रहीं। तभी एक कड़कती हुई आवाज सुनाई आई, ‘ऐ ब्लैक कैट, उर्फ बिल्लो मौसी, हम आप दोनों को ही बुला रहे हैं।अब तो शक की कोई गुंजाइश ही न थी। यह आवाजें उन दोनों के लिए ही थीं। उन्होंने अपनी चाल कुछ और तेज कर दी।अचानक दो लड़कों ने उनका रास्ता रोक लिया। एक लड़के ने कड़कते हुए कहा, ‘बॉस, आप दोनों को आवाज लगा रहे हैं। सुनती क्यूं नहीं।
‘लेकिन वे तो किसी तोता मैडम और ब्लैक-कैट को बुला रहे थे हिमानी ने हिम्मत जुटाते हुए कहा।’हरे कपड़ों में इनको तोता मैडम और काले
में आपको ब्लैक कैट उर्फ बिल्लो मौसी न कहा जाए तो क्या हंसनी और मैना कहा जाएगा। वह लड़का बेशर्मी से हंसा फिर बोला, ‘उधर चलिए
राजेश सर आप दोनों को बुला रहे हैं।अपनी तुलना तोता और बिल्ली से सुन दोनों की आंखें भर आईं मगर मजबूरी में न चाहते हुए भी
उन्हें उन लड़कों के साथ जाना पड़ा।थोड़ी ही दूरी पर राजेश दो और लड़कों के साथ बहुत अकड़ कर एक बेंच पर बैठा था। उन दोनों
को देख उसने कड़कते हुए पूछा, ‘आज कालेज में पहला दिन है? ‘यस सरहिमानी ने सिर हिलाया।’क्या आप लोगों को इतनी भी तमीज नहीं है कि
सीनियर्स को नमस्ते करें राजेश ने जोर से डपटा।
सॉरी सरहिमानी ने कहा फिर हाथ जोड़ दिए। उसकी देखा-देखी नमिता ने भी दोनों हाथ जोड़ कर सभी को नमस्ते की।’देखिए इस कालेज में रैंगिंग करना मना है इसलिए हम आप लोगों को छोड़े दे रहे हैं राजेश ने कहा।’थैंक्यू सर नमिता ने जल्दी से कहते हुए राहत की सांस ली वरना वह इतने में ही बुरी तरह घबरा गई थी।’आपके कोरे थैंक्यू का क्या हम अचार डालेंगे तोता मैडम? राजेश ने टोका।’जी नमिता अचकचा उठी।’आपकी रैगिंग नहीं होगी बस आप एक बार तोते की तरह टें टें टें… और आपकी सहेली साहिबा बिल्ली की तरह म्याऊं…म्याऊं करके दिखा दें। राजेश के साथ बैठे सुनील ने हुक्म सुनाया।
नमिता और हिमानी हड़बड़ा कर रह गईं। उनकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करें।’देखिये न तो हम कोई बदतमीजी करना चाहते हैं और न ही हमारे पास फालतू का टाइम है। अगर आप लोग यहां से जाना चाहती हं तो जो कहा गया है फटाफट करके दिखा दीजिए।Ó राजेश ने खड़े हो कर उन्हें घूरते हुए कहा।नमिता और हिमानी चुपचाप खड़ी रहीं। इस तरह सभी के सामने टें…टें… और म्याऊं…म्याऊं… करना आसान न था।’अगर आप लोगों ने हुक्म का पालन नहीं किया तो आप दोनों से तोते की तरह उडऩे और बिल्ली की तरह उछल-कूद करने का आईटम भी करवाया जाएगा। राजेश ने काट खाने वाले अंदाज में कहा।मरता क्या न करा। न चाहते हुए भी हिमानी को ‘म्याऊं…म्याऊं और नमिता को टें…टें… करना पड़ा।
वेरी गुड, राजेश ने ताली बजाई फिर बोला, ‘अब आप लोग जा सकती हैं। वे दोनों जाने के लिए मुड़ी ही थीं कि राजेश ने कहा, ‘एक मिनट ठहरिये।दोनों ठिठक कर रुक गईं तो उसने पूछा, लगता है आप दोनों इस कालेज में आने से पहले ही एक दूसरे से परीचित हैं।जी, हम लोगों ने इंटर तक की पढ़ाई एक साथ की है हिमानी ने बताया। ‘अरे वाह, पक्की सहेलियां हैं राजेश ने कहा फिर अपने एक साथी की ओर मुड़ते हुए बोला, ‘कुछ ऐसा करो जिससे पूरे कालेज को इनके दोस्ताना के बारे में पता चल जाए। ‘जो हुक्म बॉस विनोद ने सिर झुकाया फिर बोला, ‘आप दोनों अपना एक-एक हाथ रूमाल से बांध लीजिए और दूसरे हाथ से लेफ्ट-राइट, लेफ्ट-राइट करते हुए अपनी क्लास की तरफ जाइएयह सुन नमिता की तो हालत खराब हो गई, लेकिन हिमानी ने किसी तरह हिम्मत जुटाते हुए कहा, ‘हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? लोग क्या कहेंगे।
‘अगर आपने यह नहीं किया तो जरा सोचिए जब लेफ्ट-राइट के बजाय आपको कुकडू-कूं करके जाने का हुक्म दिया जाएगा तब लोग क्या कहेंगे? राजेश बेशर्मी से हंसा फिर बोला, ‘जल्दी कीजिए वरना हर बीतने वाले मिनट के साथ आप लोगों का टास्क बढ़ता जाएगा।मजबूरी थी। नमिता और हिमानी ने अपने-अपने रूमाल को आपस में बांध कर उसे लंबा किया फिर उससे अपने एक-एक हाथ को बांधा और लेफ्ट-राइट करती हुई चल दीं। शर्म के कारण दोनों की आंखें गड़ी जा रही थी। राजेश और उसेदोस्तों के ठहाके काफी देर तक उनका पीछा करती रहे।किसी तरह दोनों अपने ब्लाक में पहुंची। वहां से राजेश और उसके साथी दिखाई नहीं पड़ रहे थे। हिमानी ने जल्दी से अपने हाथों में बंधा रूमाल खोला और दांत पीसती हुई बोली, ‘रैगिंग करना अब पूरी तरह से प्रतिबंधित है। मैं इन सबकी शिकायत प्रिंसिपल से जरूर करूंगी।’रहने दो। हमारी रैगिंग हो गई और किस्सा
खत्म। हमें अब इसी कालेज में रहना है। सीनियर्स से पंगा लेने से कोई फायदा नहीं नमिता ने समझाया।
हिमानी उन सबकी शिकायत करना चाहती थी लेकिन नमिता ने किसी तरह समझा-बुझा कर उसे शांत कर लिया। दोनों अपनी क्लास की ओर जा ही रही थीं कि तभी एक लड़की दौड़ती हुई आई। वह बुरी तरह घबराई हुई थी और उसकी सांस धौकनी की तरह फूल रही थी।’क्या हुआ? तुम इतनी घबराई हुई क्यूं हो? हिमानी ने पूछा।’वे लोग रैंगिंग के नाम पर मुझसे डांस करने के लिए कह रहे थे। मैंने मना किया तो उन्होंने मेरा कुर्ता फाड़ दिया वह लड़की अपना दुपट्टा हटा फटा हुआ कुर्ता दिखा फफक पड़ी।’यह तो मर्यादा का अतिक्रमण है। इन्हें सबक सिखाना जरूरी है नमिता का शांत चेहरा अचानक ही तमतमा उठा और वह अपनी मुठ्ठियां भींचते हुए बोली।मैं तो पहले ही प्रिंसिपल से शिकायत करने के लिए कह रही थी लेकिन तुम ही मना कर रही थी हिमानी ने कहा। ‘मना कर रही थी लेकिन अब पानी सिर से गुजरने लगा है। लगता है इन लोगों की नजरों में हम लड़कियों की कीमत किसी खिलौने से ज्यादा नहीं है, जिससे जब चाहा, जैसा चाहा खेल लिया। आज उन्होंने एक लड़की का कुर्ता फाड़ा है अगर इन्हें रोका नहीं गया तो कल ये कुछ और कर सकते हैं नमिता ने एक-एक शब्द पर जोर देते हुए कहा। अब तब घबराए हुए उसके चेहरे पर कुछ कर गुजरने के चिह्नï नजर आने लगे थे। उसके चेहरे का भय पूरी तरह से सम्पात हो गया था।उस लड़की का नाम इंद्राणी था। तीनों प्रिंसिपल के कक्ष की ओर चल दीं।
प्रिंसिपल करीब 55 साल के सौम्य चेहरे वाले व्यक्ति थे। पूरी बात सुन उन्होंने कहा, ‘हमारे कालेज में रैगिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है। आप लोग अपनी क्लास में जाइए मैं राजेश को समझा दूंगा। ‘सर समझा दूंगा का क्या मतलब? राजेश और उसके साथियों को इसके लिए सजा मिलनी
चाहिए नमिता ने कहा।’ठीक है, मैं उन्हें सजा भी दे दूंगा। अब आप लोग अपनी क्लास में जाइए प्रिंसिपल ने शांत स्वर में कहा। नमिता को उनकी बात सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ। रैंगिंग एक संगीन अपराध था लेकिन प्रिंसिपल साहब उसे बहुत हल्के ढंग से ले रहे थे। उसने उनके चेहरे की ओर देखते हुए कहा, ‘सर, प्लीज आप हमें कागज दे दीजिए। हम लोग राजेश और उसके साथियों की लिखित कम्पलेंट करेंगे’लिखित कंप्लेंट की आवश्यकता नहीं है। मैं नियमानुसार कार्यवाई कर लूंगा। ‘सर, किस नियम की बात कर रहे हैं आप? नियमानुसार तो सबसे पहले लिखित शिकायत लेनी चाहिए लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा कि आप उसे क्यूं नहीं लेना चाह रहे हैं नमिता का स्वर तेज हो गया। हिमानी ने उसका हाथ दबा चुप रहने का इशारा किया लेकिन नमिता का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा था। ‘आप लोग मेरे ऊपर भरोसा रखिये। मैं सब संभाल लूंगा।
प्रिंसिपल साहब ने समझाने की कोशिश की।
‘हां सर, हमें भरोसा हो चला है कि आप सब संभाल लेंगे नमिता ने सीधे प्रिंसिपल की आंखों में झांका फिर बोली, ‘सर, क्या जान सकते हैं कि राजेश और उसके साथियों के प्रति आपका साफ्ट कार्नर क्यूं है?प्रिंसिपल साहब नमिता की आंखों का ताव सह न सके। उन्होंने अपनी नजरें झुका लीं और अपना चश्मा उतार कर मेज पर रख दिया। उनके चेहरे पर छाये बेबसी के चिह्नों को देख कर लग रहा था कि उनके अंतर्मन में कोई आत्मसंघर्ष चल रहा है। चंद पलों बाद उन्होंने गहरी सांस भरी फिर बोले, ‘राजेश इस कालेज के प्रबंधक का बेटा है।’तो क्या वह नियम-कानून से ऊपर हो गया।हिमानी ने कहा। उसके अंदर का भी आक्रोश बढऩे लगा था। प्लीज, आप मेरी मजबूरी समझिये। मुझे इसी कालेज में नौकरी करनी है इसलिए मैं प्रबंधक को नाराज नहीं कर सकता। फिर भी मेरा यकीन करिए मैं राजेश को समझा दूंगा प्रिंसिपल साहब के स्वर से उनकी बेबसी झलक उठी।
‘सर, यह देखिए उसने मेरा कुर्ता फाड़ा है। अगर यही घटना आपकी बेटी के साथ हुई होती तो क्या आप भी राजेश को समझाने की बात करते इंद्राणी ने अपना दुपट्टï हटाते हुए फटा कुर्ता दिखाया फिर बोली, ‘आपको हमारी लिखित कम्पलेंट पर कार्यवाई करनी ही होगी।यह सुन प्रिंसिपल साहब ने अपनी आंखें बंद कर लीं। उनके चेहरे पर एक के बाद भाव आ रहे थे। चंद पलों बाद उन्होंने अपनी आंखें खोली फिर समझाने की मुद्रा में बोले, ‘आप लोग जो घटना बता रही हैं उसका न तो कोई चश्मदीद गवाह है और न ही कोई सबूत। इसलिए मैं राजेश के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाई नहीं कर सकता फिर भी मैं उसे समझा दूंगा कि दोबारा ऐसी हरकत न करे। शिकायत करने से आप लोगों की भी बदनामी होगी। इसलिए आप लोग भी अपनी क्लास में जाइए।’आपका कहना भी ठीक है सर, बिन चश्मदीद गवाह और सबूत के कोई कार्यवाई नहीं हो सकतीÓ नमिता ने अपने अंदर के आक्रोश को दबाते हुए प्रिंसिपल के चेहरे की ओर देखा फिर बोली, ‘सर, प्लीज आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए। ताकि अगर दोबारा कोई ऐसी घटना ना घटे तो हम लोग आपको आकर डिस्टर्ब करने के बजाय मोबाइल पर ही आपको सूचित कर सकें।प्रिंसिपल साहब ने अपना मोबाइल नंबर दे दिया तो नमिता ने हिमानी और इद्राणी को बाहर चलने का इशारा किया। वे दोनों प्रिंसिपल के आश्वासन से संतुष्ट नहीं थीं, लेकिन नमिता उन्हें लगभग जबरदस्ती बाहर ले आई। उसके चेहरे पर छाए भावों को देख कर लग रहा था कि वह कोई निर्णय ले चुकी है।
‘रैंगिंग करने वालों के खिलाफ इतने सख्त कानून बन गए हैं मगर प्रिंसिपल ने कोई कार्यवाई नहीं की और तुम हम लोगों को बाहर ले आई बाहर आते ही हिमानी फट पड़ी।’प्रिंसिपल कार्यवाई करेंगे लेकिन उसके लिए उन्हें मजबूर करना पड़ेगा नमिता ने कहा।’वह कैसे? ‘तुम क्लास में जाओ। मैं इंद्राणी को लेकर एक बार फिर राजेश के पास जा रही हूं। वहां पहुंचने से पहले मैं तुमको और प्रिंसिपल साहब को कॉन्फ्रेंस काल कर मोबाइल अपने जेब में रख लूंगी। तुम अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन रखना ताकि वहां होने वाली बातें पूरी क्लास सुन सके। इंद्राणी अपने मोबाइल के रिकार्डिंग मोड को चालू रखेगी ताकि वहां होने वाली बातें रिकार्ड हो सकें नमिता ने अपनी योजना समझाई फिर इंद्राणी की ओर मुड़ते हुए बोली, ‘अगर तुमको डर लग रहा हो तो हम लोग अपना इरादा त्याग सकते हैं।’अगर उन लोगों ने मेरे साथ हंसी-मजाक किया होता तो मैं उन्हें माफ कर देती, लेकिन उन लोगों ने हमें खिलौना समझ कर खेलने की कोशिश की है। इसलिए मैं उन्हें कभी माफ नहीं कर सकती। उन्हें समझाना होगा कि आज की लड़कियां न केवल हर फील्ड में उनकेसाथ कंधे से कंधा भिड़ा कर खड़ी है, बल्कि जरूरत पडऩे पर उन कंधों को झुकाना भी जानती है इंद्राणी का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा। उसकी आंखों में कुछ कर गुजरने की तमन्ना समाई हुई थी।’तो फिर चलो अपने ‘मिशन एंटी-रैगिंग कोकामयाब करते हैं नमिता ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो इंद्राणी और हिमानी ने अपने-अपने हाथ उसके हाथ पर रख दिये। हिमानी अपनी क्लास की ओर चल दी।
वहां कई स्टूडेंट्स पहले से बैठे थे। उनकी बातों से लग रहा था कि उनमें से कइयों की रैगिंग हो चुकी है।राजेश अपने साथियों के साथ अभी भी वहीं डटा था। उसे देखते ही नमिता ने कॉन्फ्रेंसिंग हेतु पहले हिमानी का नंबर डायल किया फिर प्रिंसिपल साहब का।’लगता है तोता मैडम का एक बार की रैंगिंग से मन नहीं भरा तभी दोबारा रैंगिंग करवाने आ गई हैÓ राजेश ने उन्हें देखते ही ठहाका लगाया।’सर, क्या आपको पता नहीं है कि रैंगिंग करना अब गैर-कानूनी घोषित हो चुका है नमिता ने शांत स्वर में कहा।’अरे, ऐसे कानून तो मेरे जेब में पड़े रहते हैं। तुम बताओ दोबारा किस लिए आई हो? राजेश ने उसे घूरते हुए कहा।’आपने रैंगिंग के नाम पर इस बेचारी का कुर्ता क्यूं फाड़ा? नमिता ने पूछा।’हुक्म उदूली की कुछ तो सजा मिलनी चाहिए। इन मोहतरमा से कोई खजाना नहीं मांगा गया था केवल ‘शीला की जवानी पर दो-चार ठुमका दिखाने के लिए कहा गया था लेकिन इनको उस पर भी एतराज था राजेश ने कहा फिर बेशर्मी से हंसते हुए कहा, ‘लेकिन कोई बात नहीं। अब आप आ गई हैं इनकी जगह आप ठुमके दिखा दीजिए।’और अगर नहीं दिखाऊं तो?’तो आपका भी वही हाल होगा जो इनका हुआ है। ‘मिस्टर राजेश, मैं आपकी शिकायत प्रिंसिपल साहब से करूंगीÓ नमिता ने दांत पीसे।’जरूर कर देना राजेश ने ठहाका लगाया फिर बोला, ‘वह मेरे बाप का खरीदा हुआ कुत्ता है। उनकी कृपा से ही वह प्रिंसिपल बना है, इसलिए हमारे आगे-पीछे दुम हिलाना उसकी ड्यूटी है।’अपने प्रिंसिपल के खिलाफ ऐसी बातें करना आपको शोभा नहीं देता। अगर उन्होंने सुन लिया तो आफत आ जाएगी नमिता ने टोका।’कोई आफत नहीं आएगी। अगर उसने सपने में भी मेेरे खिलाफ कुछ करने की जुर्रत की तो अगले ही दिन उसे निकाल बाहर किया जाएगा राजेश ने कहा फिर मुस्कराता हुआ बोला, ‘बेकार की बातों में टाइम बर्बाद मत करिए। जल्दी से ठुमके दिखा दीजिए, फिर अपनी क्लास में जाइए।’मैं आपकी कोई बात नहीं मानूंगी नमिता का स्वर सख्त हो गया।मानना तो तुम्हें भी पड़ेगा, बेबी राजेश के मुंह से गुर्राहट निकली और उसकी आंखें लाल हो गईं।अगर नहीं माना तो क्या आप इंद्राणी की तरह मेरा भी कुर्ता फाड़ देंगे।Ó नमिता ने कहा।
‘तुम्हारा तो मैं उससे भी बुरा हाल करूंगा! राजेश आगे बढ़ते हुए बोला।’नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते नमिता चीख पड़ी।राजेश ने अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि शोर सुन कर रुक गया। फस्र्ट ईयर के लड़कों का हुजूम उनकी ओर दौड़ता चला आ रहा था। सबसे आगे हाथ में मोबाइल थामे हिमानी चल रही थी। इससे पहले की वह कुछ समझ पाता भीड़ ने उसे घेर लिया।’मिस्टर राजेश, यहां पर आपने जो कुछ कहा था उसे मोबाइल के स्पीकर पर पूरी कक्षा में सुन लिया है। आपको प्रिंसिपल साहब के पास चलना होगा हिमानी अपना मोबाइल लहराते हुए चिल्लाई।’उसकी जरूरत नहीं है। मैं स्वयं यहां आ गया हूं तभी प्रिंसिपल साहब की आवाज सुनाई पड़ी। शोर सुन कर वह भी बाहर आ गए थे।’सर, आपने भी अपने मोबाइल पर अपने बारे में इस शिष्य के विचार सुन लिए होंगे नमिता ने काट खाने वाले अंदाज में प्रिंसिपल की ओर देखते हुए कहा।’हां, बेटी सुन लिया है और मैं अभी अपना इस्तीफा दे रहा हूं प्रिंसिपल साहब ने कहा। उनका चेहरा शर्म से लाल था।यह सुन वहां सन्नाटा छा गया। किसी को भी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं थी। चंद पलों के लिए नमिता भी हतप्रभ रह गई थी फिर उसने सन्नाटा भंग करते हुए कहा, ‘सर, पलायन किसी समस्या का हल नहीं है।’लेकिन इतना कुछ होने के बाद मैं अब यहां काम करने की स्थिति में नहीं हूं प्रिंसिपल साहब के होंठ थरथराए।
‘सर, दोषी आप नहीं हैं बल्कि वह है जिसने उद्दंडता की है, इसलिए सजा भी उसी को मिलनी चाहिए न कि आपको इतना कह कर नमिता पल भर के लिए रुकी फिर बोली, ‘आप अपने अधिकारों का प्रयोग कर दोषियों को सजा दीजिए। यहां की सारी बातों की रिकाडग हमारे पास है। अगर किसी ने बदतमीजी करने की कोशिश की तो मैं उसे पुलिस के साथ-साथ महिला आयोग को भी दे दूंगी।यह सुन प्रिंसिपल के चेहरे पर पहले राहत के चिह्नï उभरे फिर धीरे-धीरे उनका चेहरा सख्त हो गया। वे राजेश को घूरते हुए बोले, ‘मिस्टर राजेश, आप पहले सबके सामने इन लड़कियों से हाथ जोड़ कर माफी मांगें फिर लिखित माफीनामा पेश करें, वरना आपको कालेज से रिस्टीकेट कर दिया जाएगा।’आप जो कह रहे हैं उसका अंजाम जानते हैं राजेश दांत पीसते हुए गुर्राया।’कालेज की बदनामी न हो इसीलिए मैं यह कह रहा हूं, लेकिन शायद तुम अपना अंजाम नहीं जानते। अगर यह रिकाडग पुलिस और महिला आयोग के पास गई तो तुम्हें जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता। उसके बाद तुम्हारे कैरियर का क्या होगा। इसका अंदाजा तुम खुद लगा सकते हो। प्रिंसिपल साहब का स्वर सख्त हो गया था।
यह सुन राजेश के बल ढीले पड़ गए, लेकिन वह सबके सामने माफी मांगने में हिचकिचा रहा था। इसलिए बोला, ‘मैं आपके ऑफिस में आकर लिखित माफीनामा दे दूंगा।’ओ.के., अगर तुम आग से खेलना चाहते हो तो ऐसा ही सही।Ó प्रिंसिपल ने गहरी सांस भरी फिर नमिता की ओर देखते हुए बोले, ‘बेटा, तुम लोग इस रिकाॄडग को पुलिस और महिला आयोग को भेजने के लिए स्वतंत्र हो। मेरी तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है।’सर, मामला बाहर जाने से हमारे कालेज की बदनामी होगी। इसलिए राजेश और उसके साथियों को माफी मांगने का एक मौका मिलना चाहिए, वरना अगर ये रिकाॄडग बाहर गई तो धरने-प्रदर्शन शुरू हो जाएंगे और राजेश के साथ-साथ इसके पिता की भी पोलिटिकल कैरियर तबाह हो जाएगाÓ एक छात्र रजनीश कुमार ने कहा। यह सुन राजेश का जोश बिल्कुल ठंडा हो गया। उसने हाथ जोड़ कर सबके सामने सभी लड़कियों से माफी मांगी और वहीं पर एक माफीनामा लिख कर प्रिंसिपल को दे दिया।प्रिंसिपल साहब ने उसे पढ़ा फिर नमिता की ओर देखते हुए बोले, ‘तुम उस रिकाॄडग की एक कापी मुझे भी दे दो। वह राजेश को भविष्य में भी अनुशासित रखने के काम आती रहेगी।
इतना कह कर उन्होंने वहां जमा छात्रों की भीड़ की ओर देखा फिर बोले, ‘चंद छात्रों की उद्दंडता की आंच आपके कालेज की प्रतिष्ठा पर न आने पाए इसलिए मुझे विश्वास है कि आप लोग इस घटना की खबर को अपने तक ही सीमित रखेंगे।’यस सर सभी छात्रों ने एक स्वर में उनकी बात का समर्थन किया। नमिता, इंद्राणी और हिमानी का हाथ पकड़ कर अपनी क्लास की ओर चल दी। सबके चेहरे पर एक अनोखा आत्मविश्वास झलक रहा था।
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