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इस नवरात्रि पूरी होगीं मनोकामनाएं, राशि अनुसार करें मंत्रों का जाप

इस नवरात्रि पूर्ण कीजिये अपनी मनोकामनाएं अपनी राशि के इन मंत्र उच्चारण द्वारा जानिए गुडलक गुरु निशा घई से –

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आखिर क्यूं इतना खास है सावन का महीना, जानिए महत्व

सावन का महीना यानि शिव का सबसे प्रिय महीना। कहीं पड़ती है रिमझिम फुहारें तो कहीं होता है मौसम सुहाना। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली। ओम नम: शिवाय की गूंज से लगभग सभी शिवालय गूँज उठते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। पुरे माह ही धार्मिक उत्सव होते रहे हैं। विशेष तौर पर सावन के सभी सोमवार। “बोल बम” का जयकारा लगाते हुए काँवर यात्री श्रृद्धा पूर्वक पद यात्रा कर पवित्र जल को शिवलिंग पर अर्पण करते हैं। पूरे भारत में इस महीने को महोत्स्व की तरह मनाया जाता है। आइए जानते है किन वजहों से सावन का महीना होता है खास है और क्या है इसका महत्व –

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अक्षय तृतीया: जानिए इस दिन क्यों खरीदते हैं सोना

हमारे देश में ऐसी मान्यता है कि ‘अक्षय तृतीया’ के दिन कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, निर्माण, यज्ञ, दान, स्वर्ण या संपत्ति की खरीदारी की जा सकती है। यह हिन्दू कैलेन्डर की उन महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है जिनके लिए पंचांग देखने की जरूरत नहीं पड़ती। ‘अक्षय’ का अर्थ होत है जिसका क्षय ना हो यानि जो कभी खत्म न हो और यही कारण है कि लोग घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए कीमती वस्तुओं की खरीददारी के लिए इस दिन को सर्वोपरि मानते है। क्योंकि इस दिन किए गए पुण्य कर्म का फ़ल व्यर्थ नहीं जाता। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि अक्षय तृतीया का क्या सोने से संबंध –

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अज्ञान के अंधेरे से उबारती है श्रीमद्भगवद्गीता

महाभारत के युद्ध से पूर्व विचलित अर्जुन को सही राह दिखाने के लिए योगेश्वर कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। प्रस्तुत लेख से जानें कि क्या है गीता का महात्म्य, जिसके कारण आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है।

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ऐसे मनाएं बच्चों का जन्मदिन

भौतिक रूप में बच्चों को कुछ दें न दें परंतु संस्कारों द्वारा हम उन्हें महान बना सकते हैं। वो ऐसे सुगंधित फूल बन सकते हैं जो अपनी खुशबू से देश ही नहीं, पूरे विश्व को महकाने में सक्षम हों। आइए जानते हैं कि कैसे मनाना चाहिए बच्चों का जन्मदिन ….

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क्या आप जानते हैं तुलसी से जुड़ी ये 10 बातें

“तुलसी वृक्ष ना जानिए। गाय ना जानिये ढोर।। गुरू मनुज ना जानिये। ये तीनों नन्दकिशोर।।” अर्थात- तुलसी को कभी पेड़ ना समझें गाय को पशु समझने की गलती ना करें और गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात् भगवान के रूप हैं। ” तुलसी के औषधीय गुण तो हैं ही, साथ ही तुलसी दैवीय शक्ति के रूप में घर-घर पूजी जाती हैं। आज हम आपकों तुलसी के संबंध में 10 खास बातें बताएगे जिन्हें शायद ही आप जानते होगे।

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राजस्थान की दीपावली से जुड़ी रोचक कथा

  दीप-मालाओं में गुंथे ज्योतिपुंज टिमटिमाते हुए जब आलोक पर्व दीपावली का आगमन होता है ,तो दिल खुशी से झूम उठते हैं। दीपावली के साथ वैसे तो कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन राजस्थान के धनाढ्य वणिक समुदाय के साथ दीपावली की एक खूबसूरत रोचक कथा जुड़ी हुई है। एक ऐसी दिलचस्प कहानी, जिसके […]

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भारत के इन मंदिरों में होती है रावण की पूजा

एक तरफ जहां लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए रावण का पुतला दहन करते हैं वहीं दूसरी तरफ भारत में ही रावण की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में रावण को रामायण का खलनायक माना जाता है क्योंकि उसने देवी सीता का हरण किया था जिसके कारण भगवान श्रीराम को उससे युद्ध करना पड़ा जिसमें वह मारा गया। जानकारी के अनुसार, रावण के नाभि‍ में ब्रह्म बाण लगने के बाद वह धराशायी हो गया। इस दौरान कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरो की तरफ खड़े हो कर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो, क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा। रावण का यही स्वरूप पूजनीय है। इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर रावण की पूजा की जाती है। यहां हम आपको भारत के ऐसे ही 5 अद्भुत मंदिरों के बारे में बता रहें हैं जहां रावण की विधि-विधान से स्तुति की जाती है –

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मां नैना देवी के दरबार में होती है हर मुराद पूरी

  नैना देवी 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहीं सती की आंखें गिरी थीं। यूं को मां के दरबार में हर वक्त भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन श्रावण अष्टमी, चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है।   मंदिर के मुख्य भवन में प्रवेश […]

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शंख भी दिलाता है रोगों से मुक्ति, अपनाएं ये उपाय

भारतीय कर्मकांड एवं धर्मशास्त्रों में शंख का अपना एक अलग स्थान है। चतुर्भुज भगवान विष्णु के चारों आयुधों में शंख भी एक है। भगवान कृष्ण ने महाभारत में बार-बार अपना प्रसिद्ध शंख पांचजन्य बजाया था। शंख ध्वनि द्वारा रोगों से, राक्षसों से, पिशाचों से रक्षा होती है। यह दरिद्रता व दुख दूर भगाने वाला तथा आयु बढ़ाता है शंख आयुर्वेदिक दृष्टि से भी अत्यन्त लाभदायक है।

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