बच्चों के जन्मदिन मनाने का तरीका आज बहुत मॉडर्न हो गया है। इस दिन केक बनवाया जाता है। केक पर मोमबत्ती लगाकर, फूंक मारकर उन्हें बुझाया जाता है। पर क्या कभी आपने यह सोचा है कि हम यह कैसी उल्टी गंगा बहा रहे हैं? हमारी संस्कृति में तो शुभ कार्य के लिए दीये जलाये जाते हैं और आज हम मोमबत्ती के प्रकाश को बुझाकर शुभ कार्य कर रहे हैं। 

बड़ों से लें आशीर्वाद

भारतीय संस्कृति में बच्चों का जन्मदिन मनाने की प्रथा इस प्रकार थी- चावलों को हल्दी, कुमकुम, गुलाल आदि मांगलिक द्रव्यों से रंगकर उससे स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता था। स्वास्तिक की चारों भुजाओं पर छोटे दीये तथा बीच में बड़ा दीया रखा जाता था। इसका उद्देश्य था कि बच्चे का जीवन भी इसी तरह प्रकाशवान रहे। घर के सभी सदस्य बड़े-बुजुर्ग से दीये जलवाते थे और सभी लोग बच्चे को टीका करते थे। बच्चा सबको हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर नमस्कार तथा चरण-स्पर्श करके बड़ों का आशीर्वाद ग्रहण करता था। 

तिलक की प्रथा

जन्मदिन मनाने की इस प्रक्रिया में स्वास्तिक बनाना, दीये रखना, नमस्कार तथा चरण-स्पर्श करना सबकी अपनी-अपनी, अलग-अलग महत्ता है, जो बच्चे के मानस पटल पर किसी न किसी रूप में अंकित होकर, अहंकार मिटाता था। सात्विक कार्यों जैसे- अंत:करण का निर्मल होना, सरल स्वभाव व बुजुर्गों का सम्मान करना आदि की ओर प्रेरित होता था। दोनो भोहों के बीच का स्थान विचार शक्ति तथा आज्ञा शक्ति का केंद्र होता है जिस पर तिलक लगाने से दोनों शक्तियां विकसित होती है इसीलिए हमारी संस्कृति में माथे पर टीका लगाने की प्रथा है।

क्या करें

 

– बच्चों के जन्मदिन पर पार्टियों में फिजूल पैसा खर्च करने के स्थान पर गरीबों को भोजन करवाएं तथा उन्हें वस्त्र आदि सामान बच्चों के हाथों से वितरित करवाएं। इससे उनके मन में किसी को कुछ देने की भावना आएगी, न कि किसी से गिफ्ट लेने का लालच।

– इस दिन बच्चों से कुछ पौधे लगवाएं और इनकी सींचने की जिम्मेदारी भी सौंपें। इससे वे पर्यावरण के प्रति जागरूक बनेंगे।

– बच्चों से इस दिन संकल्प करवाएं कि वे पढ़ाई, सत्कर्म, ईमानदारी व सच्चाई पर चलकर माता-पिता तथा देश का गौरव बढ़ाएंगे।

– इस दिन बच्चों से पिछले वर्ष में उनके द्वारा किए गए कार्यों का ब्यौरा लें। अच्छे कामों के लिए उन्हें शाबाशी दें और बुरे कामों को न दोहराने का संकल्प कराएं।

– बच्चे के जन्मदिन पर सभी अभिभावक संकल्प लें कि अब हम अपने बच्चों का जन्मदिन इसी प्रकार मनाएंगे। तो बच्चे संस्कारों से दूर नहीं रहेंगे और इस दिन की महत्ता को समझेंगे। 

 

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