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प्रिया का आत्मसम्मान – गृहलक्ष्मी कहानियां

प्रिया अपने पिता की बहुत लाडली बेटी थी। इस वर्ष 71 प्रतिशत प्राप्त करके अपने विद्यालय में वह पूरी क्लास में अब्बल आई थी। बचपन से ही वह पढाई में बहुत  होशियार थी।  शहर के सबसे अच्छे कालेज में उसको मनचाहे कोर्स -बी.ए. इंग्लिश- में एडमिशन भी मिल गया था। अपनी प्रतिभा से वह जल्दी  […]

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अनुभूति प्यार की – गृहलक्ष्मी कहानियां

‘रेवा के पति सुमित एक वकील हैं। वह उनसे बहुत प्यार करती थी। जब भी वह उसकी बाँहों में होती, तब उसे एक अजीब सी अनुभूति होती। आज उसकी शादी को 7 साल हो गए। लेकिन उसे लगने लगा कि अब उन दोनों के बीच में वह प्यार नहीं रहा, जो पहले था। आजकल सुमित, उससे ज्यादा अपने काम पर ध्यान देने लगा था। कभी-कभी उसे लगता जैसे वह उसको बिल्कुल ही भूल गया है।

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“समाज का कड़वा सच बयां करती बलवा”

बीजेपी के कद्दावर नेता और वर्तमान समय में भारत सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी सादगी, मिलनसार एवं संस्कारी व्यक्तित्व के धनी हैं।

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बोझिल पलकें- भाग 4

रेल का सफ़र तो अजय पूरा कर चुका था, लेकिन उसका मन कहीं अंशु के पीछे ही चला गया। उसे अपने जीवन में जिस आशा की किरण की आस है, क्या अंशु वह किरण बन पाएगी?

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आशाओं का सूरज – गृहलक्ष्मी कहानियां

महेश एक बहुत ही होनहार और बुद्धिमान बालक था। उसमें सीखने और जानने की अद्भुत ललक थी। उसके हाथों में तो मानो जादू था। वह अपने चित्रों में प्राण डाल देता था। उसके अध्यापक उसकी प्रतिभा से बहुत प्रभावित थे। वह सुबह स्कूल आने से पहले मंदिर अवश्य जाता था ।

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नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब

घर का खाना अच्छा या बाहर का खाना? सारिका वोहरा, हिमाचल प्रदेश बाहर मिले घर जैसा खाना और घर पर बाहर जैसा मिले, तो तबियत प्रसन्न हो और हृदय कमल खिले! वैसे खाना कहीं का भी हो हितकारी वही है जो मौसम, मन और मिजाज़ के अनुकूल बनाया जाता है, और प्यार से पकाया जाता […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : गुमराह बच्चे

सुबह के नौ बजे थे। स्कूल के गेट के पास चार-पांच लड़कियां सजी धजी सी खड़ी थी और बार बार सड़क की तरफ देख रही थी मानो किसी की राह देख रही हों। आज स्कूल में बच्चों की छुट्टी थी और बच्चों को स्कूल नहीं आना था। इतने में उन्होंने मैडम की गाड़ी आती देखी तो इधर उधर छुपने लगी। मैडम ने उन्हें देख लिया था।

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नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब

अनाड़ी जी, कहा जाता है कि सूरत नहीं, सीरत देखनी चाहिए, आपका क्या विचार है? आरती सिन्हा, दिल्ली   सूरत भी देखो सीरत भी देखो, कर्म भी देखो कीरत भी देखो! सीरत भली होगी तो सूरत दमकाएगी, कर्म भले होंगे तो कीॢत बढ़ जाएगी। कभी-कभी आता है ऐसा भी मौका, जब सूरत से लोग खा […]

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संगति का असर – गृहलक्ष्मी कहानियां

दामू दादा सुमित को मेला घुमा कर घर की ओर लौट रहे थे कि मेले में इतना घूमने के कारण सुमित को भूख सताने लगी थी। दामू दादा चूंकि घर से कुछ खाने का लाए नहीं थे, सो नजदीक की किराने की दुकान से बिस्किट का पैकेट खरीद लिया। चलते चलते पैकेट खोलकर अभी वे सुमित को कुछ बिस्किट दे ही रहे थे कि उन्होंने पीछे देखा कि एक कुत्ता बिस्किट को ललचाई नजरों से देख रहा है। दया भाव दिखाते हुए उन्होंने दो तीन बिस्किट उसकी ओर उछाल दिए और शेष बिस्किट अपने झोले में रख लिए।

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