कविता

 

प्यारी बेटी, जब तुम बड़ी हो जाओगी,

दुनिया जो आज है वो कल भी रहेगी।

तुम्हारा दृष्टिकोण परिपक्व होकर,

हर चलन को तुम बेहतर समझ पाओगी।।

सफलता की जानोगी कई सारी परिभाषाएं,

सीखोगी जीवन के कई सारे मूल्य।

सारे सुझावों को समझने के बाद,

परिभाषा से मुक्त सफलता पाओगी।।

राहें बहुत मिलेंगी चलने के लिये,

हर राह के अनुयायी लुभाएंगे तुम्हें।

लेकिन तुम चलना सिर्फ उसी पर,

जो राह तुम अपने हाथों से बनाओगी।।

एक दिन कहीं पहुंचने का तुम्हें क्या दबाव,

प्रतिक्षण के अनुभव तुम्हें ढाल रहे हैं।

हर एक क्षण को सार्थक बनाकर,

व्यापक, असीमित, अपना लक्ष्य पाओगी।।

आशा नही विश्वास है तुम पर,

चली जाऊंगी मैं तो लेकर, तुम्हें लाने का श्रेय।

बंधन-मुक्त, विचारशील प्रेरणा बनकर,

हर एक स्मृति में, तुम यहीं रह जाओगी।।

 

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