बता रहा हूं मैं अपनी ही जुबानी, 

अपनी कहानी,

वक्त के साथ खोया था 

मैं अपनी पहचान सारी!

बढ़ता रहा निरंतर, 

पर मैंने ना हिम्मत हारी,

कोरोना ने दी पहचान, 

सुनो तुम दास्तां सारी! 

हर बार की तरह इस बार भी साधना पथ  लाई है आपके लिए एक नए अंदाज में ‘मैं हूं हर्बल फायदेमंद!’ जिसमें आप पढ़ेंगे हर्बल की दास्तान, हर्बल की जुबान। पेश है आपके लिए गिलोय, अश्वगंधा और नीम की दास्तान।

मैं हूं गिलोय

गिलोय नाम से चौंक गए होंगे आप। वैसे इतने चौंकने की बात भी नहीं है, क्योंकि कोरोना देवी की कृपा से आजकल सब जगह गिलोय की धूम है। वैसे एक बात पूछूं, जानते भी हैं कि मैं हूं कौन? नहीं तो चलो हम खुद ही आपको अपने बारे में थोड़ा सा इंट्रो दे ही देते हैं। मैं हूं एक जिद्दी, बेशर्म सा पौधा! बेशर्म इसलिए क्योंकि मेरी लताएं कभी भी कहीं भी किसी भी पेड़ के साथ आपको चिपकी हुई दिख जाएंगी। अगर आपको अपनी भागदौड़ वाली मनहूस जिंदगी से थोड़ी सी फुर्सत मिले तो, जरा गौर फरमाइएगा। मैं आपके आसपास कहीं पर भी उगा हुआ दिख ही जाऊंगा। मैं तो कड़वे से कड़वे पेड़ की टहनियों को भी गले लगाए रखता हूं। तभी तो मैं नीम के साथ भी दिख जाता हूं।

लेकिन हमारे जिद्दीपन का मतलब यह नहीं है कि मैं अकेले नहीं उग सकता। सिर्फ दूसरे के सहारे ही उगता हूं। आप मेरा पौधा अलग से भी अपनी बगिया में उगा सकते हैं। वैसे मुझे बहुत प्यारे-प्यारे नामों से भी बुलाया जाता है जैसे- गुडूची या अमृता। अमृता नाम से याद आया, चलिए आपके सामने अपनी थोड़ी सी और तारीफ कर देता हूं। पौराणिक कथाएं तो आपको जरूर मालूम होंगी, याद है ना असुर और सुर अमृत मंथन की कहानी। तो मैं वही अमृता हूं जिसके लिए इतना बड़ा समुद्र मंथन हुआ। आखिर मेरे अंदर गुण ही इतने सारे हैं। यह बात अलग है कि इतनी सदियों से मैं गुमनाम जिंदगी जी रहा था। वह तो भला हो उस बाबा का, जो मुझे औषधि के रूप में बेच बेचकर आज कुबेर पति हो गया। समझ रहे हो ना मैं किसकी बात कर रहा हूं। 

खैर छोड़ो मुझे क्या, मैं तो अपनी बात करता हूं। आप तो मेरे गुणों को जानो। मेरी खूबियां पहचानो। भविष्य में छोटी-छोटी परेशानियों के लिए केमिस्ट के चक्कर लगाना बंद कर दो और मुझे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लो।

अच्छा आगे बढ़ने से पहले मैं एक बात और जानना चाहता हूं। मान लो, आप मुझे ढूंढ़ने के लिए घर से बाहर निकल भी गए तो आप मुझे पहचानोगे कैसे? सही पकड़ा है ना! हो गए ना कंफ्यूज?

सुनो, मेरा विकास बेल के रूप में होता है और मेरी पत्तियां पान के पत्ते की तरह होती हैं। लेकिन आकार में कुछ बड़ी। मतलब यह कि मैं सिर्फ गुणों का ही धनी नहीं हूं, मैं रूप से भी सुंदर हूं। मेरी तारीफ सुनकर आप जल तो नहीं रहे ना। मैं जानता हूं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना अच्छी बात नहीं। लेकिन आज का चलन तो यही है, जो अपने मुंह जितनी तारीफ करेगा, उसको उतनी ही पहचान मिलेगी।

और यदि तारीफ करने से मेरा कुछ भला होता हो तो आपको बुरा क्यों लग रहा है? आपको मालूम है मेरी पत्तियां कितनी ज्यादा गुणी होती हैं कि इनमें  कैल्शि‍यम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में होता है। इसके अलावा मेरे तनों में भी स्टार्च की काफी अच्छी मात्रा होती है। तभी तो मेरा इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है। जानना नहीं चाहोगे वह बीमारियां कौन-कौन सी हैं। शुगर, मोटापा, ब्लड प्रेशर, गठिया, डेंगू, चिकनगुनिया और ना जाने कौन-कौन सी बीमारियां। चौंक गए ना! दरअसल मैं हूं ही इतना फायदेमंद। डायबिटीज, शुगर में मेरे सेवन से बहुत जल्दी ब्लड शुगर कंट्रोल हो जाती है और पाचन तंत्र सुधर जाता है यानी कि जो काम एकदम से डॉक्टर की दवा नहीं कर पाती, वह मैं कर देता हूं। तभी तो डॉक्टर मेरे नाम से कतराते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी हो या मोटापा दूर करना हो, तो आप मेरा सेवन कर सकते हो। मैं अपने फायदे, किसी की दुकान बंद करवाने के लिए नहीं गिनवा रहा हूं। इसलिए आप दिल पर ना लें। हां, मेरा सेवन किस तरह करना चाहिए यह भी मैं बता दूं।

अब कुछ आवश्यक बातें भी हो जाएं। यदि आपका ब्लड शुगर अमाउंट कम है तो भूल कर भी आप मुझे ना खाएं। यदि आपका पेट खराब है तब भी मेरा सेवन ना करें वरना परेशान हो जाएंगे। अति हर चीज की बुरी है जानते हैं ना। इसलिए ज्यादा जंवा बनने के चक्कर में मेरा ज्यादा सेवन ना करें।

आखिर में तो मैं यही कहूंगा, इधर-उधर भागना बंद करें और मेरा सेवन शुरू करें। बीमारियां अपने आप आपसे दूर भागेंगी।

मैं हूं अश्वगंधा

हैलो दोस्तो!! मैं हूं अश्वगंधा!! आप लोग मुझे जानते भी हो या पहली बार मेरा नाम सुन रहे हो? वो क्या है ना, मैं स्वाद में थोड़ा कड़वा हूं इसलिए आजकल की ये जनरेशन मुझे खाना बिल्कुल भी नहीं पसंद करती है, इसलिए पूछ रहा था कहीं आप लोग मुझे जानने से भी इंकार न कर दें। पर आज की इस युवा पीढ़ी को क्या पता कड़वी चीजें सेहत के लिए कितनी लाभदायक होती हैं। अब हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, यह तो आपने सुना ही होगा। अगर मैं कड़वा हूं तो कुछ अच्छे गुण भी तो होंगे मेरे अंदर। चलो आज मैं आप सबको अपने फायदे बताता हूं। 

तो दोस्तों मैं भारतीय आयुर्वेद की एक जड़ी-बूटी हूं। मेरा प्रयोग बहुत सारे रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। मुझे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर वर्ग के व्यक्ति इस्तेमाल कर सकते हैं। मैं याददाश्त तेज करने में बहुत उपयोगी हूं। अगर आप बात-बात पर हर चीज को भूल जाते हैं तो आप मेरा सेवन बेझिझक कर सकते हैं। जैसा कि आजकल आप लोग बात-बात पर बिना किसी बात के अपने दिमाग में टेंशन का पहाड़ खड़ा कर लेते हो, तो मैं उस पहाड़ को गिराने में भी लाभकारी हूं। मैं आपके ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित कर सकता हूं।

अब तुम बच्चो में वह पहले वाली बात तो है नहीं की सारा घर व खेत का काम कर पाओ, क्योंकि तुम जल्दी थक जाते हो। तुम्हारे अंदर तो जान बची ही नहीं है, थकने के साथ-साथ तुम बूढ़े भी जल्दी ही हो जाते हो, तुम्हारे बहुत कम उम्र में सफेद बाल हो जाते हैं। मैंने तुम्हारी इस समस्या का भी हल निकाल लिया है। मेरे पाउडर को खाने से तुम्हारे सफेद बालों की समस्या भी सुलझ जाएगी। 

अब तुमसे जंक फूड खाए बिना तो रुका नहीं जाता, फिर तुम्हारी यह शिकायत भी होती है कि तुम मोटे हो गए हो। अब तुम हर रोज बर्गर, पिज्जा आदि खाओगे तो मोटा क्या मैं होऊंगा? खैर तुम बच्चे हो, नहीं मानोगे, अब तुम्हारा मोटापा कम करने का बीड़ा भी मैंने ही उठा लिया है। अगर तुम रोज सुबह मुझे खाने के साथ-साथ थोड़ी एक्सरसाइज करोगे तो तुम एक दम स्लिम फिट बन जाओगे। 

अगर तुम एक चश्मू हो या तुम्हें अब धुंधला-धुंधला नजर आता है तो भी तुम मेरा प्रयोग कर सकते हो। जाओ तुम भी क्या याद रखोगे, मैं तुम्हारे आंखो की रोशनी बढ़ाने का भी दम रखता हूं। अब इतने सारे फायदे कर रहा हूं फिर भी तुम मुझे ऐसे इग्नोर करते हो जैसे तुम्हारी क्रश तुम्हारे मैसेज इग्नोर करती है तो बुरा तो लगेगा ही ना। 

मुझ में कितने सारे गुण हैं फिर भी मेरे अंदर थोड़ा सा भी घमंड नहीं है, लेकिन एक अपने आपको ही देख लो कुछ काम वाम नहीं आता और दुनिया भर के नखरे करते रहते हो। यह कोई अच्छी बात थोड़ा ही है? अगर अपना स्वास्थ्य सुधारना चाहते हो तो नखरे छोड़ कर रोजाना मेरा सेवन किया करो वरना बाद में पछताओगे, फिर मत कहना मैंने बताया नहीं था। 

मैं नीम हूं 

मुझे तो आज तक समझ ही नहीं आया कि मैं अपने गुणों पर गर्व करूं या मैं उन्हें अपनी कमियां मानकर दुखी होऊं। अब आप ही बताओ यदि मैं वाकई में इतना गुणी हूं तो लोग बाग मुझे अपने घर आंगन से क्यों कटवाते हैं। कभी कहते हैं इतना विशालकाय है कि घर के आंगन की धूप रोकता है, हमें धूप नहीं मिलती। कभी कहते हैं- इसके पत्ते सारे दिन झड़ते रहते हैं और हमारा आंगन गंदा हो जाता है। या फिर कारण बताते हैं कि मेरी टहनियां पक्षियों को, बंदरों को ठहरने का सहारा देती हैं। सच बताऊं तो मुझे उस समय गुस्सा तो इतना आता है कि दुर्वासा ऋषि को भी कभी क्या गुस्सा आया होगा। पर मैं क्रोध का घूंट पी कर रह जाता हूं। मेरी जो भी गुण गाथा है वह सिर्फ धर्म ग्रंथों तक ही सीमित रह गई है। लोगों ने मुझे अब तक बड़े कष्ट दिए जैसे- दातून के रूप में मेरी असंख्य उंगलियाँ तोड़कर, तो कभी मेरी खाल उधेड़ कर तो या कभी बाजू मरोड़कर, पर मैंने कभी किसी से कुछ नहीं कहा। उल्टा मैं तो हमेशा अपने इस भव्यता के साथ, अपने हजारों हाथों के साथ आकाश से बातें करता रहा और लोगों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहा। यदि आप मेरे अस्तित्व, मेरे रूह की बात करते हैं तो मैं अपने जिस्म, अपने दिल से पूरी तरह भारतीय हूं। 

एक पुरानी कहावत भी है कि, ‘एक नीम और सौ हकीम।’ किस प्रोडक्ट में मेरा प्रयोग नहीं होता, चाहे वह हर्बल ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड हों, साबुन हों या एंटीसेप्टिक क्रीम या दातुन या फिर मधुमेह नाशक चूर्ण और कॉस्मेटिक्स आदि। पर सारा क्रेडिट, कंपनी वालों को देकर मेरे ऌगुणों को सिरे से नकार दिया जाता है। मैं नहीं कह रहा हूं कि मेरे गुणों का ढोल बजाओ। एक बड़ी ही मजेदार बात है ना कि आजकल बच्चा हो या बूढ़ा, सब दांतों की परेशानियों से पस्त हैं।

जिसे देखो वह दातों के डॉक्टर को दिखाने के लिए भाग रहा होता है, क्योंकि किसी को भी मुझ से बनी दातुन का महत्व नहीं मालूम। आजकल की पीढ़ी के हिसाब से तो मैं सिर्फ पेड़ की एक छाल हूं, जो सबका मुंह कड़वा करता हूं।

और तो और आए दिन कितने चर्म रोग बढ़ रहे हैं। अरे मूर्खों कभी मेरी छाल को पानी में घिसकर लगा कर तो देखो। भूल जाओगे कि कभी किसी प्रकार का कोई त्वचा रोग भी हुआ है। माना कि आजकल आप लोगों से मेहनत नहीं की जाती, तो कोई नहीं! बाजार से मेरा तेल ही मंगा लो। उसको भी यदि किसी त्वचा रोग पर लगाओगे तो बहुत फायदा होगा और यह जो आजकल मच्छर मारने की दवाइयां, मच्छर भगाने की दवाइयां या मच्छरों वाली कॉइल आदि का प्रयोग करते हो ना, उसकी जगह जरा मेरे तेल का दीया तो जला कर देखो! मच्छर ना भाग जाएं तो कहना। 

अरे मुझे तो तुम अपना पूर्वज मान कर भूल चुके हो! वैसे गम भी क्या करना! आजकल के बच्चे कौन सा अपने बड़ों का मान रखते हैं या ध्यान रखते हैं, जो तुम मुझे याद रखोगे। फिर भी चलते-चलते मैं बता ही देता हूं, खाने से लेकर लगाने और सजाने से लेकर रखने तक में मेरा प्रयोग होता है। मेरी गोलियां खाओगे तो खून साफ होगा और मेरी सूखी पत्तियों को अनाज में रखोगे तो किसी भी प्रकार का कीड़ा नहीं लगेगा।

एक बात बोलूं, कड़वी लगेगी। हममम्… तो कोई नहीं! मैं तो हूं ही कड़वा। अब आप ही देख लो, ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ जबकि विदेशों में मुझे एक ऐसे वृक्ष के रूप में जाना जाता है, जो मधुमेह, एड्स, कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का इलाज कर सकता है।

देखो बड़े बुजुर्गों की बात हमेशा कड़वी ही होती है। मैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनकर आपको अपनी अच्छाइयों से अवगत करा रहा हूं तो सिर्फ इसलिए कि आप मुझसे जितना अधिक स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हो उठा लो। देखो वरना बाद में कहोगे, मैंने बताया नहीं, मैं अकड़ रहा था। 

यह भी पढ़ें –संतुलित आहार की विशेषता – कविता देवगन