धरती और मनुष्य दोनों की ही स्थिति आज खराब है। दोनों ही आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। मनुष्य का जीवन धरती के जीवन के साथ जुड़ा है, लेकिन मनुष्य ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जिस प्रकार आज धरती का दोहन किया है उससे आज दोनों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि धरती को बचाएं जाने की कवायद एक अरसे से हो रही है, धरती को बचाने के लिए कई विश्व स्तरीय प्रयास किए जा रहे हैं ,जिसमें वैयक्तिक से लेकर कई सगंठन तक कार्यरत हैं। ऐसा ही एक कोशिश हमारे वैज्ञानिकों ने भी की है। उन्होंने एक ऐसा डायट चार्ट निर्मित किया है जिस पर अमल करके न केवल हम स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं अपितु इस धरती की सेहत का भी ख्याल रख सकते हैं। 

किसने बनाया हेल्थ डायट? 

इस डायट प्लान को तैयार करने के लिए EAT-Lancet कमिशन के तहत दुनियाभर के 37 वैज्ञानिक एक साथ आए और उन्होंने मिलकर द प्लैनेट्री हेल्थ डायट नाम का यह डायट तैयार किया। वैज्ञानिकों को इस डायट को तैयार करने में 2 साल का वक्त लग गया और क्लाइमेट चेंज से लेकर न्यूट्रिशन तक को शामिल किया गया। फिलहाल दुनिया की आबादी 7.7 बिलियन है जो 2050 तक बढ़कर 10 बिलियन यानी 1 हजार करोड़ हो जाएगी और इतनी बड़ी आबादी का पेट भरने के लिए सभी को अपने खान-पान में बदलाव करने की जरूरत है।  इस प्लान को बनाने वाले  वैज्ञानिकों के पैनल में भारत के, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन की तरफ से श्रीनाथ रेड्डी और सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की तरफ से सुनिता नारायण शामिल हुईं थी। 

डायट में करना होगा बदलाव 

यदि आप चाहते हैं यह धरती, हम और आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित रहें तो हमें अपनी डायट में भी बदलाव करना होगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार यूरोप और नॉर्थ अमेरिका के लोग रेड मीट का सेवन बहुत ज्यादा करते हैं लिहाजा उन्हें उसमें कमी करने की जरूरत है जबकि ईस्ट एशिया के लोगों को मछली के सेवन में कमी करने की और अफ्रीका के लोगों को स्टार्च वाली सब्जियों के सेवन में कमी करने की जरूरत है। ऐसे में अगर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद लोग अपनी डायट में अलग-अलग तरह का बदलाव करें तो एक परफेक्ट डायट तैयार हो जाएगी। इससे न सिर्फ आप हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर जैसी कई बिमारियों से बचे रहेंगे बल्कि हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की जो समय से पहले मौत हो जाती है उसे भी रोका जा सकेगा।

क्या होगा फायदा?

  • इस तरह के डायट प्लान से ग्रीन हाउस गैस एमिशन में कमी आएगी जो क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी वजह है।
  • धरती पर इस वक्त मौजूद नस्लों और प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा।
  • पानी की बर्बादी में कमी लाई जा सकती है।
  • खेती योग्य भूमि को बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है अगर हम इस डायट का पालन करते हैं तो साल 2050 तक 1 हजार करोड़ लोगों का पेट भी भरा जा सकेगा। 
  • अगर धरती पर मौजूद सभी लोग अपनी डायट में रेड मीट और शुगर में 50 प्रतिशत की कमी कर दें और उसकी जगह फल और सब्जियां ज्यादा खाना शुरू कर दें तो हर साल समय से पहले मरने वालों की संख्या में कमी लायी जा सकेगी।

हर दिन क्या खाएं, कितना खाएं?

आइए अब जानते हैं इस डायट के मुताबिक आपको हर दिन क्या और कितना खाना है- 

नट्स- 50 ग्राम प्रति दिन।

बीन्स, दाल, फलियां, छोला-राजमा आदि- 75 ग्राम प्रति दिन।

फिश- 28 ग्राम प्रति दिन।

अंडे- 13 ग्राम प्रति दिन।

रेड मीट- 14 ग्राम प्रति दिन।

चिकन- 29 ग्राम प्रति दिन।

होल ग्रेन (ब्रेड और राइस)- 232 ग्राम प्रति दिन।

स्टार्च वाली सब्जियां- 50 ग्राम प्रति दिन।

डेयरी- 250 ग्राम प्रति दिन।

सब्जियां- 300 ग्राम प्रति दिन।

फल- 200 ग्राम प्रति दिन।

शुगर- 31 ग्राम प्रति दिन।

ऑइल- 50 ग्राम प्रति दिन। 

हालांकि सिर्फ डायट बदलने से बहुत ज्यादा फायदा तब तक नहीं होगा जब तक खाने की बर्बादी को न रोक दें। EAT-Lancet कमिशन अपनी इस रिपोर्ट और इसके नतीजों को WHO के साथ-साथ दुनियाभर के देशों की सरकार के पास भी लेकर जाएगा ताकि लोगों के खानपान के तरीकों में बदलाव किया जा सके।

पीलिया के लिये आहार

पीलिया का आयुर्वेद में अचूक इलाज है। आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार यदि मकोय की पत्तियों को गरम पानी में उबालकर उसका सेवन करें तो रोग से जल्द राहत मिलती है। मकोय पीलिया की अचूक दवा है और इसका सेवन किसी भी रूप में किया जाए स्वास्थ्य के लिए लाभदायक ही होता है। 

चिकित्सक कहते हैं कि जब भी रोगी को यह लगे कि उसका शरीर पीला हो रहा है तथा उसे पीलिया हो सकता है, तो वह पानी की मात्रा बढ़ा दे, क्योंकि पानी की मात्रा कम होने पर शरीर से उत्सर्जित होने वाले विषैले तत्त्व रक्त में मिल जाते हैं, इससे व्यक्ति की हालत बिगड़ने लगती है। चिकित्सक बताते हैं कि यदि कच्चा पपीता सलाद के रूप में लिया जाए तो भी पीलिया का असर कम होता है। कई लोग यह मानते हैं कि पीलिया के रोगी को मीठा नहीं खाना चाहिए जबकि आयुर्वेद चिकित्सक ऐसा नहीं मानते उनका कहना है कि पीलिया का रोगी गाय के दूध से बना पनीर व छेने का रसगुल्ला आराम से खा सकता है, यह रोगी को कोई नुकसान नहीं बल्कि लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा जिस व्यक्ति को पीलिया हो गया हो उसे और क्या-क्या खाना चाहिए इसके लिये पढ़े यह लेख। 

मूली का रस-  मूली के रस में इतनी ताकत होती है कि वह खून और लीवर से अत्यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके। रोगी को दिन में 2 से 3 गिलास मूली का रस जरूर पीना चाहिए।

धनिये के बीज– इसके बीज को रातभर पानी में भिगो दीजिये और फिर उसे सुबह पी लीजिये। धनिये के बीज वाले पानी को पीने से लीवर से गंदगी साफ होती है।

जौ- जौ शरीर से लीवर से सारी गंदगी को साफ करने की शक्ति रखता है।

टमाटर का रस– टमाटर में विटामिन सी पाया जाता है, इस कारण से यह लाइकोपीन में रिच होता है, जो कि एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट हेाता है। इसलिए टमाटर का रस लीवर को स्वस्थ्य बनाने में लाभदायक होता है। 

आंवला– आंवला में भी बहुत सारा विटामिन सी पाया जाता है। आप इसे कच्चा या फिर सुखा कर खा सकते हैं। इसके अलावा इसे लीवर को साफ करने के लिये जूस के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।

तुलसी पत्ती– यह एक प्राकृतिक उपाय है जिससे लीवर साफ हो सकता है। सुबह-सुबह खाली पेट 4-5 तुलसी की पत्तियां खानी चाहिए। 

नींबू का रस– नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीने से पेट साफ होता है। इसे रोज खाली पेट सुबह पीना सही होता है।

गन्ने का रस– जब आप पीलिया से तड़प रहे हों तो, आपको गन्ने का रस जरूर पीना चाहिए। इससे पीलिया को ठीक होने में तुरंत सहायता मिलती है।

दही- दही आसानी से पच जाती है और यह पेट को प्रोबायोटिक प्रदान करती है। यह एक अच्छा बैक्टीरिया होता है जो जॉन्डिस से लड़ने में सहायक होता है।

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