Why lovers Called Pair of Swans
Why lovers Called Pair of Swans

Why lovers Called Pair of Swans: अक्सर आपने देखा होगा कि अगर दो कपल के बीच में लोगों को बेशुमार प्यार और भाव दिखता है तो लोग उस जोड़े को दो हंसो के जोड़े वाली उपाधि दे ही देते है। फिल्म हो या कहानियां प्यार भरे जोड़ों को हंसों के जोड़ो कहने के किस्से मिल ही जाते है। कपल के लिए स्पेशल डेकोरेट किये होटल रूम में भी हंसों के जोड़े को रखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते है आखिर क्यों प्रेमी जोड़ों को दो हंसो का जोड़ा कहा जाता है। अगर नहीं जानते है तो कोई बात नहीं आज हम आपको बताते है कि आखिर शादीशुदा या प्रेमी जोड़ो को दो हंसो का जोड़ा क्यों कहा जाता है।

sign of love

हंस एक बहुत प्यारा दिखने में सुंदर और बहुत ही ज्यादा शांत स्वभाव के पक्षी होते है। जो अपने साथी से बहुत प्यार करते है और हमेशा दोनों साथ ही रहते है। ऐसा माना जाता है कि दोनों हंस हमेशा साथ रहते है और एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ते है। जो ये दर्शाता है कि दोनों के बीच कितना प्यार है। दोनों हंस इतने प्यार से साथ रहते है कभी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते है इसीलिए उन्हें सबसे प्यारे कपल के रूप में देखा जाता है। यहीं कारण भी है कि हंसों के जोड़ें को प्रेम का प्रतीक भी बना दिया गया है। असल ज़िन्दगी हो या फिल्म, कहानी एक अच्छे जोड़ें को हंसों के जोड़ें की उपाधि दे ही दी जाती है।

हिन्दू धर्म में हंसों का काफी महत्व माना जाता है। ज्ञान की देवी माता सरस्वती का वाहन भी हंस है। वहीं हंस का दूध जैसा पवित्र रंग पवित्र रिश्ते की पवित्रता को भी दर्शाता है।

अक्सर आपने सफ़ेद रंग के ही हंस देखे होंगे। कहानी या फिल्मों में भी सफ़ेद रंग के हंसों को ही दिखाया जाता है लेकिन आस्ट्रेलिया में काले रंग के भी हंस पाए जाते है। हंसों को एक वफादार जीव माना जाता है जो अपने साथी के प्रति बहुत ज्यादा समर्पित और वफादार रहते है। यहीं कारण है कि जीवनसाथी के प्रति प्रेम के उदहारण के लिए हंसों के जोड़ों का उदहारण ही दिया जाता है। हंस स्वभाव के बहुत भावुक होते है। क्या आप जानते है हंसों के दांत नहीं होते है लेकिन अगर कोई इसके साथी या अंडों को नुक्सान पहुँचाने की कोशिश करता है तो ये उसका डटकर सामना भी करते है। हंस अक्सर समूह में ही रहते है और अपने समूह के प्रति भी संवेदनशील होते है। समूह से अलग जल्दी नहीं होते है। हालाँकि हंस उड़ भी सकते है लेकिन जब वह उड़ते है तो अपने शेप को बदलकर वी शेप में कर लेते है। अपने अक्सर देखा होगा कि जब हंसों का समूह चलता है तो वह एक लाइन में एक दूसरे के पीछे ही चलते है। ये उनकी ताकत का ही प्रतीक है। वहीं जब संचालन करने वाला हंस थक जाता है तो वो पीछे हट जाता है और दूसरा हंस उसकी जगह ले लेता है। हंसों की एक दुसरे के प्रति वफ़ादारी होने के कारण ही उन्हें प्रेम का प्रतीक माना जाता है।        

गायत्री वर्मा को मीडिया क्षेत्र में 7 वर्षों का अनुभव है। वे पिछले तीन वर्षों से गृहलक्ष्मी के साथ बतौर डिजिटल कंटेंट राइटर फ्रीलांस रूप में जुड़ी हुई हैं। विभिन्न विषयों पर प्रभावशाली लेखन की दक्षता रखने वाली गायत्री, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स...