Suhagrat Meaning: शादी की पहले और शादी के बाद होने वाली रस्में सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि नए रिश्ते की शुरुआत का एक खूबसूरत तरीका है। इन्हीं रस्मों में से एक है सुहागरात, जो एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। यह रस्में न केवल हिंदू शादियों में बल्कि बौद्ध, सिख, जैन और मुस्लिम परंपराओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
हालांकि, अलग-अलग संस्कृतियों में इसे निभाने का समय और तरीका भी काफी अलग-अलग होता है। जैसे पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में से शादी के चौथे दिन इसे मनाने का रिवाज है, जिसे शुभ माना जाता है। यह रस्में दो दिलों और परिवारों को जोड़ने का एक खास लम्हा होती है, जहां नए जीवन का सफर प्यार और विश्वास के साथ शुरू होता है।
क्या है ‘सुहागरात’ शब्द का मतलब
सुहागरात, यह शब्द सुनते ही हमारे मन में एक खास छवि उभरती है, लेकिन इसका मतलब सिर्फ एक पक्ष तक सीमित नहीं है। हिंदू भाषा के अनुसार, सुहागरात दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द ‘सुहाग’ जिसका अर्थ है सौभाग्य और वैवाहिक जीवन, और दूसरा शब्द है, ‘रात’ जो इस शुभ घटना की पहली रात को दर्शाती है। यह सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि शादी के बंधन में बंधे दो लोगों के जीवन में प्रेम और विश्वास का पहला कदम है।
2013 के सर्वे में हुआ सुहागरात को लेकर खुलासा
सुहागरात को लेकर 2013 में लॉन्जरी ब्रांड Bluebella द्वारा किए गए सर्वे ने शादी की पहली रात से जुड़ी कई दिलचस्प बातें सामने रखी। सर्वे के अनुसार 48% लोग शादी की रात को केवल सोना ही पसंद करते हैं, जिसमें 52% महिलाओं ने थकान को उसकी वजह बताया है। वहीं, 10% लोगों ने नशे की स्थिति में होने के कारण सोने को बेहतर ऑप्शन माना। अरेंज मैरिज वाले एक तिहाई जोड़ों ने बताया कि वह इंटिमेसी से पहले अपने पार्टनर को बेहतर तरीके से जानने के लिए 2 दिन का इंतजार करते हैं। साथ ही कई जोड़ों ने पहली रात इंटिमेट होने को लेकर प्रेशर महसूस करने की बात भी कहीं। सबसे ज्यादा दिलचस्प बात तो यह रही, की 16 % रेस्पॉन्डेंट्स अपनी पहली रात की उम्मीद पर खरा न उतरने से निराश हुए। यह सर्वे दिखाता है, की पहली रात को लेकर बनी धारणाएं और वास्तविकता में काफी अंतर हो सकता है।
