Sex During Periods: पीरियड्स के दौरान सेक्स या शारीरिक संबंध बनाने को लेकर कई भ्रांतियां है। कुछ लोग इसे ठीक मानते हैं तो कुछ लोग इसके पक्ष में नहीं होते। यह हिचकिचाहट चाहे महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियां बढ़ने या फिर ब्लीडिंग के कारण धब्बे या गंदगी फैलने के डर को लेकर हो सकती है। असल में पीरियड्स के दौरान सेक्स करें या नहीं- यह पति-पत्नी के कंफर्ट पर निर्भर करता है। अगर दोनों इसके लिए तैयार हैं- तो ज्यादा दिक्कत नहीं आती। खासकर कुछ महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होने की वजह से पीरियड्स में सेक्स करने की इच्छा ज्यादा होती है और सेक्स करने ज्यादा आनंद आता है। इसलिए जरूरी है कि अगर कपल्स पीरियड्स के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें, तो सेक्स लाइफ को एंजाय कर सकते हैैं-
क्या है फायदे–
पीरियड ड्यूरेशन होती है कम

रिसर्च बताती है कि पीरियड्स में महिलाओं को अतिरिक्त आर्गेज़्म की वजह से पीरियड्स की समयावधि छोटी हो जाती है यानी 5 दिन के बजाय पीरिड्स 4 दिन में भी खत्म हो सकते हैं। महिलाओं के आर्गेज्म के समय यूटरस की मांसपेशियों में संकुचन बढ़ जाता है, और यूटरस में इकट्ठा हुआ ब्लड एकसाथ रिलीज हो जाता है। जिसे देखकर लगता है कि ब्लीडिंग ज्यादा हुई हो। लेकिन यह पीरियड्स में आने वाला नॉर्मल ब्लड ही होता है जो संकुचन की वजह से कुछ समय के लिए रूक जाता है और इकट्ठा निकल जाता है।
मूड बनाए बेहतर
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की रिसर्च के हिसाब से पीरियड्स में शारीरिक संबंध बनाने से स्ट्रेस रीलीज होता है और महिलाओं को ज्यादा गुड फील करवाता है। आमतौर पर पीरियड्स के दौरान महिलाओं का स्वाभाव काफी चिड़चिड़ा तनावपूर्ण हो जाता है। ऐसे में रिलेशन बनाने से उनके शरीर से ऑक्सीटोसिन, डोपामिन, एंडोर्फिन और ऑक्सीटॉक्सिन हार्मोन रिलीज होते हैं। जिससे दिमाग में प्लेजर-सेंसर एक्टिवेट हो जाते हैं और महिला को आर्गेनिज्म की फीलिंग आती है और डर दूर होता है।
पीरियड्स संबंधी समस्याएं होती हैं दूर

हैप्पी हार्मोन रिलीज होने सेे महिला मे यूटरस में संकुचन से दर्द सहने की प्रकृति बढ़ जाती है। महिला को पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट के निचले हिस्से में दर्द, पीठ दर्द, सिर दर्द दूर होते हैं और मांसपेशियों में क्रैम्प्स से राहत मिलती है। हैप्पी हार्मोन रिलीज होने से महिलाओं को होने से मूड स्विंग, चिड़चिड़ाहट जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं।
नेचुरल लुब्रिकेंट करें कम
शारीरिक संबंध बनाते समय अगर महिला-पुरूष को ड्राईनेस या डिस्पेरेनिया महसूस होने पर्र आर्टिफिशियल लुब्रिकेंट इस्तेमाल करने पड़ते हैं। जबकि पीरियड्स की ब्लीडिंग नेचुरल लुब्रिकेंट का भी काम करता है और सेक्स के दौरान होने वाले दर्द में राहत मिलती है।
क्या होते हैं खतरे-
सेक्सचुअली ट्रांसमीटिड डिजीज की संभावना

एचआईवी, हेपेटाइटिस बी जैसे वायरल इंफेक्शन जो ब्लड से भी ट्रांसमिट होते हैं-पीरियड्स के दौरान बिना कंडोम के सेक्स करने पर उनके बढ़ने का खतरा बहुत ज्यादा हो जाता है। महिला-पुरूष दोनों ट्रांसमिट करने के लिए बहुत ज्यादा प्रोन होते हैं, इसलिए जरूरी है कि सेक्स के दौरान महिला-पुरूष दोनों को कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
इंफेक्शन होने का भी रहता है डर
पीरियड्स के दौरान ब्लड होने की वजह से वजाइना का पीएच लेवल बदल जाता है। वजाइना का नॉर्मल ऐसेटिक पीएच लेवल (3.8-4.5) के बजाय अलकलाइन पीएच लेवल होता है। ऐसेटिक पीएच लेवल जहां वजाइना को इंफेक्शन से बचाता है जबकि अलकाइन पीएच लेवल योनिमार्ग इंफेक्शन के लिए प्रोन हो जाता है। बिना कंडोम शारीरिक संबंध बनाने पर योनि मार्ग में कैंडिडिआसिस जैसे फंगल इंफेक्शन या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) एक संक्रमण बढ़ने और इंफेक्शन पार्टनर को भी ट्रांसमिट होने की संभावना रहती है।
कंफर्टेबल फील न करना

पीरियड्स के ब्लड में एक अजीब सी गंध आती है जो पसीने के साथ मिलकर असहनीय हो जाती है। ब्लीडिंग की वजह से बेडशीट पर दाग पड़ने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है जिससे कई बार वो शारीरिक संबंध बनाने से कतराती हैं।
गर्भवती होने का रहता है डर
अक्सर माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दौरान प्रेगनेंसी के 1-15 प्रतिशत संभावना रहती है। वो महिलाए जिनका माहवारी चक्र छोटा है यानी जिन्हें 20-22 दिन पर ही दोबारा माहवारी शुरू हो जाती है। उनमें ओव्यूलेशन पीरियड्स के 7-8वें दिन भी शुरू होने की संभावना रहती है जबकि आम महिला को ओव्यूलेशन 11-12वें दिन होता है। पीरियड्स में शारीरिक संबंध बनाने वाली महिलाओं के प्रजनन मार्ग या रिप्रोडक्टिव ट्रेक में पुरूष के शुक्राणु 5-7 दिन तक जीवित रह सकते हैं। जिससे कई मामलों में शुक्राणु महिलाओं के अंडे को फर्टिलाइज कर सकते हैं और महिला के प्रेगनेंट होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए जरूरी है कि कपल्स अगर प्रेगनेंसी प्लान नहीं कर रहे हैं, तो पीरियड्स के दौरान भी कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
रखें ध्यान

- पीरियड्स के दौरान शारीरिक संबंध बनाना तभी फायदेमंद रहता है जब दोनों पार्टनर इसके लिए इच्छुक या तैयार हों। अगर ऐसा नही है तो उनके शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज नहीं होंगे। जिससे उन्हें रिलेशन बनाने का कोई फायदा नहीं मिलेगा।
- शारीरिक संबंध बनाते समय किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए महिला-पुरूष दोनों को कंडोम इस्तेमाल करने चाहिए। महिलाओं के लिए बाजार में फीमेल कंडोेम आसानी से उपलब्ध हैं। पीरियड्स के दौरान अगर महिलाएं टैम्पोन, मेंस्ट्रअल कप या स्पांज का इस्तेमाल करती हैं, तो उन्हें शारीरिक संबंध बनाने से पहले निकालना नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि सेक्स के समय ये टैम्पोन महिला योनि से ऊपर की तरफ चले जाते हैं। ज्यादा ऊपर जाने पर इन्हें निकालने में मुश्किल आ सकती है और महिला को मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ सकती है।
- पीरियड्स में दाग पड़ने की समस्या से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है। जैसे- बेडशीट के ऊपर छोटा और मोटा टॉवल बिछा सकते हैं जिसे बाद में आराम से धोया जा सकता है। सेक्स करते समय आसपास टिशू पेपर रखें ताकि ब्लीडिंग का फ्लो ज्यादा होने या रिलीज हुए सीमन को आसानी से साफ कर सकते हैं। कपल्स चाहें तो शॉवर में भी संबंध बना सकते हैं और सफाई बनी रहेगी।
- पीरिड्स में सेक्स के समय डीप पेनिट्रेशन अवायड करना बेहतर है। क्योंकि इस समय महिलाओं का सर्विक्स नीचे की तरफ आ जाता है और बहुत सेंसेटिव होता है। डीप पेेनिट्रेशन से महिला पार्टनर को दर्द हो सकता है। इसका ध्यान रखना जरूरी है।
(डॉ मणि कपूर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, द हीलिंग टच मैटरनिटी सेंटर, दिल्ली)