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इंटेलिजेंस कोशेंट खासतौर पर आज की पीढ़ी की जरूरत है। यह वो ज्ञान है जो उन्हें किताबों से नहीं मिलता, बल्कि इसके लिए उनके बड़ों को शिक्षा देनी होती है। जिन लोगों में इमोशनल कोशेंट विकसित होता है वे तनाव, डिप्रेशन, मेंटल इलनेस से दूर रहते हैं।
Emotional Quotient: ‘भावनाओं में बहकर लिए गए फैसले अक्सर गलत होते हैं।’ ये बात आपने भी सुनी होगी। आज के समय में भावुक लोग अक्सर ठगे जाते हैं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि इंसान एक भावुक प्राणी है और अपने फैसलों में वे अपनी भावनाओं यानी इमोशन को भी शामिल करता है। ऐसे में पर्सनल या प्रोफेशनल लाइफ में अगर आप सही फैसले लेना चाहते हैं तो इमोशन के साथ प्रैक्टिकल सोच अपनाना भी जरूरी है। इस स्थिति में काम आती है आपकी इमोशनल कोशेंट यानी ईक्यू। इसे आप इमोशनल इंटेलिजेंस या भावनात्मक बुद्धिमत्ता भी कह सकते हैं। कुल मिलाकर यह इमोशनल और अकल का मेल है जो जीवन के हर मोर्चे पर आपको सहारा देगा और आप हमेशा सही निर्णय ले पाएंगे।
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इसलिए जरूरी है इमोशनल कोशेंट

विशेषज्ञों के अनुसार इंटेलिजेंस कोशेंट खासतौर पर आज की पीढ़ी की जरूरत है। यह वो ज्ञान है जो उन्हें किताबों से नहीं मिलता, बल्कि इसके लिए उनके बड़ों को शिक्षा देनी होती है। जिन लोगों में इमोशनल कोशेंट विकसित होता है वे तनाव, डिप्रेशन, मेंटल इलनेस से दूर रहते हैं। आमतौर पर लोग आईक्यू को महत्व देते हैं, लेकिन इंसान की सफलता में यह करीब 20 प्रतिशत ही मदद करती है, बाकी की 80 प्रतिशत सफलता उसकी इमोशनल कोशेंट पर निर्भर करती है। ऐसे में इमोशनल कोशेंट या इमोशनल इंटेलिजेंस विकसित होना बेहद जरूरी है। यह दूसरों को जानने और समझने की कला है। साथ ही अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने का हुनर भी है। यही कारण है कि जो लोग इमोशनली इंटेलिजेंट होते हैं वे बदलाव के साथ आसानी से खुद को ढाल लेते हैं।
उम्र का भी होता है असर
आपने महसूस किया होगा कि कई बार टीनएज बच्चे गुस्से में या बहुत ज्यादा खुशी में कोई फैसला ले लेते हैं और बाद में उनको पछतावा होता है। ऐसा आमतौर पर इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी के कारण होता है। इमोशनल इंटेलिजेंस का उम्र के साथ गहरा कनेक्शन है। आमतौर पर यह उम्र के साथ बढ़ता है। जैसे टीनएजर्स में यह कम होता है, लेकिन 30 की उम्र के बाद यह बढ़ने लगता है। उम्र के साथ सभी अपनी भावनाओं का सही से उपयोग करना सीख लेते हैं। लेकिन आप जितना जल्दी ये सीख लेंगे, आपको उतना ही फायदा होगा। इसके बल पर आप व्यावहारिकता के साथ अपने फैसले ले सकेंगे।
करियर बनाने के लिए है जरूरी
करियर बनाने में इमोशनल इंटेलिजेंस या इमोशनल कोशेंट बहुत मायने रखता है। इसके कारण आप आत्मनिर्भर बन पाते हैं। आप अपनी बातें अच्छे से कम्यूनिकेट कर पाते हैं, जिससे जॉब में भी आपकी परफॉर्मेंस बेहतर होती है। जब आप किसी भी फैसले के सभी पहलुओं पर गौर करते हैं तो यह निर्णय सही होता है। ऐसे में आप कई टेंशन से दूर रहते हैं। इतना ही नहीं जब आप इमोशनली इंटेलिजेंट होते हैं तो आप विफलताओं और आलोचनाओं को भी ठीक तरीके से हैंडल कर पाते हैं।
ऐसे विकसित करें इमोशनल इंटेलिजेंस
आप अपने कुछ प्रयासों से ही इमोशनल इंटेलिजेंस बढ़ा सकते हैं। पेरेंट्स को बचपन से ही बच्चों को इसके विषय में उदाहरणों के साथ बताना चाहिए। इसे विकसित करने के लिए सबसे पहले आप खुद को लेकर सचेत रहें। अपनी भावनाओं को पहचानें और ये भी जानने की कोशिश करें कि आप उन पर कैसे रिएक्शन करते हैं। धीरे-धीरे अपनी गलतियों को सुधारें। साथ ही ये भी जानने की कोशिश करें कि आपके रिएक्शन से दूसरों पर क्या असर होता है। दूसरों की बातें ध्यान से सुनने की कोशिश करें। अपने संवाद को हमेशा साफ और सौम्य रखें। एकदम से गुस्सा न हो, अपने गुस्से को कंट्रोल करना सीखें। वहीं हर बात में नेगेटिव न सोचें, पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ें। इन सभी कोशिशों से आप इमोशनली स्ट्रॉन्ग होंगे।
