Relationship
Ambivalent Relationship Credit: Istock

Ambivalent Relationship: किसी भी रिश्‍ते को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है विश्‍वास और भरोसा। समय के साथ भरोसे को बरकरार रखना और उसे जिंदगीभर मेंटेन करना कई बार चुनौ‍तीपूर्ण हो जाता है। भरोसा टूटने की स्थिति में रिश्‍ता कासम रखा जाए या तोड़ दिया जाए इन बात को लेकर भी कंफ्यूजन बना रहता है। इसी असमंजस से भरे रिश्‍ते को एंबिवेलेंट रिलेशनशिप कहा जाता है। ये रिश्‍ता सबसे खतरनाक होता है जिसमें आप पार्टनर की खुशी चाहते भी हैं और नहीं भी। एंबिवेलेंट रिलेशनशिप व्‍यक्ति के मानसिक तनाव का कारण भी बन सकता है। यदि आप भी इस प्रकार के रिश्‍ते में उलझ गए हैं तो इन लक्षणों से करें पहचान। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।

क्‍या है एंबिवेजेंट रिलेशनशिप

Ambivalent Relationship-एंबिवेजेंट रिलेशनशिप को कैसे करें मैनेज
What is an ambivalent relationship

ये रिश्‍ता आजकल की यंग जनरेशन की सच्‍चाई है। जिसमें वह रिलेशनशिप को लेकर न पूरी  तरह से सकारात्‍मक होते हैं और न पूरी तरह से नकारात्‍मक। इस प्रकार के रिश्‍ते में पार्टनर्स को मिले-जुले संकेत होते हैं। ये आपके रिश्‍ते को जटिल बना सकता है। एंबिवेजेंट रिलेशनशिप कपल्‍स, दोस्‍तों, परिचित और परिवार वालों के साथ हो सकता है।

एंबिवेजेंट रिलेशनशिप का कारण

विरोधाभासी भावनाएं: विरोधाभासी भावनाएं अक्सर दूसरों के प्रति दोहरी भावनाओं को व्‍यक्‍त करती हैं। जरूरत से ज्‍यादा प्‍यार करने वाले विरोधाभासी भावनाओं से ग्रसित हो सकते हैं। वह सामने वाले को दिखावे का प्‍यार कर सकते हैं।

रिश्‍ते के प्रति डर: कई बार रिश्‍ता खत्‍म न हो जाए इस डर ये लोग इसे बनाए रखना चाहते हैं। फिर भले चाहे इसमें प्‍यार हो या न हो। इस असमंजस की स्थिति रिश्‍ते को प्रभावित कर सकती है।

कम्‍यूनिकेशन की कमी: खुलकर बात न करने की वजह से भी एंबिवेजेंट रिलेशनशिप की स्थिति बन सकती है। जब दो लोगों के बीच कड़वाहट आ जाती है तो वह कम्‍यूनिकेट करना बंद कर देते हैं लेकिन साथ रहना चाहते हैं।

खामियों को देखना: कोई भी व्‍यक्ति परफेक्‍ट नहीं होता लेकिन जब व्‍यक्ति अपने पार्टनर की अच्‍छाई को छोड़ केवल खामियों पर फोकस करने लगता है तो एंबिवेजेंट रिलेशनशिप की स्थिति बन सकती है।

दूसरे की चाहत: जब व्‍यक्ति अपने पार्टनर के अलावा तीसरे व्‍यक्ति को पाने की चाहत रखने लगता है तो वह असमंजस स्थिति में आ जाता है। 

एंबिवेजेंट रिलेशनशिप के लक्षण

खुद को अहमियत देना: जब व्‍यक्ति रिश्‍ते के बारे में न सोचकर सिर्फ अपनी भावनाओं और कार्यों को अहमियत देता है तो समझिए आपका रिश्‍ता असमंजस में है।

अकेले रहना: यदि आपका साथी अकेले रहना पसंद करता है तो ये एंबिवेजेंट रिलेशनशिप का संकेत है। ऐसे में व्‍यक्ति आपके साथ रहना या संपर्क करना नहीं चाहता।

बातों को उलझाना: यदि आपका पार्टनर आपके साथ रिश्‍ता नहीं रखना चाहता लेकिन आपको जाने भी नहीं देना चाहता तो वह आपको बातों में उलझाएगा। छोटी-छोटी बातों पर बहस करेगा।

असुरक्षित महसूस करना: कई रिश्‍ते असुरक्षा की भावना से ग्रसित होते हैं। पार्टनर को डर होता है कि आप क‍हीं रिश्‍ता तोड़ न दें। इस डर से आपका रिश्‍ता एंबिवेजेंट रिलेशनशिप हो सकता है।

एंबिवेजेंट रिलेशनशिप को कैसे करें मैनेज

एंबिवेजेंट रिलेशनशिप को कैसे करें मैनेज
How to manage an ambivalent relationship

बदलने की कोशिश न करें: पार्टनर्स एक दूसरी की खामियों को एक्‍सेप्‍ट करें। वह जैसा है उसे बदलने की कोशिश न करें।

भावनाएं करें व्‍यक्‍त: आप रिश्‍ते और अपने साथी के बारे में क्‍या सोचते हैं, उसे व्‍यक्‍त करें। जब तक आप अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त नहीं करेंगे तब तक आपका रिश्‍ता असमंजस में रहेगा।

खुलकर करें संवाद: यदि रिश्‍ते में कोई गांठ है तो उसे खुलकर कहें। अपनी बात कहने से रिश्‍ता सुलझ सकता है।

बिताएं क्‍वालिटी टाइम: रिश्‍ते को सुधारने के लिए जरूरी है आप एक-दूसरे के साथ क्‍वालिटी टाइम बिताएं। इससे रिश्‍ते को सामान्‍य बनाने में मदद मिलेगी।

इन बातों का रखें ध्‍यान

– दोबारा रिश्‍ता शुरू करने से पहले अपनी इच्‍छाओं और आवश्‍यकताओं के बारे में सोच लें।

– पार्टनर को अपने ऊपर हावी न होने दें।

– असुरक्षा और मानसिक तनाव की स्थिति में रिश्‍ता खत्‍म कर दें।

– अपनी भावनाओं और आत्‍मसम्‍मान की कद्र करें।