Summary: 'तुम हमेशा…' वाली आदतें: प्यार को तोड़ने वाले छिपे कारण
‘तुम हमेशा’ जैसे वाक्य रिश्तों में गलतफहमियां और झगड़े बढ़ाते हैं, इसलिए सोच-समझकर शब्दों का चयन करें।
Common Relationship Communication Mistakes: किसी भी रिश्ते में प्यार और भरोसा जिस तरह महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार बातचीत भी महत्वपूर्ण है। लेकिन जब रिलेशनशिप में बातचीत में ‘तुम हमेशा’ जैसे शब्द अपनी जगह बना लेते हैं तो यह हमारे रिश्ते को धीरे-धीरे कमजोर बनाने लगता है। रिलेशनशिप में जब हम अपने पार्टनर से कहते हैं, तुम हमेशा ऐसा ही करते हो, तुम कभी भी मेरी बात नहीं मानते इस तरह के वाक्य सुनने में बहुत ही सामान्य लगते हैं, लेकिन यह हमारे रिश्ते को गहराई तक नुकसान पहुंचाते हैं। आईए जानते हैं इस लेख में इन शब्दों के पीछे की भावना को और यह भी की कैसे इससे अपने रिश्ते को बचाएं।
इन शब्दों के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण

सामान्यीकरण की आदत: जब हम अपने पार्टनर से जुड़ी किसी एक घटना या गलती को उसकी आदत मानकर उसका सामान्यीकारण अर्थात अपने साथी द्वारा आमतौर पर किया जाने वाला बर्ताव समझ लेते हैं अपने साथी के व्यक्तित्व की पूरी पहचान उस गलती से जोड़कर देखते हैं।
भावनाओं के कारण: अक्सर जब पार्टनर्स एक दूसरे से नाराज होते हैं झगड़ा करते हैं तब वह इस तरह के शब्द प्रयोग करते हैं। इसका कारण वह अपने रिलेशनशिप में किसी एक गलती को बार-बार होने वाला मुद्दा मान लेते हैं।
पिछले अनुभव: रिलेशनशिप में जब पार्टनर्स अपने मन में पुरानी शिकायतें दबाकर रखते हैं तो आगे आने वाले झगड़ों में वह बार-बार उस बात को घसीटते हैं। रिलेशनशिप में ‘तुम हमेशा’ वाली बात के कुछ उदाहरण है, तुम कभी मेरी बात नहीं सुनते, तुम हमेशा बिजी रहते हो, तुम हमेशा देर से घर आते हो, तुम हमेशा गुस्से में ही रहते हो या रहती हो।
इस तरह के वाक्य का रिश्ते पर असर
डिफेंसिव होना: जब आप अपने साथी के साथ ‘तुम हमेशा’ वाले वाक्य प्रयोग करते हैं तो वहां बात समझने या करने की स्थिति से परे खुद को डिफेंस करने पर केंद्रित हो जाता है। इस स्थिति में सामने वाला व्यक्ति समस्याओं को सुलझाने के बजाय खुद के बचाव पर ध्यान देता है और फिर रिश्ते में शुरू होता है, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला।
भरोसे में कमी और दूरी: जब रिश्ते में इस तरह के वाक्य बार-बार प्रयोग होते हैं तो रिश्ते में झगड़ा, बहस बढ़ जाते हैं जिससे पार्टनर्स के बीच एक-दूसरे पर भरोसे में कमी आने लगता है पार्टनर खुद को ‘तुम हमेशा’ वाले गिल्ट से बचाने के लिए अपने साथी से खुलकर बात करना या अपनी बातें साझा करना कम कर देते हैं, जिस कारण उनके बीच में भावनात्मक दूरी बढ़ जाती है और साथी में एक दूसरे से बात करने की इच्छा भी घटती है।
‘तुम हमेशा’ नहीं, सकारात्मक वाक्य कहें
अगर आप अपने साथी से तुम हमेशा ऐसा करते हो, तुम हमेशा मुझे इग्नोर करते हो जैसे वाक्य कहते हैं तो इसे छोड़ दें, इसकी जगह कुछ सकारात्मक वाक्य प्रयोग करें जैसे,
अगर आप साथी से कहते हो तुम हमेशा घर देर से आते हो तुम्हें मेरी फिक्र नहीं होती तो इसकी जगह आज से ही बोलना शुरू करें,
तुम्हारे घर देर से आने के कारण मुझे अकेलापन महसूस होता है, मुझे तुम्हारी फिक्र होने लगती है, प्लीज क्या तुम थोड़ा जल्दी समय से घर आ सकते हो।
सकारात्मक वाक्य के फायदे: जब आप अपने रिश्ते में सकारात्मक वाक्य का प्रयोग करते हैं तो आप अपने साथी के साथ आरोप-प्रत्यारोप के खेल से बचते हैं।
आपके रिश्ते में झगड़े कमते हैं, आपका साथी आपको सुनने के लिए तैयार होता है और सबसे महत्वपूर्ण बात सकारात्मक वाक्य आपके रिश्ते में भरोसा और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाते हैं।
