Way To Boost Sexuality: पीरियड्स और मेनोपॉज हर महिला की जिंदगी का अहम हिस्सा होता है। इस दौरान होने वाले प्राकृतिक बदलाव न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। आमतौर पर महिलाओं को 45 से 50 वर्ष तक की उम्र में मेनोपॉज का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में महिलाओं को हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग्स, डिप्रेशन , नींद की कमी और लो सेक्स ड्राइव जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। अधिकांश महिलाओं की सेक्स लाइव लगभग समाप्त ही हो जाती है। माना जाता है कि मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती है, जिससे सेक्स के प्रति रुचि प्राकृतिक रूप से कम होना स्वाभाविक है। लेकिन मेनोपॉज के बाद जिंदगी को यदि अलग नजरिए से देखना शुरू किया जाए तो महिलाएं सेक्स का भरपूर आनंद भी उठा सकती हैं। शारीरिक बदलावों के साथ सेक्स लाइफ को कैसे खुशनुमा बनाया जा सकता है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
मेनोपॉज कैसे करता है सेक्सुअलिटी को प्रभावित

मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन की कमी एक महिला के शरीर और सेक्स ड्राइव में बदलाव ला सकती है। मेनोपॉज और पोस्टमेनोपॉज के दौरान महिलाएं आसानी से उत्तेजित नहीं होती हैं। वह पार्टनर द्वारा छूने और सहलाने के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप उनकी सेक्स में रुचि कम हो सकती है। शरीर में एस्ट्रोजन के निम्न स्तर के कारण योनि में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है जो लुब्रिकेशन को प्रभावित कर योनि को अधिक सूखा और संवेदनशील बना देती है। हार्मोन्स के अलावा ब्लैडर कंट्रोल प्रॉब्लम, नींद की कमी, चिंता, डिप्रेशन, तनाव, दवाईयां और अन्य स्वास्थ्य चिंताएं भी सेक्सुअलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या मेनोपॉज हर महिला की सेक्सुअलिटी पर डालती है असर
हर महिला की शारीरिक इच्छा और क्षमताएं अलग-अलग होती हैं। मेनोपॉज के दौरान और बाद में कुछ महिलाएं सेक्स से पूरी तरह से दूरी बना लेती हैं वहीं कुछ महिलाओं की यौन इच्छा में सुधार हो सकता है। अक्सर महिलाएं गर्भधारण के डर से शारीरिक संबंध बनाने से डरती हैं लेकिन मेनोपॉज के बाद वह पूरी तरह से बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाती हैं जिसकी वजह से वह सेक्स को पूरी तरह से इन्ज्वॉंय करने लगती हैं। ये महिला की मानसिक स्थिति पर भी निर्भर करता है कि वह सेक्स और पार्टनर को किस नजरिए से देखती हैं।
मेनोपॉज के दौरान होने वाले बदलाव

डिप्रेशन: मेनोपॉज का सबसे ज्यादा प्रभाव महिला की मानसिक स्थिति पर पड़ता है। कुछ महिलाएं इस दौरान डिप्रेशन और तनाव का शिकार हो जाती हैं जिससे उनकी सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो सकती है।
नींद की कमी: मेनोपॉज के दौरान अक्सर महिलाओं को हॉट फ्लैशेज की समस्या हो जाती है जिससे उन्हें नींद की कमी महसूस हो सकती है। हार्मोन स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण सेक्स में रुचि कम हो सकती है।
मूड स्विंग: मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के स्वभाव में भी बदलाव देखा जा सकता है। मूड स्विंग्स की वजह से चिड़चिड़ाहट, गुस्सा और अकेलापन महसूस हो सकता है।
वैजाइनल इंफेक्शन: इस दौरान महिलाओं को वैजाइनल इंफेक्शन का खतरा भी सता सकता है। शरीर में होने वाले बदलावों की वजह से वैजाइना में बैक्टीरिया का स्तर बढ़ सकता है जिससे इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
सेक्स में मुश्किल: मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को उत्तेजित होने में काफी समय लगता है। साथ ही ऑर्गेज्म तक पहुंचने में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। कई महिलाओं को वैजाइनल इंफेक्शन और ड्राइनेस की वजह से सेक्स के दौरान दर्द भी महसूस हो सकता है।
मेनोपॉज में कैसे ब़ढ़ाएं सेक्सुअलिटी

मेनोपॉज के दौरान अधिकांश महिलाओं की यौन इच्छा कम हो जाती है लेकिन छोटे-छोटे बदलावों और कोशिशों से सेक्सुअलिटी को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ महिला को ही नहीं बल्कि पार्टनर को भी एफर्ट लगाने की आवश्यकता है।
कामुक वीडियो या किताबें: सेक्स लाइफ को रोमांचक बनाने के लिए महिलाएं अपने पार्टनर के साथ कामुक वीडियो या किताबों का आनंद उठा सकती हैं। इसके अलावा मास्टरबेशन और सेक्सुअल रुटीन में बदलाव करके भी सेक्स के प्रति रुचि को बढ़ाया जा सकता है।
डिस्ट्रेक्शन टेक्नीक: एंग्जाइटी और तनाव को कम करने के लिए डिस्ट्रेक्शन टेक्नीक का उपयोग किया जा सकता है। इसमें कामुक और गैर-कामुक कल्पनाएं, सेक्स योगा, म्यूजिक, वीडियो और टेलीविजन को शामिल किया जा सकता है।
फोरप्ले का आनंद: सेक्स का पूरी तरह से आनंद उठाने के लिए फोरप्ले को अधिक महत्वत्ता दी जानी चाहिए। फोरप्ले से महिलाओं को उत्तेजित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा सेंसुअल मसाज और ओरल सेक्स जैसी गतिविधियों को भी शामिल किया जा सकता है।
लाइफस्टाइल में बदलाव: सेक्सुअलिटी को बढ़ावा देने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना बेहद जरूरी है। पेल्विक एक्सरसाइज और डाइट को अपने रुटीन में शामिल करके हार्मोन के स्तर को सामान्य किया जा सकता है।
सेक्सुअल पोजीशन: कई बार एक जैसी स्थिति, माहौल और पोजीशन में सेक्स करना बोरिंग और ऊबाउ लगने लगता है। जिससे सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो सकती है। खासकर महिलाएं एक जैसे रुटीन से बहुत जल्दी ऊब जाती हैं। ऐसे में सेक्स पोजीशन में बदलाव करके सेक्स ड्राइव को उत्तेजित किया जा सकता है।
शरीर को रखें शांत: सेक्स करने से पहले यदि गर्म पानी से स्नान कर लिया जाए तो सेक्स अधिक आनंददायक लग सकता है। इससे शरीर की मांसपेशियों और दर्द को शांत करने में मदद मिल सकती है।
लुब्रिकेंट का प्रयोग: मेनोपॉज के कारण वैजाइना अधिक ड्राई या सूखी हो जाती है। ड्राई वैजाइना भी सेक्सुअल हेल्थ को प्रभावित कर सकती है। इसलिए मीटिंग के दौरान वैजाइनल लुब्रिकैंट का प्रयोग कर सकते हैं ताकि सेक्स करना आरामदायक हो सके।
मेडिटेशन अपनाएं: शारीरिक और मानसिक शांति के लिए मेडिटेशन को अपनाया जा सकता है। मेडिटेशन करने से न सिर्फ मस्तिष्क की मांसपेशियों को रिलेक्स करने में मदद मिलती है बल्कि अन्य विषयों के प्रति नजरिया भी बदल जाता है। मेडिटेशन के दौरान आप अपनी सेक्सुअल हेल्थ और पार्टनर के बारे में विचार कर सकते हैं।
कम्यूनिकेशन: सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए जरूरी नहीं कि आप सिर्फ सेक्स पर ही फोकस करें। चीजों को सुलझाने के लिए पार्टनर्स के बीच बेहतर कम्यूनिकेशन का होना भी आवश्यक है। महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में पार्टनर से खुलकर बात करें।
