fifty shades of grey novel in Hindi
fifty shades of grey novel in Hindi

fifty shades of grey novel in Hindi: वह झटके से अलग हुआ और मैं कराही। वह पलंग पर उठ बैठा।

“चलो! जल्दी से कपड़े पहनो-अगर मेरी मॉम से मिलना है तो…।”

उसने झट से जींस चढ़ा ली।” क्रिस्टियन मैं तो हिल भी नहीं सकती।”

मैंने उठने की कोशिश की।

उसने खीसें निपोरीं और आगे आकर टाई खोल दी। ये क्या…मेरी कलाईयों पर टाई का नमूना उभर आया है। ये तो बड़ा सेक्सी लग रहा है…। उसने उसे घूरा और उसकी आंखें गहरी खुशी से चमक उठीं। मेरा माथा चूमा और बोला

“मेरी जिंदगी में एक और पहली बार…।” वैसे मुझे समझ नहीं आया कि वह कहना क्या चाहता था।

“मेरे पास साफ कपड़े नहीं हैं।” मैं अचानक ही उसकी मॉम से मिलने के नाम से भयभीत हो गई। उसकी मॉम!! हाय। यहां पहनने को साफ कपड़े तक नहीं हैं और मुझे एक धनी भद्र महिला से मिलाने ले जाया जा रहा है।

“क्यों न मैं यहीं रुक जाऊं?”

“अरे नहीं, तुम ऐसा नहीं कर सकतीं।” क्रिस्टियन ने धमकी दी। तुम मेरे कपड़ों में से कुछ भी पहन सकती हो। उसने जल्दी से सफेद टी-शर्ट पहनी और अपने बिखरे बालों में हाथ फिराया। अपनी चिंता के बावजूद मैं फिर से उसकी सुदंरता में खो गई।

“एनेस्टेसिया! अगर तुम बोरी भी पहन लोगी तो प्यारी दिखोगी। अब चिंता मत करो। मैं तुम्हें अपनी मॉम से मिलाना चाहूंगा। जल्दी से कपड़े पहन लो। मैं जाकर उन्हें शांत करता हूं।”

उसके चेहरे की रेखाएं सख़्त हो आईं- “पांच मिनट में कमरे में नहीं आईं तो मैं यहां आकर तुम्हें घसीट ले जाअंगा, भले ही तुम किसी भी हाल में क्यों न हो। मेरे टी-शर्ट दराज में हैं और शर्ट अलमारी में हैं। जो जी में आए, पहन लो।” उसने मुझे घूरा और कमरे से निकल गया।

हाय भगवान! क्रिस्टियन की मॉम! यार ये तो कुछ ज्यादा ही नहीं हो गया। वैसे एक बात भी है। हो सकता है कि उनसे मिलने के बाद इस क्रिस्टियन नाम की पहेली को सुलझाने में थोड़ी मदद मिल जाए। हो सकता है कि मैं समझ सकूं कि वह जैसा है…वैसा क्यों है? अचानक ही उसकी मॉम से मिलने की इच्छा जाग गई। मैं उनसे मिलना चाहती हूं। यहां-वहां ताका तो अपनी शर्ट पा कर बड़ी खुशी हुई और खुशकिस्मती से उस पर सलवटें भी नहीं पड़ी थीं। बस मुझे गंदे अंतर्वस्त्र पहनने बिल्कुल पसंद नहीं हैं। चिंता की क्या बात है। मैंने क्रिस्टियन की अलमारी की सेवाएं लीं और झट से जींस व जूते पहन लिए।

जैकेट लपकते हुए बाथरूम में गई तो अपना चेहरा देखकर दंग रह गई। ओह! मेरा घबराहट से लाल चेहरा और बिखरे बाल। आसपास ब्रश या कंघी खोजी। फिर जल्दी से बाल सिर के पीछे बांध लिए। जैकेट पहन कर मन को तसल्ली मिली। उसकी बाजुओं ने टाई बांधने से बने निशान छिपा लिए थे। फिर मैं एक भी पल गंवाए बिना बड़े कमरे में चल दी।

“ये रही!” क्रिस्टियन अपने काउच से उठ खड़ा हुआ

उसके चेहरे के भाव गरमाहट और प्रशंसा से भरे हैं। सफेद बालों वाली महिला उठी और मुझे चकाचक मुस्कान देते हुए आगे आईं। उन्होंने भूरे रंग के स्वेटर के साथ मेल खाते जूते पहन रखे हैं। वे दिखने में ही शालीन, भद्र और सभ्य दिख रही हैं और मैं यह जानकर अंदर ही अंदर मर रही हूं कि मैं उन्हें इस हाल में कैसी दिख रही होऊंगी।

“मॉम! ये है एनेस्टेसिया स्टील! एनेस्टेसिया! ये हैं ग्रेस ट्रेवलियन-ग्रे।”

डॉ. टन्न्रैवलियन ग्रे ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। टी से ट्रेवलियन…अच्छा उसके साइन होते हैं।

“तुमसे मिल कर खुशी हुई।” वे बोलीं। अगर मैं गलत नहीं हूं तो पता नहीं क्यों मुझे उनके सुर में एक अजीब-सी राहत का एहसास हुआ। आंखें प्यार भरी गरमाहट से चमक रही थीं। मैंने उनका हाथ थामा और वही प्यार भरी मुस्कुराहट दिए बिना रहा नहीं गया।

“डॉ. ट्रेवलियन ग्रे! “मैं हौले से बोली

“मुझे ग्रेस कहो।” वे मुस्कुराईं और क्रिस्टियन ने भवें नचाईं।” वैसे मेरा नाम डॉट्रेवलियन है और मिसेज ग्रे मेरी सासू मां हैं।” उन्होंने आंख दबाई “तो तुम दोनों कैसे मिले?” वे अपना कौतूहल छिपा नहीं सकीं और क्रिस्टियन को सवालिया निगाहों से देखा।

“एनेस्टेसिया ने डब्लयूएसयू के स्टूडेंट पेपर के लिए मेरा इंटरव्यू लिया था क्योंकि मैं इस सप्ताह वहां डिग्रियां देने वाला हूं।”

हो गया कबाड़ा ! मैं तो भूल ही चुकी थी।

“तो इस सप्ताह तुम ग्रेजुएट होने जा रही हो?” ग्रेस ने पूछा

“जी।”

मेरा सेल फोन बजने लगा। मैंने मन ही मन सोचा कि केट ही होगी।

“एक्सक्यूज़ मी! ये किचन में रखा है।”

मैंने आगे जाकर नाश्ते की मेज से फोन उठा लिया और नंबर भी नहीं देखा।

“हैलो केट! “

“एना!! “

अरे, ये तो जोस की आवाज़ है। वह बड़ा ही मायूस लगा।” तुम कहां हो! मैं तुम्हें कब से खोज रहा हूं। मैं तुमसे मिलना चाहता हूं। शुक्रवार को मैंने जो भी बर्ताव किया, उसके लिए माफी मांगना चाहता हूं। तुमने मेरे कॉल का जवाब क्यों नहीं दिया?”

“देखो जोस! अभी इन बातों के लिए सही वक्त नहीं है।” मैंने कनखियों से क्रिस्टियन को ताका, जो मुझे ही घूर रहा था, उसने चेहरे के इन्हीं भावों के साथ अपनी मॉम से कुछ कहा। मैंने उसकी ओर से पीठ मोड़ ली।

“तुम कहां हो? केट भी छका रही है।” वह बोला

“मैं सिएटल में हूं।”

“तुम सिएटल में क्या कर रही हो? कौन है तुम्हारे साथ?”

“जोस! मैं बाद में बात करूंगी। अभी बात नहीं कर सकती।” मैंने फोन रख दिया।

मैं क्रिस्टियन और उसकी मॉम के पास वापिस आ गई। ग्रेस पूरे मूड में दिखीं।

“……और इलियट ने बताया कि तुम आए हुए हो-डार्लिंग! तुम्हें देखे हुए दो सप्ताह हो गए थे।”

“क्या उसने अभी फोन किया था? क्रिस्टियन मुझे घूरते हुए हौले से बोला पर उसके चेहरे के भाव समझ नहीं आ रहे थे।

“मैंने सोचा था कि लंच एक साथ लेते पर मैं देख सकती हूं कि तुम्हारे पहले से ही कुछ प्लांस बने हुए हैं और मैं तुम्हारे कार्यक्रम में दखल नहीं देना चाहती।” उन्होंने अपना क्रीम रंग का लंबा कोट उठाया और उसकी तरफ मुड़ते हुए अपना गाल आगे कर दिया। क्रिस्टियन ने प्यार से उनका गाल चूमा पर उन्होंने उसे नहीं छुआ।

“मुझे एनेस्टेसिया को वापिस पोर्टलैंड ले जाना है।”

“बेशक डार्लिंग! एनेस्टेसिया, तुमसे मिल कर अच्छा लगा। उम्मीद करती हूं कि हमारी अगली मुलाकात जल्द ही होगी।” उन्होंने अपना हाथ आगे किया और हमने अपने हाथ मिलाए।

टेलर पता नहीं कहां से फिर प्रकट हो गया। कहां?

” मिसेज ग्रे?” उसने पूछा

“थैंक यू टेलर! “वह उन्हें कमरे से बाहर बरामदे तक ले गया। टेलर सारा समय यहीं था? ये यहां कितने समय से था? कहां था?

क्रिस्टियन ने मुझे घूरा

“तो फोटोग्राफर का फोन था?”

हो गया कबाड़ा!

“हां।”

“वह चाहता क्या है?”

“बस माफी मांग रहा था। वही उस दिन वाली बात…।”

क्रिस्टियन ने आंखें सिकोड़ीं।

“आई सी! “उसने इतना ही कहा

टेलर फिर से हाज़िर हो गया।

“मि. ग्रे! डारफर शिपमेंट के मामले में बात करनी थी।”

क्रिस्टियन ने उसकी ओर गर्दन घुमाई

“चार्ली टैंगो बोईंग फील्ड पहुंच गया?”

“जी, सर।”

टेलर ने मुझे देखकर गर्दन हिलाई।

“मिस स्टील! “

मैंने भी उसे देखकर मुस्कान दी और वह मुड़कर लौट गया।

“क्या वह यहीं रहता है? टेलर?”

“हूं! “उसने सख्त सुर में जवाब दिया। इस बंदे की मुश्किल क्या है?

क्रिस्टियन रसोई की ओर गया और अपना ब्लैकबैरी उठा लिया, शायद कुछ ई-मेल देख रहा था। उसने एक फोन मिलाया तो चेहरे पर गंभीर सी रेखाएं खिंच गईं।

“रोस! क्या दिक्कत है?” वह झपटा। उसने बात सुनते हुए मुझे देखना जारी रखा और मैं उस बड़े से कमरे में खड़ी सोच रही थी कि क्या करूं। बेशक मैं उस जगह के लिए खुद को असहज पा रही थी।

“मैं क्रू को भी खतरे में नहीं डाल रहा। नहीं, रद्द करो…। इसकी बजाए हम…।” फिर उसने फोन रख दिया। उसकी आंखों की गरमाहट जाने कहां गुम हो चुकी थी। उसने मुझे ताका और अपनी स्टडी की तरफ चल दिया और वहां से लौट भी आया।

“ये रहा अनुबंध! इसे पढ़ो और हम अगले सप्ताहांत पर चर्चा करेंगे। मैं सलाह दे सकता हूं कि तुम थोड़ी खोजबीन कर लो ताकि तुम्हें कम से कम पता तो हो कि इसमें क्या-क्या होता है। अगर…तुम तैयार हो तो… और मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम तैयार ही होगी।” उसने अपने सुर में बदलाव लाते हुए कहा

रिसर्च??

“तुम इंटरनेट पर इस बारे में जान कर तो हैरान रह जाओगी।” वह हौले से बोला इंटरनेट? मेरे पास तो कंप्यूटर तक नहीं है और जब भी काम पड़ता है तो केट से लैपटॉप उधार ले लेती हूं और मैं क्लेटन वाले कंप्यूटर का प्रयोग नहीं कर सकती, खासतौर पर इस तरह के काम के लिए तो बिल्कुल भी नहीं!!

“क्यों, क्या हुआ?” उसने एक ओर गर्दन झुकाते हुए कहा।

“मेरे पास कंप्यूटर नहीं है। मैं स्कूल में उसका इस्तेमाल किया करती थी। देखूंगी कि केट से उधार मिल सका तो……।”

उसने मेरे हाथ में एक मनीला लिफाफा थमा दिया।

“मुझे पक्का यकीन है…मैं तुम्हें एक उधार दे सकता हूं… अपना सामान ले लो। हमकार से पोर्टलैंड चलेंगे और रास्ते में कहीं लंच भी ले लेंगे। मुझे भी कपड़े बदलने हैं।”

“मुझे एक फोन करना है।” मैं हौले से बोली। मैं बस केट की आवाज़ सुनना चाहती थी। उसने त्योरी चढ़ाईं।

“फोटोग्राफर को?” उसके जबड़े कस गए और आंखें जलने लगीं। मैंने उसे देखकर पलकें झपकाईं।” मिस स्टील! याद रखना, मैं कुछ भी बांटना पसंद नहीं करता।”

उसके सुर की धमकी या चेतावनी आसानी से सुनी जा सकती थी, उसने मुझे ठंडी निगाह से देखा और अपने बेडरूम की ओर चल दिया।

सत्यानाश!! मैं तो केट को फोन करने जा रही थी। मैं चाहती थी कि उसके जाने के बाद फोन करूं पर अचानक ही ये सब हो गया। उस उदार, प्यारे और दिलकश इंसान का क्या हुआ जो कुछ ही देर पहले मुझसे प्यार जता रहा था?

“तैयार?” हम बरामदे के पास वाले दोहरे दरवाजे के पास जाकर खड़े हुए तो क्रिस्टियन ने कहा।

मैंने अनिश्चितता से सिर हिलाया। वह फिर से अपने सुदूर, विनीत और संभले हुए जामे में आ गया था। अपना मुखौटा पहन कर दुनिया में आने के लिए तैयार! उसने हाथ में एक छोटा बैग ले रखा है। उसकी उसे क्या जरूरत है? शायद वह पोर्टलैंड में ठहरेगा..ओह फिर मुझे ग्रेजुएशन वाली बात याद आई। वीरवार को वह वहीं होगा। उसने काले चमड़े की जैकेट पहनी हुई है। बेशक, वह कहीं से भी अरबपति-ख़रबपति टाइप का रईसज़ादा तो नहीं लगता। इन कपड़ों में तो वह ऐसा ही लग रहा है मानो कोई बददिमाग रॉक स्टार हो या फिर कोई केटवॉक करने वाला मॉडल! मैंने मन ही मन आह भरी और सोचा कि काश मुझमें उसकी अदा का दसवां हिस्सा भी होता। वह कितना शांत और संयमित दिखता है। मैंने याद किया कि जोस के नाम पर वह कैसे भड़क गया था, तब अचानक मेरी भी त्योरी चढ़ गई।

टेलर वहीं मंडरा रहा है।

“कल मिलते हैं।” उसने टेलर से कहा और उसने हामी भरी।

“जी सर! आप कौन सी गाड़ी ले जा रहे हैं?”

उसने मुझे देखा और बोला

“आर 8 “

“मि. ग्रे व मिस स्टील! आपका सफर सुरक्षित हो।” टेलर ने मुझे दयापूर्वक देखा, शायद उसकी आंखों की गहराई में कहीं तरस भी छिपा दिखा।

बेशक उसे लगा होगा कि मैंने क्रिस्टियन के बेतुकी आदतों के लिए हामी दे दी है। या फिर सेक्स सबके लिए ऐसा ही होता होगा। दरअसल मैं कुछ जानती नहीं और केट से भी नहीं पूछ सकती। मुझे क्रिस्टियन से इस बारे में बात करनी ही होगी। ये तो स्वाभाविक है कि मुझे किसी से तो करनी ही है और मैं उससे बात करने के बारे में नहीं सोच सकती। वह एक मिनट में खुल कर बात करता है तो दूसरे ही पल अपने खोल में बंद हो जाता है।

टेलर ने हमारे लिए दरवाज़ा खुला रखा और हम बाहर आ गए। क्रिस्टियन ने लिफ्ट के लिए बटन दबाया।

“क्या बात है?” एनेस्टेसिया। उसे कैसे पता कि मेरे दिमाग में कुछ चल रहा है। वह मेरे पास आया और मेरा चिबुक थाम लिया।

“अपना होंठ काटना बंद करो वरना……।”

मैं शरमाई पर उसके चेहरे के कोनों पर भी मुस्कान दिखी। शुक्र है कि उसका मूड ठीक हो गया।

“क्रिस्टियन! एक बात है?”

“ओह?” वह पूरा ध्यान दे रहा था।

लिफ्ट आई। हम भीतर गए और उसने ‘जी’ लिखा हुआ बटन दबा दिया।

खैर! मैं सोच में पड़ गई कि ये बात कहूं कैसे।” मुझे केट से बात करनी होगी। मुझे सेक्स के बारे में बहुत कुछ पूछना है और तुम इन बातों में इस कदर शामिल हो। अगर तुम चाहते हो कि मैं यह सब करूं तो मैं कैसे जान सकती हूं?” मैंने रुक कर कुछ शब्द तलाशने चाहे। मेरे पास तो संदर्भ के लिए भी कोई जानकारी नहीं है

उसने अपनी आंखें मटकाईं।

“अगर लगता है कि ऐसा करना है तो उससे बात कर लो। बस ये ध्यान रहे कि वह इस बारे में इलियट से चर्चा न करे।”

मैंने मन ही मन हिसाब लगाया – नहीं, केट ऐसी नहीं है।

“वह ऐसा नहीं करेगी और अगर उसने मुझे इलियट के बारे में कुछ बताया तो मैं भी तुम्हें नहीं बताऊंगी।” मैंने झट से कहा

“हां! फ़र्क इतना है कि मैं उसकी सेक्स लाइफ के बारे में जानना ही नहीं चाहता। वह पक्का कमीना है…। अगर केट को पता चल गया कि मैं तुम्हारे साथ क्या करना चाहता हूं तो बेशक मेरी कमज़ोर नस उसके हाथ में होगी।”

“ओ.के।” मैंने हामी भरी और मुस्कुराईं।

केट क्रिस्टियन पर इस बात को लेकर हावी हो जाए, ये तो मैं कभी नहीं चाहूंगी।

“तुम जितनी जल्दी मेरी सेक्स गुलाम बनने की हामी दोगी, उतनी जल्दी हम ये सब बंद कर सकते हैं।” वह हौले से बोला

“क्या बंद कर सकते हैं?”

“वही, तुम्हारी ओर से मेरा विरोध। उसने मेरे होठों पर हल्का सा चुंबन दिया और लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही हाथ थाम कर भूमिगत गैराज की ओर चल दिया।

मैं उसका विरोध कर रही हूं…पर कब? कैसे?

मैं लिफ्ट के पास खड़ी ऑडी देख सकती थी, बेशक कार काफी आलीशान थी और मैं तो देखकर दंग ही रह गई। उसका हुड हटाया जा सकता था।

“बढ़िया गाड़ी है।” मेरे मुंह से निकला।

उसने देखकर खीसें निपोरीं।

“मैं जानता हूं।” और फिर एक ही झटके में वहीं जवां, बेपरवाह, प्यारा और मुक्तमन क्रिस्टियन मेरे सामने था। मेरा दिल खिल गया। वह कितना उत्साहित लग रहा है। लड़के और इनके खिलौने, क्या कहें! मैंने भी आंखें नचाईं पर अपनी मुस्कान को रोक नहीं पाई। उसने मेरे लिए दरवाज़ा खोला और मैं झट से उसमें जा बैठी। वह बड़े ही अंदाज़ से गाड़ी में बैठा और उसका लंबा प्रेम मेरे साथ खोल दिया। उसने यह कैसे किया?

“तो यह किस तरह की कार है?”

“ये ऑडी आर 8 स्पाइडर है। आज का दिन प्यारा लग रहा है; हम इसकी छत हटा सकते हैं। वहां एक बेसबॉल कैप है। शायद दो होनी चाहिए।” उसने दस्ताने रखने वाले बॉक्स की ओर संकेत किया।” अगर चाहो तो वहां से धूप के चश्मे भी ले सकती हो।”

उसने चाबी घुमाई और इंजिन चालू हो गया। फिर हमारी सीटों के पीछे वाली जगह पर अपना बैग रख दिया। एक ही झटके में हम वहां से बाहर सड़कों पर थे। मई माह की प्यारी सी सुबह ने स्वागत किया।

मैंने दस्ताने और कैप पहन लिए। हूं…लगता है कि इसे बेसबॉल पसंद है। मैंने उसे कैप दी तो उसने भी पहन ली।

जब हम सड़कों से निकल रहे थे तो लोग हमें घूर रहे थे। एक पल के लिए लगा कि वे उसे देख रहे थे या ऐसा लगा कि वे मुझे घूर रहे हैं कि पिछले बारह घंटों में मैंने क्या-क्या किया है पर फिर समझ आया कि ये तो कार का चमत्कार था। क्रिस्टियन अपनी ही धुन में मग्न था।

यातायात हल्का हुआ और हम इंटरस्टेट 5 की ओर चल दिए। ब्रूस का संगीत गाड़ी में गूंज रहा था। क्रिस्टियन के चेहरे पर रे-बैन होने के कारण भाव समझ नहीं आ रहे थे। उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे घुटने पर रखा और मेरी सांस अटक गई।

“भूख लगी है?” उसने पूछा

खाने की नहीं

“नहीं, ऐसी बात नहीं है।”

उसके चेहरे पर कड़ी रेखाएं खिंच गईं।

“एनेस्टेसिया! तुम्हें खाने पर ध्यान देना चाहिए। मुझे ओलंपिया के पास एक जगह पता है। हम वहीं रुकेंगे।” उसने मेरा घुटना फिर से दबाया और गाड़ी की गति बढ़ा दी। मैं अपनी सीट से लग कर बैठ गई।

रेस्त्रां छोटा सा और दिखने में अंतरंग लगा। घने वन के बीच लकड़ी से बने केबिन! वहां की सजावट में भी जंगल की महक है। मेजों पर जंगली फूल सजे हैं। दरवाजे पर बड़े से अक्षरों में नाम चमक रहा था।

“मैं काफी समय से यहां नहीं आया। हमारे पास कोई चुनाव नहीं है क्योंकि यहां वही पकता है, जो ये पकड़ते हैं या इकट्ठा कर पाते हैं।” उसने नकली डर से भौं नचाई और मुझे हंसना पड़ा। महिला वेटर हमारा ऑर्डर लेने आ गई। जब उसने देखा कि क्रिस्टियन उसे बिल्कुल भाव नहीं दे रहा तो उसके चेहरे की नाराज़गी देखने लायक थी। सिर्फ मैं ही क्रिस्टियन की दीवानी नहीं, उसे भी वह भा गया था।

“दो गिलास पिनोट ग्रिगिओ।” क्रिस्टियन ने बड़े अधिकार से कहा। मैंने अपने होंठ भींचे।

“क्या?” वह बोली।

“मैं तो डाइट कोक लेना चाहती थी।” मैंने कहा

उसकी भूरी आंखें सिकुड़ीं और उसने सिर हिलाया।

“ये यहां की बहुत अच्छी वाइन है। हमें खाने को जो भी मिलेगा, ये उसके साथ अच्छी रहेगी।”

“हमें जो भी मिलेगा।”

“हां।” वह अपना सिर एक ओर मोड़ते हुए मुस्कुराया। मैं उसकी मुस्कुराहट का जवाब दिए बिना रह न सकी।

“मेरी मॉम को तुम अच्छी लगीं।”

“सच्ची?” उसकी बात सुन कर मुझे खुशी हुई

“अरे हां! उन्हें तो हमेशा से यही लगता था कि मैं एक समलैंगिक हूं।”

मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। मुझे अपना ही सवाल याद आ गया। वही इंटरव्यू वाला…क्या आप…हैं?

“उन्हें ऐसा क्यों लगता था कि तुम…।” मैंने पूछा

“क्योंकि उन्होंने कभी मुझे किसी लड़की के साथ नहीं देखा।”

“ओह… उन पंद्रह में से भी नहीं?”

वह मुस्कुराया।

“तुम्हें याद रहा। नहीं, उनमें से किसी के साथ भी नहीं देखा।”

“अच्छा! “

“तुम्हें पता है एनेस्टेसिया! इस सप्ताह में ऐसी बहुत सी बातें पहली बार हुईं, जो मेरे जीवन में कभी नहीं घटीं।” वह हौले से बोला

“जैसे?”

मैं कभी किसी के साथ नहीं सोया, अपने बिस्तर में किसी के साथ सेक्स नहीं किया, किसी लड़की को चार्ली टैंगो में नहीं बिठाया और न ही किसी लड़की को अपनी मां से मिलवाया। तुम मेरे साथ कर क्या रही हो?” उसकी आंखों की गहराई ने तो जैसे मेरी जान ही ले ली।

तभी वेटर हमारे गिलास ले आई और मैंने झट से एक घूंट भरा। क्या वह खुलना चाहता है या फिर यूं ही समय बिता रहा है।

“मैंने भी इस सप्ताहांत का पूरा आनंद लिया।” मैं बुदबुदाई। उसने अपनी आंखें सिकोड़ीं।

“अपना होंठ काटना बंद करो। मुझे भी अच्छा लगा।”

“वैसे ये वनीला सेक्स क्या होता है?” मैंने खुद को उसकी गहरी और सेक्सी नज़रों से परे रखने के लिए पूछ लिया।

वह हंसा- “एनेस्टेसिया! किसी तरह के सामान या खिलौनों के बिना किया जाने वाला सेक्स वनीला सेक्स कहलाता है। इसका यही मतलब होता है।”

ओह! मुझे लगा कि ये तो चॉकलेट फज ब्राउनी सेक्स था जिसके ऊपर चैरी भी लगी थी। पर हे, मैं अभी जानती ही क्या हूं?

तभी हमारे लिए सूप आ गया और हम दोनों ने उसे शक्की निगाहों से देखा।

“नेटल सूप! “वेटर हमें बता कर चली गई। लगता है कि उसे क्रिस्टियन की बेरुखी अच्छी नहीं लगी। मैंने चख कर देखा तो अच्छा लगा। क्रिस्टियन और मैंने एक-दूसरे को देखा और एक साथ राहत की सांस ली। मैं हंस दी और उसने अपना सिर एक ओर झुका दिया।

“ये आवाज़ अच्छी लगती है।”

“तुमने पहले कभी वह वनीला सेक्स क्यों नहीं किया? क्या तुम हमेशा…वही करते हो जो करते आए हो?” मैंने पूछा

उसने हौले से हामी भरी।

मन ही मन अपने-आप से जूझने के बाद उसने जैसे कोई फैसला सा लिया और बोला- “जब मैं पंद्रह साल का था तो मुझे मेरी मॉम की एक सहेली ने फुसलाया था।”

“ओह! इतनी कमसिन उम्र में?”

“उसकी पसंद कुछ अलग ही थी। मैं पूरे छह साल तक उसका सेक्स गुलाम बन कर रहा।” उसने कंधे झटके।

ओह! मेरा दिमाग तो जैसे सुन कर सन्नाटे में आ गया।

“तो एनेस्टेसिया! मैं इस बारे में सब कुछ जानता हूं।” उसकी आंखें चमक उठीं।

मैंने उसे घूरा पर कुछ पता नहीं लगा सकी। आज तो मेरे भीतर से चिल्लाने वाली लड़की भी मुंह दुबकाए बैठी थी।

“मुझे सचमुच सेक्स के बारे में कोई आम या औसत जानकारी नहीं मिली।” कौतूहल बढ़ता जा रहा था।

“तो तुमने कॉलेज में कभी किसी लड़की से दोस्ती नहीं की?”

“नहीं।” उसने अपनी गर्दन हिलाई।

तभी वेटर आई और हमारे सूप के खाली कटोरे ले गई।

“क्यों?” मैंने उसके जाते ही पूछा

वह उदासी से मुस्कुराया।

“क्या तुम सचमुच जानना चाहती हो?”

“हां।”

“मैं नहीं चाहता था। मुझे तो बस वही भाती थी और उसी की जरूरत थी। वैसे भी उसे पता चलता तो शायद मेरी जान ही निकाल देती।” वह प्यार से मुस्कुराया।

ओह! इतनी सारी जानकारी-पर मुझे तो और जानना है।

“तो अगर वह तुम्हारी मॉम की सहेली थी तो उसकी उम्र क्या थी?”

उसने व्यंग्य से कहा- “इतनी तो थी कि सब कुछ बेहतर जानती थी।”

“क्या अब भी उससे मिलते हो?”

“हां?”

“क्या अब भी तुम…?”

“नहीं! “उसने गर्दन हिला कर कहा- “वह एक अच्छी दोस्त है।”

“ओह! क्या तुम्हारी मॉम जानती हैं?”

उसने मुझे उन नज़रों से घूरा जो कह रही थीं ‘पागल हुई हो क्या?’

“बेशक नहीं!! “

तभी वेटर हमारे लिए वेनीसन यानी हिरण का मांस परोस लाई पर मेरी भूख तो कब की हवा हो चुकी थी। क्या बात सामने आई थी!!!…… क्रिस्टियन और किसी का सेक्स गुलाम!

मैंने अपनी वाइन से एक बड़ा सा घूंट भरा-उसने सही कहा था, ये तो काफी स्वादिष्ट है। हाय भगवान! इतनी बातों के सिरे खुलते जा रहे हैं, मैं क्या करूं? मुझे अकेले में यह सारी जानकारी हजम करने के लिए समय चाहिए, इस समय तो कुछ सोचने का सवाल ही नहीं पैदा होता। एक तो वह पहले ही इतना ज़बरदस्त इंसान है कि उसके सामने मेरी बोलती बंद हो जाती है और ऊपर से ऐसी-ऐसी बातें बता रहा है कि क्या कहूं?

“पर मैं यह सब करने के लिए पूरा समय नहीं दे सकती?” मैंने थोड़ी उलझन के साथ कहा

“नहीं, ऐसा नहीं कि मैं भी पूरा समय यही करता था। मुझे भी स्कूल या कॉलेज जाना होता था। एनेस्टेसिया! खाओ! “

“क्रिस्टियन! मुझे सच में भूख नहीं है। मैं तो तुम्हारी बातों से हिली पड़ी हूं।”

उसके चेहरे के भाव कठोर हो गए।” खाओ! “उसने धीरे से कहा और खाने लगा।

मैंने उसे घूरा। ये आदमी-इसे इसकी किशोरावस्था में यौन शोषण झेलना पड़ा-इसके सुर में कितनी धमकी भरी है।

“एक मिनट! “उसने दो बार पलकें झपकाईं।

“अच्छा! “वह बोला और अपना खाना खाने लगा।

अगर मैंने कागज़ों पर हस्ताक्षर कर दिए तो हमेशा मुझे उसका हुक्म मानना होगा। क्या मैं सचमुच यही सब चाहती हूं? मैंने इसी बेईमानी में कांटे और छुरी से मांस काट कर मुंह में डाला।

“क्या ……हमारा रिश्ता भी ऐसा ही होगा?” मैं फुसफसाई।” तुम मुझ पर हुक्म चलाते रहोगे?” मैंने कह ही दिया

“हां!” वह बोला

“ओह! “

“और…तुम मुझसे क्या चाहती हो।” उसने पूछा

मैंने एक और टुकड़ा अपने मुंह में रखा।

“ये एक बड़ा कदम होगा।” मैंने कहा और खाने लगी।

हां, सो तो है। उसने पल भर के लिए आंखें मूंद ली। जब उसने उन्हें खोला तो वे उदास दिखीं।” एनेस्टेसिया! तुम्हें अपने दिल की सुननी होगी। थोड़ी जानकारी नेट से लो और अनुबंध पढ़ो-मैं किसी भी पहलू के बारे में बात करने के लिए राजी हूं बल्कि मुझे खुशी होगी। मैं शुक्रवार तक पोर्टलैंड में ही हूं, अगर तुम उससे पहले बात करना चाहो तो। मुझे फोन करना। हो सकता है कि हम बुधवार को रात का खाना एक साथ ले सकें। मैंने आज तक किसी भी संबंध के लिए स्वयं को इतना उत्सुक नहीं पाया, जितना आग्रह इसके लिए महसूस कर रहा हूं।”

उसकी चाह और गंभीरता आंखों से झलक रही है। मैं यही समझ नहीं पा रही। मैं ही क्यों? उन पंद्रह में से कोई क्यों नहीं? अरे नहीं…क्या मैं भी एक नंबर बन जाऊंगी? सोलह नंबर…..

“उन पंद्रह का क्या हुआ?”

उसने हैरानी से अपनी भौं उठाई और सिर हिलाते हुए बोला

“कई कारण थे पर सबसे अहम बात थी-अनुकूलता का अभाव।”

“और तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे अनुकूल हूं?”

“हां।”

“तो तुम उनमें से किसी से भी नहीं मिलते?”

“नहीं, एनेस्टेसिया! मैं उनमें से किसी से भी नहीं मिलता। मैं एक बार में एक ही स्त्री से संबंध बनाने में यकीन रखता हूं।”

ओह…ये तो एक ख़बर है।

“अच्छा! “

“एनेस्टेसिया! तुम इस बारे में थोड़ी खोजबीन करो।”

मैंने कांटा-छुरी नीचे रख दिया। और नहीं खा सकती।

“बस यही? तुम इतना ही खा कर बस करने वाली हो?”

मैंने हामी भरी। उसे गुस्सा तो आया पर बोला कुछ नहीं। मैंने चैन की सांस ली। मेरे पेट में इतनी सारी जानकारी से खलबली मची है। ऐसे में खाने की किसी सूझती है? शायद अल्कोहल से भी थोड़ा सिर चकरा रहा है। वह तो घोड़े की तरह खाता है। बेशक ये फिगर बनाए रखने के लिए उसे काफी कसरत करनी पड़ती होगी। मेरे दिमाग में, अपने पाजामे में डोलते क्रिस्टियन की छवि घूम गई, जो ध्यान को दूसरी ओर ले जाने के लिए काफी थी। मैंने बेचैनी से पहलू बदला। उसने मुझे देखा और मैं खिसिया गई।

“तुम उस समय क्या सोच रही हो, अगर कोई ये बता दे तो मैं उसे कुछ भी देने के लिए तैयार हूं।” वह बोला और मैं सकुचा गई।

उसने दुष्टता से भरी मुस्कान दी।

“वैसे मैं अदाज़ा लगा सकता हूं।” उसने मुझे चिढ़ाया।

“मुझे खुशी है कि तुम मेरा मन पढ़ सकते हो।”

“एनेस्टेसिया! तुम्हारा मन नहीं, मैं तुम्हारा शरीर पढ़ सकता हूं-जिसे मैंने एक ही दिन में काफी हद तक जान लिया है।” उसकी आवाज़ में एक अदा है। वह अचानक अपने मूड कैसे बदल लेता है। वह बड़ा ही फुर्तीला है……इससे होड़ लेना आसान नहीं है।

उसने बिल लाने के लिए संकेत किया। बिल देने के बाद मेर हाथ थाम कर बाहर ले आया।

“आओ! “वह हाथ थाम कर मुझे कार तक ले गया। मुझे उससे ऐसे संपर्क की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी, बिल्कुल ही सादा और अंतरंग स्पर्श! वह अपने ‘पीड़ादायी लाल कमरे’ में जो भी करना चाहता है, उसे याद करके तो इस रूप की कल्पना तक नहीं की जा सकती।

हम ओलंपिया से वैंकूवर जाते समय शांत रहे। दोनों अपनी-अपनी सोच में खोए थे। जब उसने मेरे अपार्टमेंट के बाहर गाड़ी पार्क की तो शाम के पांच बज रहे थे। बत्तियां जल रही हैं यानी केट घर में है। बेशक जब तक इलियट यहां था, तब तक तो सामान बांधने का सवाल ही पैदा नहीं हुआ होगा। उसने इंजिन बंद किया और मुझे एहसास हुआ कि अब मुझे उसे छोड़कर जाना है।

“क्या तुम अंदर आना चाहते हो?” मैंने पूछा। मैं नहीं चाहती कि वह जाए। मैं हमारे साथ को और भी लंबा बनाना चाहती हूं।

“नहीं! मुझे कुछ काम है।” उसने मुझे घूरते हुए कहा

मैं अपने हाथों को घूरने लगी और अंगुलियां आपस में गुंथ गईं। अचानक मैं भावुक हो उठी।

वह जा रहा है। उसने अचानक मेरा हाथ धीरे से अपने हाथ में लिया और चूम लिया। ये अलविदा कहने का बेहद पुराना पर प्यारा सा तरीका है। मेरा कलेजा उछलकर मुंह को आ गया।

“एनेस्टेसिया! इस सप्ताहांत के लिए धन्यवाद। यह……बहुत बेहतर था। फिर बुधवार? तुम जहां से कहोगी, वहीं से तुम्हें ले लूंगा।” उसने हौले से कहा।

“बुधवार!” मैं फुसफुसाई।

उसने फिर से मेरा हाथ चूमा और मेरी गोद में वापिस रख दिया। वह कार से बाहर आया और मेरी ओर का दरवाजा खोल दिया। उसके जाने का इतना दुख क्यों हो रहा है? गले में जैसे कुछ अटक सा गया हो।

मैं नहीं चाहती कि वह मुझे इस हाल में देखे। मैं चेहरे पर एक मुस्कान चिपकाए कार से निकल कर आगे चल दी, जानती हूं कि अंदर जाकर मुझे केट के सवालों की तोप का जवाब देना है। मैं मुड़ी और उसे देखा। मैंने खुद को चिढ़ाया-स्टील! जरा हिम्मत दिखा ।

“ओह……वैसे मैंने तुम्हारा अंडरवियर पहन रखा है।” मैंने एक मुस्कान के साथ उसके बॉक्सर ब्रीफ की पट्टी को दिखाते हुए कहा। क्रिस्टियन का मुंह खुला का खुला रह गया। क्या रिएक्शन है? मेरा मूड अचानक बदल गया और मैं घर में घुस गई। जी में तो आ रहा था कि हवा में एक घूंसा उछाल दूं। जी हां! मेरे भीतर बसी लड़की उमंग में थी!!!!

केट बड़े कमरे में बैठी अपनी किताबें एक बक्से में बंद कर रही थी।

“तू आ गई। क्रिस्टियन कहां है? कैसी है?” उसकी आवाज़ में चिंता और उत्सुकता दोनों ही छलक रहे हैं और उसने कंधों से पकड़कर मुझे सिर से पांव तक अच्छी तरह निहारा।

हाय! मुझे इस अड़ियल केट के सवालों के जवाब देने हैं और वहां मैं एक ऐसे अनुबंध पर हस्ताक्षर कर आई हूं, जिसके अनुसार मैं क्रिस्टियन के राज़ किसी के सामने नहीं खोल सकती। अजीब उलझन है!

“कैसा रहा?” इलियट के जाने के बाद से तेरी तरफ ही ध्यान लगा रहा। वह शरारत से भरी हंसी हंस दी।

मैं भी उसकी चिंता और कौतूहल को देख अपनी मुस्कान नहीं दबा सकी पर अचानक ही मुझे लज्जा अनुभव होने लगी। ये सब तो बहुत ही गोपनीय और निजी था। सब कुछ। क्रिस्टियन ने जो कुछ भी कहा या दिखाया, वह सब छिपाने के लिए था पर मुझे केट को कुछ तो बताना ही था वरना वह मेरी जान नहीं छोड़ने वाली थी।

“ये अच्छा रहा केट! बहुत अच्छा।” मैंने अपनी शर्मिंदगी से भरी मुस्कान छिपाते हुए कहा।

“तुझे क्या लगता है?”

“मैं किसी चीज़ से इसका मुकाबला नहीं कर सकती।”

“क्या उसने तुझे…?”

हाय! ये भी कैसे नंगे तरीके से सब पूछ लेती है!

“हां!! “मैं हकलाई।

केट ने मुझे काउच पर बिठा दिया। उसने मेरे हाथ जकड़ लिए।

ये तो अच्छी बात है। केट ने हैरानी और अविश्वास से देखा।” ये तो तेरे लिए पहली बार था। वाउ! कम से कम क्रिस्टियन ये तो जानता ही होगा कि वह क्या कर रहा है?”

ओह केट! काश तू जान पाती।

“मेरी पहली रात तो बड़ी जानलेवा थी।” उसने कहा और मेरी दिलचस्पी भी जाग गई क्योंकि उसने पहले कभी इस बारे में बात नहीं की थी।

“हां! स्टीव पैट्रोन। हाईस्कूल। बेहूदा जोकर।” उसने कंधे झटके।

“उसका बर्ताव काफी कठोर था। मैं तैयार नहीं थी। हम दोनों ही नशे में थे। तुुझे तो पता ही है-वही टीनएज की बेअक्ली!! ओह! इससे पहले कि मैं कभी दूसरी बार यह सब करने के बारे में सोचती, मुझे संभलने में महीनो लग गए थे और वह भी उसके साथ तो बिल्कल नहीं। मैं बहुत छोटी थी। अच्छा हुआ कि तूने सही उम्र का इंतज़ार किया।”

“केट! ये सब सुनने में ही बुरा लग रहा है।”

केट विषाद में दिखी।

“हां! मुझे इस तरह के शारीरिक संबंधों से चरम सुख पाने के लिए पूरा साल लग गया था और तू किस्मतवाली है कि पहली ही बार में……?”

मैंने शरमाते हुए हामी दी। मेरे भीतर बैठी लड़की बड़े ही संतुष्ट भाव से कमल मुद्रा में विजयी मुस्कान के साथ विराजमान है।

“मुझे खुशी है कि तेरा कौमार्य किसी ऐसे व्यक्ति के हाथों भंग हुआ जो कम से कम इन बातों को जानता और समझता तो होगा।” उसने आंख दबाई।” तो दोबारा कब मिल रही है?”

“बुधवार! हम एक साथ डिनर लेने वाले हैं।”

“तो तू उसे अब भी पसंद करती है?”

“हां! पर कुछ कह नहीं सकती…आने वाले कल के लिए… “

“क्यों?”

“उसकी जिंदगी काफी उलझी हुई है। केट! उसकी और मेरी दुनिया में ज़मीन-आसमान का अंतर है।” चलो बहाना सही मिल गया। इस पर उसे भरोसा भी हो जाएगा। यह बताने से तो बेहतर ही है कि-उसके पास एक पीड़ादायी लाल कमरा है और वह मुझे अपना सेक्स गुलाम बनाना चाहता है।

“ओह प्लीज़! इस चीज़ को पैसे से मत जोड़। इलियट भी बता रहा था कि आमतौर पर क्रिस्टियन कभी किसी लड़की से नहीं मिलता।”

“क्या उसने ऐसा कहा?” मैंने पूछा

स्टील! बात तो साफ है। मेरे भीतर बैठी लड़की ने बोला और अपनी अंगुली से इंसाफ के तराजू को दिखाते हुए धमकाया कि अगर मैंने कुछ ज्यादा बका तो वह मुझ पर मुकदमा कर सकता था। हुं… ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगा? मेरा पैसा ले लेगा?

वैसे मैंने खुद को याद दिलाया जब उसके काम की रिसर्च करूंगी तो गूगल पर ये भी देखना है कि किसी एनडीए को भंग करने पर क्या-क्या जुर्माना भरना पड़ सकता है। ऐसा लग रहा था कि मुझे स्कूल के लिए कोई काम दिया गया हो। शायद मुझे ग्रेड मिले। मैं खिसिया गई, मुझे आज सुबह के स्नान वाला अनुभव याद आ गया।

“एना! क्या है?”

“मैं क्रिस्टियन की एक बात याद कर रही थी।”

“तू कुछ अलग सी दिख रही है।” उसने लगाव से कहा

“हां मैं खुद भी कुछ अलग महससू कर रही हूं और बदन में…।”

केट ने हैरानी से आंखें फैलाईं और अंगड़ाई लेकर बोली

“सच्ची! यहां भी यही हाल है।”

“हैं??”

“हां! लगता है कि कुछ ज्यादा ही हो गया।”

“ओह! दोनों भाई जानवरों से कम नहीं हैं।”

और हम दोनों हंसते-हंसते दोहरी हो गईं।

ओह! सच केट के साथ बैठकर कितना अच्छा लग रहा है। मैं ठीक वैसा ही महससू कर रही हूं, जैसा उस दिन बार में क्रिस्टियन का फोन आने और वह सब घटने से पहले महसूस कर रही थी; बिल्कुल संतुष्ट, शांत, प्रसन्न और किसी भी तरह की उलझन से कोसों दूर।

“जरा इलियट के बारे में कुछ बता?”

ये सुनते ही उसने जो प्रतिक्रिया दी। उसे देखकर तो मैं दंग ही रह गई।

अरे भई! केट को ये क्या हुआ? मेरी केट तो ऐसी नहीं थी। उस मर्द ने इस पर कैसा असर कर दिया था।” वह… एना…वह तो कमाल का लड़का है। सच्ची…उसके साथ तो..क्या बताऊं।” केट के प्यार की दीवानगी साफ दिख रही थी। वह तो एक वाक्य भी सही तरीके से बोल नहीं पा रही थी।

“मुझे लगता है कि तू मुझे बताना चाह रही है कि तू उसे बहुत पसंद करती है।” उसने पागलों की तरह गर्दन हिलाते हुए हामी भरी।

“और मैं उससे शनिवार को मिल रही हूं। वह हमें सिएटल जाने में मदद करने वाला है।”

उसने हाथों से ताली सी बजाई और काउच पर ही उछलने लगी। हे भगवान! मैं तो इस बारे में भूल ही गई थी। हमें जाने के लिए पैकिंग भी तो करनी है।

“अच्छा! उसने तो काफी मदद कर दी।” मैंने इलियट की तारीफ की। मुझे भी उसे जानना होगा। शायद वह मुझे क्रिस्टियन के बारे में कोई जानकारी दे सके।

“तो तूने कल रात क्या किया?” मैंने उससे पूछा। उसने मुझे अजीब-सी निगाहों से घूरा और फिर बिंदास बोली

“काफी हद तक वही, जो तूने किया। हालांकि पहले हमने डिनर लिया था।” फिर वह बोली- “एना! तू थकी-थकी और परेशान क्यों लग रही है?”

“ओह! दरअसल क्रिस्टियन का स्वभाव ही कुछ ऐसा है।”

“हां! मैं देख सकती हूं पर तेरे साथ तो उसका बर्ताव ठीक ही था न?”

“हां! “मैंने उसे तसल्ली दी।” मुझे भूख लगी है। कुछ बना लूं?”

उसने हामी दी और बॉक्स में किताबें पैक करने लगी।?

“तू उन चौदह हजार डॉलर की किताबों का क्या करने वाली है?” उसने पूछा।

“मैं उन्हें लौटाने जा रही हूं।”

“सचमुच?”

“ये उपहार कुछ ज्यादा ही महंगा है। मैं इसे नहीं रख सकती। खासतौर पर अब तो बिल्कुल भी नहीं।” मैंने खीसें निपोरीं और उसने हामी भरी।

“मैं समझ गई। तेरे लिए दो ख़त आए थे। जोस भी हर घंटे के बाद फोन करके दिमाग चाट रहा है। लगता है काफी परेशान है।

“मैं उससे बात कर लूंगी।” मैंने कहा। अगर मैं केट को जोस के बारे में बताऊंगी तो वह उसे कल ही नाश्ते पर बुला लेगी। मैंने डाईनिंग टेबल से पत्र उठाए और खोले।

“हे! इंटरव्यू के लिए कॉल हैं। सिएटल में अगले सप्ताह के बाद, वहीं इंटर्न वाली नौकरियों के लिए! “

“कौन से प्रकाशन गश्ह से हैं?”

“उन दोनों से ही आ गए हैं।”

“मैंने कहा था न कि तेरी जीपीए से फायदा होगा, एना।”

केट के लिए भी सिएटल टाइम्स में इंटर्नशिप तय हो गई है। उसके पापा किसी को जानते हैं, जो आगे किसी को जानते हैं।

“इलियट को तेरे जाने के बारे में कैसा लग रहा है?”

केट रसोई में यहां-वहां मंडरा रही थी और आज शाम को पहली बार उसके चेहरे पर निराशा की झलक दिखी।

“वह समझता है। मैं जाना भी नहीं चाहती पर दो सप्ताह के लिए सागरतट पर सूरज की धूप सेंकने का लालच भी कुछ कम नहीं है। वैसे भी वहां मॉम होंगीं। उन्हें लगता है कि इससे पहले कि मैं और भाई ईथन नौकरी-वौकरी के चक्कर में पडें, हमें एक पारिवारिक अवकाश मनाना चाहिए, पता नहीं फिर हमारे पास समय हो या न हो।”

मैं तो यू.एस. से भी बाहर नहीं गई और केट अपने मॉम-डैड और भाई ईथन के साथ पूरे दो सप्ताह के लिए बारबाडोस जा रही है। मैं अपने नए अपार्टमेंट में कुछ दिन केटरहित हो जाऊंगी। बड़ा अजीब लगेगा। ईथन तो पिछले साल अपनी डिग्री पूरी करने के बाद से ही सारी दुनिया में डोलता फिर रहा है। मैं सोचने लगी कि काश छुट्टियों पर जाने से पहले मैं उससे मिल पाती। वह बड़ा प्यारा लड़का है। घंटी बजते ही मैं अपनी सोच से बाहर आ गई।

“जोस का होगा।”

मैंने आह भरी। मैं जानती हूं कि उससे बात करनी ही होगी। मैंने फोन लपका।

“हाय! “

“एना, तुम आ गईं?” जोस ने मानो चैन की सांस ली।

“बेशक! “मेरे सुर से व्यंग्य झलक ही गया और मैंने फोन पर ही आंखें मटकाईं।

वह एक पल के लिए चुप रहा।

“क्या मैं तुमसे मिल सकता हूं? मैं शुक्रवार रात के लिए माफी मांगना चाहता हूं। मैं नशे में था… और तुम…। एना-प्लीज़ मुझे माफ कर दो।”

“हां! जोस मैंने तुम्हें माफ किया पर दोबारा फिर कभी ऐसा मत करना। तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारे बारे में ऐसी सोच नहीं रखती।”

उसने उदासी से भरी सांस ली।

“मुझे पता है एना। मैंने सोचा था कि शायद वह चुंबन मेरे बारे में तुम्हारे विचार बदल देता।”

“जोस! मैं तुमसे प्यार करती हूं और तुम मेरे लिए बहुत मायने भी रखते हो। तुम मेरे लिए भाई की तरह हो, जो मेरे पास कभी नहीं था। ये सब कभी नहीं बदलने वाला। तुम ये जानते हो।” मुझे उसे ये सब कहना अच्छा तो नहीं लगा पर यही सच था।

“तो तुम अब उसके साथ हो।” उसके सुर में घृणा सी झलक रही थी।

“जोस! मैं किसी के साथ नहीं हूं।”

“पर तुम कल रात उसके साथ ही थी।”

“इससे तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है।”

“क्या ये पैसे का खेल है?”

“जोस! तुमने ये कहने की हिम्मत कैसे की?” मैं उसकी हिमाकत पर चिल्लाई।

“एना! “वह झट से माफी मांगने के सुर में आ गया। मैं तो इसकी जलन से तंग आ गई हूं। मैं जानती हूं कि उसके दिल को ठेस लगी है पर अभी दिमाग में क्रिस्टियन ग्रे इस कदर घुसा है कि कुछ सोचने का होश नहीं है।” हो सकता है कि हम कल या परसों एक साथ कॉफी लें? मैं तुम्हें फोन करूंगी।” बेशक वह मेरा दोस्त है, मुझे पसंद भी है पर इस समय मुझे उसकी ज़रूरत नहीं है।

“कल! ठीक है? तुम फोन करोगी।” उसके सुर की उम्मीद ने मेरा दिल छू लिया।

“हां…गुडनाइट जोस।” मैंने उसके जवाब का भी इंतज़ार नहीं किया और फोन रख दिया।

“ये सब क्या था?” केट ने अपने नितंबों पर हाथ टिका कर पूछा।

मैंने तय किया कि ईमानदारी अच्छी नीति है। वह पहले से ज्यादा चिंतित दिखी।

“जोस ने शुक्रवार को मेरे साथ बदतमीज़ी करने की कोशिश की।”

“जोस? और क्रिस्टियन ग्रे? लगता है कि तू मर्दों को कुछ ज्यादा ही आकर्षित करने लगी है। वह बेवकूफ जोस!! अक्ल घास चरने चली गई थी क्या?”

उसने हैरानी से सिर हिलाया और फिर से सामान बांधने लगी।

पैंतालीस मिनट बाद, हमने पैकिंग का काम रोका और हम घर के खास व्यंजन, मेरे हाथ के बने ‘लासगना’ को खाने के लिए तैयार हो गए। केट ने वाइन की एक बोतल खोली और हम बॉक्स के बीच बैठ कर, किफायती लाल वाइन की चुस्कियां लेते हुए टी.वी. देखने लगे। लासगना खाने से तो मज़ा ही आ गया। ये सब कितना आम था। बेशक पिछले अड़तालीस घंटों की दीवानगी के बाद सहज भाव से खाना अच्छा लग रहा था। मैंने बड़े ही दिल से अपना डिनर किया। पता नहीं खाने के मामले में वह ऐसा क्यों है? केट ने बर्तन साफ किए और मैं बड़े कमरे का सामान बटोरने लगी। उस कमरे में एक काउच, टी.वी और डाईनिंग टेबल ही रह गया हैं। हम और क्या चाह सकते हैं? बस रसोई और हमारे कमरे समेटने रह गए हैं और हमारे पास अभी पूरा सप्ताह है।

फोन की घंटी फिर से बजी। इलियट का फोन था। केट ने आंख मारी और किसी चौदह साल की किशोरी की तरह अपने कमरे में भाग गई। मुझे पता है कि उसे फंक्शन में बोली जाने वाली स्पीच लिखनी चाहिए पर ऐसा लगता है कि इलियट ज्यादा मायने रखता है। ये ग्रे खानदान के मर्दों की खूबी है क्या? इन्हें देखकर दिल पर काबू पाना इतना मुश्किल क्यों हो जाता है? मैंने वाइन का एक और घूंट भरा।

टी.वी. के चैनल बदलते समय मैं अच्छी तरह जानती थी कि मैं बस उस लम्हे को टालने की कोशिश में थी, जो मेरे पर्स में किसी जलते अंगारे की तरह रखा था। मुझे वह अनुबंध देखना था। क्या मुझमें इतनी हिम्मत बची है कि आज रात उसे देख सकूं?

मैंने दोनों हाथों में सिर थाम लिया। जोस और ग्रे, दोनों ही मुझसे कुछ चाहते हैं। जोस को संभालना आसान है पर क्रिस्टियन… उसे जानने-समझने के लिए एक पूरी नई भाषा चाहिए। मेरा एक हिस्सा चाहता है कि कहीं भाग कर छिप जाऊं। मैं क्या करने जा रही हूं? उसकी जलती निगाहें मेरे ध्यान में आते ही पूरा शरीर कांपने लगा। मैंने आह भरी। वह यहां है भी नहीं और मैं उसके ख्याल से ही उत्तेजित हो रही हूं। ये केवल सेक्स नहीं हो सकता, क्या ऐसा है? आज सुबह नाश्ते की मेज पर उसका दुलार, मेरी हेलीकॉप्टर उड़ान के समय उसका उछाह और उसका पियानो बजाना…सब कुछ याद आ गया! कितना मीठा, दिल को छू लेने वाला उदास सा संगीत था।

वह सचमुच काफी उलझा हुआ इंसान है। और अब मैं कुछ-कुछ समझ सकती हूं कि ऐसा क्यों है। एक नवयुवक को अपनी किशोरावस्था से ही किसी दुष्टा मिसेज रॉबिन्सन के हाथों यौन शोषण का सामना करना पड़ा……तभी तो वह समय से पहले बुढ़ा गया है। वह किन हालातों से गुज़रा होगा, यह याद करते ही मेरा दिल उसके लिए उदास हो गया। हालांकि मैं यह सब बातें अच्छी तरह नहीं जानती पर शायद रिसर्च से कुछ समझ आ जाए। पर क्या मैं सचमुच जानना चाहती हूं? क्या मैं उस दुनिया में कदम रखना चाहती हूं, जिसके बारे में मैं कुछ नहीं जानती? ये सचमुच एक बड़ा कदम होगा।

अगर मैं उससे न मिली होती तो आज भी अपने मासूम और प्यारे से भोलेपन के साथ मग्न होती। मेरे दिमाग में कल रात और आज सुबह की सारी घटनाएं घूम गईं और शारीरिक सुख में डूबे उन लम्हों की याद आ गई। क्या मैं सचमुच इन चीज़ों से दूर जाना चाहती हूं? नहीं !!!! मेरे भीतर बैठी लड़की चिल्लाई और शायद हममें से कोई भी ऐसा नहीं करना चाहती।

केट एक बड़ी सी मुस्कान के साथ यहां-वहां डोल रही है। बेशक वह प्यार में है। मैंने उसे हैरानी से देखा। वह तो कभी ऐसे पेश नहीं आती।

“एना! मैं सोने जा रही हूं। बड़ी थक गई हूं।”

“मैं भी केट! “

उसने मुझे गले से लगाया।

“मुझे खुशी है कि तू सही-सलामत लौट आई। इस क्रिस्टियन के बारे में पता नहीं क्यों मेरा मन आश्वस्त होना ही नहीं चाहता।” उसने थोड़ा माफी मांगने के लिहाज़ से कहा। मैंने उसे एक तसल्ली से भरी मुस्कान दी और यही सोचती रही कि यार! इसे इस बात का एहसास कैसे हो रहा है कि क्रिस्टियन मेरे लिए सही नहीं है ……। तभी तो…ये एक अच्छी पत्रकार बनेगी। इसे अनदेखी चीज़ों से जुड़े खतरे और उनमें छिपे राज़ भांपने आते हैं।

मैं अपना पर्स हाथ में लिए अपने कमरे में यहां से वहां चक्कर लगाती रही। कल की शारीरिक थकान और मानसिक द्वंद्व से पूरी तरह से टूटी हुई हूं। मैंने पलंग पर बैठकर पर्स से मनीला लिफाफा निकाला और बार-बार हाथों में उलटने-पुलटने लगी। क्या मैं सचमुच क्रिस्टियन की हदें जानना चाहती हूं? ये सब बड़ा ही पीड़ादायी है। मैंने एक गहरी सांस ली और धड़कते दिल के साथ लिफाफा खोल लिया।