fifty shades of grey novel in Hindi: कमरे में घिर आई रोशनी ने अचानक ही मुझे गहरी नींद से जगा दिया। मैंने शरीर को फैला कर अंगड़ाई ली और आंखें खोलीं। ये तो मई माह की खूबसूरत सुबह थी। सिएटल मेेरे कदमों में था। वाह! क्या नज़ारा है। मेरे साथ ही क्रिस्टियन ग्रे गहरी नींद में सोया था। वाह! क्या नज़ारा है। मुझे हैरानी है कि वह अभी भी मेरे बिस्तर में है। उसका चेहरा मेरी ओर है और मुझे उसके नाक-नक्श देखने का भरपूर मौका मिल गया। उसका प्यारा सा चेहरा जवान दिखता है, नींद में शांत, पूरी तरह से शांत! उसके खूबसूरती से गढ़े होंठ हल्के से खुले हुए हैं और चमकदार बाल बड़ी ही बेतरतीबी से फैले हैं। कोई इतना सुंदर, इतना प्यारा..और फिर भी इतना जायज़ कैसे दिख सकता है? मुझे सीढ़ियों से ऊपर वाले कमरे की याद आ गई… शायद ये जायज़ नहीं है।
मैंने अपना सिर हिलाया, सोचने को कितना कुछ है। जी तो कर रहा है कि उसे छू लूं पर एक छोटे बच्चे की तरह लग रहे ग्रे को जगाने का मन नहीं हुआ। मुझे इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है कि मैं क्या कह रही हूं, वह क्या कह रहा है और उसके पास खासतौर से मेरे लिए क्या योजनाएं हैं।
मैं तो उसे सारा दिन यूं ही देख सकती थी पर बाथरूम जाना भी ज़रूरी था। बिस्तर से नीचे कदम रखा तो उसकी सफेद कमीज़ ज़मीन पर पड़ी दिखी। मैंने उसे ही कंधों पर डाल लिया। एक दरवाजे को बाथरूम समझ कर आगे बढ़ी पर वहां तो एक बड़ी सी अलमारी निकली, मेरे सोने के कमरे से भी बड़ी। एक से एक महंगे, जूते, शर्ट, सूट और टाईयां कतारों में सजे थे। किसी एक इंसान को इतने कपड़ों की ज़रूरत कैसे हो सकती है? मैंने गर्दन हिलाई, दरअसल केट की अलमारी से इसकी होड़ हो सकती है। केट! अरे नहीं, मुझे तो पूरी शाम में उसका ध्यान तक नहीं आया। मुझे उसे मैसेज करना था। मैं तो मुसीबत में पड़ने वाली हूं। मैंने पल भर के लिए सोचा कि उसकी इलियट से कैसी निभ रही होगी।
वापिस लौटी तो ग्रे को सोते ही पाया। मैंने दूसरा दरवाजा खोला और बाथरूम मिल गया। ये भी मेरे सोने के कमरे से बड़ा था। किसी एक इंसान को इतनी जगह की जरूरत क्यों होती है? दो सिंक? चूंकि वह किसी को अपने साथ सुलाना पसंद नहीं करता इसलिए उन दोनों में एक सिंक कभी प्रयोग में ही नहीं आ सकता।
मैंने खुद को वहां लगे बड़े से शीशे में निहारा। क्या मैं अलग दिख रही हूं? मैं अलग महसूस कर रही हूं। शरीर में हल्की सूजन और मांसपेशियों में जकड़न है। ऐसा लगता है कि मैंने अपनी जिंदगी में कभी कसरत नहीं की। तुमने अपनी जिंदगी में कभी कोई कसरत नहीं की। मेरे भीतर बैठी लड़की भी जाग गई। वह मुझे दबे होंठों से देखते हुए पांव पटक रही है। तो तुम अभी एक ऐसे इंसान के साथ सो कर आई हो, जिसे तुमने अपना सब कुछ सौंप दिया। एक ऐसा इंसान, जो तुम्हें प्यार तक नहीं करता। दरअसल वह तुम्हारे बारे में बड़ी ही अजीब-सी सोच रखता है। वह तुम्हें अपना सेक्स गुलाम बनाकर रखना चाहता है।
क्या तू पागल हो गई है? वह मुझ पर बरसी।
मैंने उसे देखकर आंख दबाई। मैं इन सारी बातों पर विचार करने जा रही हूं। ईमानदारी से कहूं तो मैं उस हद से ज्यादा खूबसूरत व अमीर इंसान को चाहने लगी हूं, जिसका पीड़ा से भरा लाल कमरा मेरी प्रतीक्षा में है। मैंने कंधे झटके। मैं पूरी तरह से बेतरतीब और उलझन में हूं। बाल हमेशा की तरह बिखरे पड़े हैं और ऐसे उलझे बाल मुझे पर बिल्कुल नहीं फबते। मैंने उन्हें अंगुलियों से संवारना चाहा, जब नहीं संभले तो छोड़ दिया। शायद पर्स में बाल बांधने के लिए कुछ पड़ा हो।
भूख से जान निकल रही हे। मैं सोने के कमरे से बाहर निकली। ग्रे अब भी गहरी नींद में है इसलिए मैं रसोई की ओर चल दी।
अरे नहीं… केट! मैंने अपना पर्स ग्रे की स्टडी में छोड़ा था। मैं उसे वहां से लाई और अपना फोन लगाया। तीन मैसेज
एना! तुम ठीक हो
एना! तुम कहां हो
एना! भाड़ में जा तू।
मैंने केट को फोन लगाया। जब उसने नहीं लिया तो मैंने संदेश छोड़ दिया कि मैं जिंदा हूं और उसे मेरी किसी भी तरह से चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मुझे क्रिस्टियन ग्रे के बारे में अपनी भावनाओं पर विचार करके उनका विश्लेषण करना ही होगा। ये तो लगभग असंभव-सा काम है। मैंने हार मानते हुए सिर हिलाया। मुझे सोचने के लिए यहां से परे, अकेले में कुछ समय चाहिए होगा।
मुझे अपने बैग में दो सुंदर से रबड़बैंड मिल गए और मैंने दो चोटियां बना लीं। हां! जितनी छोटी दिखूंगी, इस अहमक से उतना ही बची रहूंगी। मैंने बैग से आईपॉड निकाला और कानों में हैडफोन लगा लिए। खाना बनाते समय संगीत सुनने का मज़ा ही कुछ और है।
मैं ग्रे के शर्ट की जेब में उसे डाल दिया और तेज बजती धुन के साथ पैर थिरकने लगे।
हाय! भूख से जान निकल रही है!
मैं तो इसकी रसोई देखकर दंग हूं। इस आधुनिक किस्म की रसोई में किसी भी दराज में हैंडिल ही नहीं है। मुझे ये समझने में कुछ सैकेंड लगे कि उन्हें अंदर की ओर दबाने से वे खुलते हैं। शायद मुझे ग्रे के लिए भी नाश्ता बनाना चाहिए। वह उस दिन तो एक ऑमलेट खा रहा था। उम्म……कल ही तो हीथमैन में…। अरे! एक ही दिन में कितना कुछ बदल गया है। मैंने फ्रिज में नज़र मारी, वहां अंडे दिखे और मैंने तय किया कि पैनकेक और बेकन (सूअर का मांस) बना लूंगी। मैंने कुछ घोल तैयार किया और रसोई में नाचते हुए यहां-वहां मंडराने लगी।
व्यस्त रहने का भी अपना ही मज़ा है। इस तरह आपको गहराई से सोचने का मौका मिल जाता है। कानों में बज रहे संगीत ने भी सोचने में मदद की। मैं यहां क्रिस्टियन ग्रे के साथ एक रात बिताने आई थी और सफल भी रही, जबकि वह किसी को अपने साथ बिस्तर में रात बिताने की इजाज़त नहीं देता। मैं मुस्कुराईं, मिशन पूरा हुआ। फिर मेरे चेहरे पर खिली हुई बड़ी सी मुस्कान खेल गई। पिछली रात की यादें दिमाग को उलझाने लगीं। उसके शब्द, उसका शरीर, उसके प्यार करने की अदा… मैं आंखें बंद कर झूमने लगी और पेट के भीतर की मांसपेशियों में अजीब सा संकुचन होने लगा। एक मीठा सा एहसास! मेरे भीतर बैठी लड़की ने आंखें तरेरीं – उसने तेरे साथ प्यार नहीं किया था… वह तो…! वह मुझ पर चिल्लाई। मैंने उसकी बात को अनसुना तो कर दिया पर मन ही मन मैं जानती थी कि उसकी बात में दम था। मैंने हाथ के काम पर ध्यान लगाने के लिए गर्दन को झटका।
वाह! क्या साजो-सामान है। लगता है कि मेेरे दिल को भा गया है। मुझे पैनकेक को गर्म करने के लिए कहीं रखना था और मैं बेकन बनाने लगी। एमी का गाना मेरे कानों में गूंज रहा है जो किसी ‘मिसफिट’ की बात करता है, ये मुझे बहुत पसंद है क्योंकि मैं भी तो मिसफिट ही हूं यानी कहीं के लिए भी फिट नहीं हूं। मुझे मि. मिसफिट राजा की एक ओर से एक ऐसा भद्दा प्रस्ताव आया है। वह ऐसा क्यों है? कुदरतन या फिर पालन-पोषण में कमी? मैं जानती हूं कि ये बात कितनी अजीब है, सबसे अजीब!!
मैंने बेकन को ग्रिल में रखा और इस दौरान कुछ अंडे फेंट लिए। वहां से मुड़ी तो क्रिस्टियन को नाश्ते की मेज के पास पड़े स्टूल पर बैठा पाया। उसने अपने गठे हाथों से चेहरा थामा हुआ था। अब भी वही टी-शर्ट पहन रखी है, जिसे पहन कर सोया था। बेशक बिखरे बाल और डिजाइनर दाढ़ी, दोनों ही उस पर फबते हैं। वह हैरानी और शोख़ी के साथ मुझे ही देख रहा था। मैं तो वहीं जम गई। झट से कानों से हैडफोन निकाल दिए, उसे देखते ही घुटने कमज़ोर पड़ गए थे।
“गुडमोर्निंग मिस स्टील! आज तो आप पूरी उमंग में दिख रही हैं?” उसने बड़े ही रुखे लहज़े में कहा
“मैंने पूरी नींद ल-ली है।” मैंने अपनी सफाई दी। उसके होंठों ने अपनी मुस्कान दबानी
चाही “मैं कल्पना नहीं कर सकता कि क्यों…क्योंकि मैं तुम्हारे पास बिस्तर में आ गया था?”
“क्या तुम्हें भूख लगी है?”
“बहुत… “उसने गहरी नज़रों से देखा। मुझे नहीं लगता कि वह खाने की बात कर रहा था।” पैनकेक, बेकन और अंडे?”
“सुन कर तो अच्छा ही लगा।”
“मुझे नहीं पता कि मेज के मैट कहां पड़े हैं?” मैंने खुद को सहज दिखाने की कोशिश में कंधे झटके।” मैं कर लूंगा। तुम पकाओ। क्या तुम चाहोगी कि मैं कोई धुन लगा दूं ताकि तुम नाच जारी…रख सको?” मैंने अपनी अंगुलियों को घूरा…हाए! उसने मुझे नाचते भी देख लिया “प्लीज़! मेरी वजह से मत रुको। बड़ा मज़ा आ रहा था।”
मैंने अपने होंठ भींच लिए। मज़ा आ रहा था। मेरी भीतर बैठी लड़की दुगने वेग से खिलखिलाई। मैं मुड़कर अंडे फेंटने लगी और शायद जरूरत से ज्यादा फेंट दिया। एक ही पल में वह मेरे साथ खड़ा मेरी चोटियां खींच रहा था।
“मुझे पसंद आईं। वह हौले से बोला। ये तुम्हारा बचाव नहीं करने वालीं।
हुंह ! लड़कियों का रसिया ..
“तुम अंडे कैसे लेना चाहोगे?”
“पूरी तरह से फेंटे व मसले हुए…।” उसने चुटकी ली।
मैं अपने काम पर मुड़ी और हंसी दबाने की कोशिश की। इससे तो नाराज़ रहना भी मुश्किल है। खासतौर पर जब वह अपने आनंदी स्वभाव में हो। उसने एक दराज खोला और नाश्ते की मेज के लिए दो मैट निकाले। मैंने अंडों का मिश्रण पैन में डाला। बेकन को बाहर निकाल कर पलटा और फिर से ग्रिल में रखा दिया। जब मुड़ी तो मेज पर संतरे का जूस रखा था और वह कॉफी बना रहा था।
“क्या तुम चाय लेना चाहोगी?”
“हां! अगर तुम्हारे पास है तो?”
मैंने दो प्लेटें लीं और रेंज के गर्म करने वाले हिस्से में रख दीं। क्रिस्टियन अलमारी के पास गया और वहां से चाय के कुछ पाउच ले आया।
मैंने गर्म प्लेटों में नाश्ता लगा दिया। फ्रिज में से थोड़ा मेपल सिरप भी मिल गया। क्रिस्टियन की ओर देखा तो वह बैठने के लिए मेरा इंतज़ार कर रहा था।
“मिस स्टील! “उसने एक स्टूल की ओर संकेत किया।
ये उपन्यास ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – fifty shades of grey(फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे)
“मि. ग्रे! “मैंने भी गर्दन हिलाई और हल्की सी कराहट के साथ स्टूल पर बैठ गई।
“तो कैसी है आपकी तबीयत?” उसने अजीब से संकेत से बात कही और मैं खिसिया कर रह गई। वह इतने निजी सवाल कैसे पूछ सकता है?
“खैर! उसका तो कोई मुकाबला नहीं है। पर क्या आप अपनी सहानुभूति जताना चाह रहे थे?” मैंने प्यार से पूछा
शायद उसने मुस्कान दबाने की कोशिश की पर यकीन से नहीं कह सकती।
“नहीं। मैं सोच रहा था कि अगर ऐसा है तो हमें तुम्हारी बेसिक ट्रेनिंग पर काम करना होगा।”
“ओह!” मैंने उसे अहमकों की तरह घूरा और ऐसा लगा कि मेरा पूरा शरीर सुन्न पड़ गया हो। अब इस बात से उसका क्या मतलब है?
“खाओ! एनेस्टेसिया! “मेरी भूख फिर से दफा हो गई है। सेक्स……और सेक्स । जी हां, प्लीज़।
“ये तो स्वादिष्ट है।” वह बोला
मैंने भी ऑमलेट का एक चम्मच लिया पर उसका स्वाद नहीं ले सकी। बेसिक ट्रेनिंग? इसमें क्या-क्या शामिल होगा?
“अपना होंठ काटना बंद करो। मेरा ध्यान भी उसी ओर जा रहा है और मैं ये भी जानता हूं कि इस समय तुमने मेरी टी-शर्ट के सिवा कुछ नहीं पहन रखा…।”
मैं छोटे से बर्तन में चाय पी रही थी पर दिमाग गोल-गोल चकरा रहा था।” तुम्हारे दिमाग में किस तरह की बेसिक ट्रेनिंग है?” मैंने पूछा
आवाज़ जरा तेज ही निकल गई और इस बात में अपनी दिलचस्पी न दिखाने का इरादा वहीं चकनाचूर हो गया। हालांकि पूरे शरीर में हारमोन तेजी से अपना असर दिखा रहे थे।
“जैसा कि साफ है कि तुम्हारा शरीर अभी थका हुआ है इसलिए मैं सोच रहा था कि क्यों न हम तुम्हारे मुंह का कुछ कमाल देखें।”
मेरे गले में चाय अटक गई। आंखें चौड़ी हुईं और मुंह खुला का खुला रह गया। उसने धीरे से पीठ सहलाई और हाथ में संतरे का रस थमा दिया। मैं कह नहीं सकती कि वह क्या सोच रहा है?
“क्या तुम ठहरना चाहोगी?” उसने पूछा और मैंने खुद को संभालते हुए कहा
“आज ही रुक सकती हूं। अगर तुम चाहो तो। मुझे कल काम पर जाना है।”
“कल कितने बजे काम पर जाना है?”
“नौ बजे “
“मैं तुम्हें कल नौ बजे वहां पहुंचा दूंगा।”
मैंने त्योरी चढ़ाई। क्या वह मुझे आज रात भी यहीं रखना चाहता है?
“मुझे आज घर जाना होगा-साफ कपड़े नहीं हैं।”
“हम यहीं से ले सकते हैं।”
“मेरे पास कपड़े खरीदने के लिए फालतू पैसे नहीं हैं।” उसका हाथ आगे आया और मेरे चिबुक को खींचा, जिससे होंठ दांतों की पकड़ से बाहर आ गया। मुझे तो पता भी नहीं था कि मैं अपना होंठ काट रही थी।
“ये क्या है?” उसने पूछा
“मुझे आज शाम घर जाना है।”
उसके चेहरे पर कड़ी रेखाएं उभर आईं।
“अच्छा! आज शाम। पहले नाश्ता करो।”
मेरी सोच और पेट दोनों में ही उथल-पुथल मची है। भूख तो पतली गली से जा चुकी है। मैंने अपने आधे बचे नाश्ते को देखा। मुझे सच में भूख नहीं है।
“एनेस्टेसिया खाओ! तुमने कल रात भी कुछ नहीं खाया।”
“तुम खाने को लेकर इतना मच-मच क्यों करते हो?” मैं फट पड़ी। उसने भवें सिकोड़ीं
“मैंने कहा था न कि मुझे जूठन बचाने से सख्त नफरत है। खाओ! “उसकी गहरी काली आंखों में दर्द देखा जा सकता था।
“हाय! ये सब क्या है?” मैंने कांटा उठाया और धीरे-धीरे खाने लगी। मुझे याद रखना होगा कि इसके सामने प्लेट में उतना ही खाना लिया जाए, जितना उस समय पेट में उतारा जा सके। मैं नाश्ता करने लगी तो उसके चेहरे के भाव कोमल हो गए। मैंने देखा कि उसने अपनी प्लेट साफ कर दी थी। उसने मेरे खाने का इंतज़ार किया और मेरी प्लेट भी धो दी।
“तुमने पकाया, बर्तन मैं साफ कर लूंगा।”
“वाह! बड़ा प्रजातंत्र है।”
“जी। वैसे मैं अकसर ऐसे नहीं करता। इसके बाद हम नहाने चलेंगे।”
“ओह! अच्छा।” हाय! बल्कि नहाने का मन तो मेरा भी है। तभी केट का फोन आ गया।
“हाय! “मैं उससे परे बालकनी की कांच वाली दीवार के पास चली गई।
“एना! रात को मैसेज क्यों नहीं किया?” वह गुस्से में है।
“सॉरी! मैं यहां उलझ गई थी।”
“तू ठीक है न?
“हां! बढ़िया।
“क्या सच, कल रात…? वह कोई जानकारी पाना चाहती है। मैंने उसके सुर में छिपी उम्मीद को पहचान कर आंखें मटकाईं।
“केट! मैं अभी बात नहीं कर सकती।” क्रिस्टियन ने वहां से मुझे ताका।
“तुमने वह सब किया…मैं दावे से कह सकती हूं।
वह कैसे कह सकती है? शायद मुझसे खेल रही है और मैं इस बारे में बात नहीं कर सकती क्योंकि मैंने कागज़ों पर साइन जो कर दिए हैं।
“केट प्लीज़।
“सब कैसा रहा? तू ठीक तो है?
“मैंने कहा न कि मैं ठीक हूं।
“क्या उसने सख्ती बरती?
“केट चुप भी कर।” मैं अपनी खीझ नहीं दबा सकी।
“एना! मुझे मत बना। मैंने तेरे मुंह से यह सब सुनने के लिए पूरे चार साल इंतज़ार किया है।”
“मैं शाम को मिलती हूं।” मैंने फोन रख दिया।
ये मामला बड़ा ही पेचीदा हो गया है। वह जाने बिना रहेगी नहीं और मैं उसे सब कुछ बता नहीं सकती क्योंकि मैंने उस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं-अरे, क्या कहते हैं उसे-एनडीए। मुझे उसे बहलाने के लिए पूरी योजना बनानी होगी। मुड़कर देखा तो वह बड़े ही आराम से अपनी रसोई में घूमते हुए सब कुछ समेट रहा था।
“एनडीए, उस एनडीए में क्या सब कुछ आता है?” मैंने पूछा ही लिया
“क्यों?” वह मुड़ा और मुझे घूर कर बोला। मैं खिसिया गई।
“वैसे मेरे पास सेक्स से जुड़े कुछ सवाल हैं।” मैंने अपनी अंगुलियों को घूरा।” और मैं उन्हें केट से पूछना चाहूंगी।”
“तुम मुझसे पूछ सकती हा “।
“क्रिस्टियन! तुम्हारी सेवा में सविनय निवेदन करना चाहूंगी कि… “. मेरा सुर भर्रा सा गया। मैं तुमसे नहीं पूछ सकती। तुम तो अपनी सोच के हिसाब से जो भी बताओगे वह तो सेक्स के विकृत रूप से ही जुड़ा होगा। मैं एक पक्षपात से परे सटीक उत्तर चाहती हूं।” बस यह तो सेक्स की बुनियादी जानकारी के बारे में है। मैं तुम्हारे पीड़ादायी लाल कमरे के बारे में बात नहीं करूंगी।”
उसने भवें उठाईं।
“पीड़ादायी लाल कमरा? एनेस्टेसिया! वह सब तो आनंद से संबंध रखता है। मेरा विश्वास करो। इसके अलावा तुम्हारी वह सहेली पिछले दो सप्ताह से मेरे भाई के साथ जैसे गुलछर्रे उड़ा रही है। उस हिसाब से तो तुमने कुछ भी नहीं किया।”
“क्या तुम्हारा परिवार…इन बातों के बारे में जानता है?”
“नहीं, इससे उनका कोई लेन-देन नहीं है।”
“तुम क्या जानना चाहती हो? उसने अपनी अंगुलियों से मेरी चिबुक थाम कर पीछे को धकेल दी ताकि मैं उसकी आंखों में सीधे देख सकूं। मैं अंदर ही अंदर सिकुड़ गई। मैं इस इंसान से झूठ नहीं बोल सकती।
“अभी तो कुछ खास नहीं।” मैं हौले से बोली
“अच्छा तो हम शुरूआत के लिए पूछ सकते हैं कि कल रात तुम्हारे लिए कैसी रही?” उसकी आंखों में गहरा कौतूहल भाव था। वह जानना चाहता है। वाउ!
“अच्छी! “मैं बुदबुदाई
उसके होंठ हल्के से हिले
“मुझे भी अच्छी लगी। मैंने आज से पहले कभी वनीला सेक्स नहीं किया। इसके लिए बहुत कुछ कहा गया है पर शायद ये सब इसलिए हो सका क्योंकि यह तुम्हारे साथ था। सने मेरे निचले होंठ पर अपना अंगूठा फेरा।
मैंने मन ही मन गहरी सांस ली। वनीला सेक्स?
“आओ! चलो नहाने चलें।” वह आगे झुका और हौले से चूम लिया।
मेरा दिल धड़का और अंदर ही अंदर एक चाह मचलने लगी।
नहाने का बाथ टब सफेद पत्थर का बना अंडाकार डिजाइनर टब था। क्रिस्टियन उस पर झुका और नल खोल कर पानी से भर दिया। फिर उसने पानी में महंगा सा दिखने वाला बाथ ऑयल डाला। उसकी झाग बन गई और चारों तरफ जैस्मिन की महक फैल गई। वह खड़ा हुआ, मुझे घूरते हुए अपनी टी-शर्ट उतारकर नीचे फेंक दी।
“मिस स्टील! “उसने हाथ बढ़ाया
मैं दरवाजे के पास खड़ी विस्फारित नेत्रों से यहां-वहां ताक रही हूं और दोनों बाजुओं से खुद को घेरा हुआ है। मैं उसके शरीर की सुंदर गठन की मन ही मन सराहना करते हुए आगे बढ़ी। उसका हाथ थामा और उसने मुझे टब में आने का संकेत किया। मैंने अब भी उसकी शर्ट पहन रखी है। मैंने वही किया, जो कहा गया था। अगर उसके प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करना है तो उसकी बात मानने की आदत तो डालनी ही होगी …अगर !! वह मुझे गहरी नज़रों से देख रहा है।
“बेशक! तुम्हारे होंठ बहुत स्वादिष्ट हैं पर क्या अब तुम्हें इन्हें काटना बंद करोगी? ये देखकर मेरे मन में कैसे ख्याल आते हैैं…शायद मैं बता चुका हूं।”
मैंने झट से होंठ को दांत की कैद से आज़ाद कर दिया।
मुझे तो अंदाज़ा तक नहीं था कि मैं उस पर इतना असर डाल सकती हूं।
“अच्छा।” वह आगे बढ़ा और शर्ट की जेब से मेरा आई-पॉड निकाल लिया। उसे सिंक के पास रख कर बोला-
“पानी और आई-पॉड कोई बहुत अच्छा मेल नहीं है। कुछ ही देर में मैं उसके सामने निर्वस्त्र थी।
उसने मुझे घूरना शुरू किया और जी में आया कि मैं खुद को उस पानी की तहों में छिपा लूं पर बेशक वह ऐसा नहीं करना चाहेगा।
“हे! एनेस्टेसिया तुम बहुत ही सुंदर युवती हो। अपने-आप में पूरी तरह से खूबसूरत। शर्मिंदा होकर अपना सिर मत झुकाओ। इसमें शर्मिंदा होने जैसी कोई बात नहीं है। सच इस तरह तुम्हें निहारने का भी अपना ही एक आनंद है।” उसने मेरी चिबुक को हाथों में थामा और सिर को इस तरह झुकाया कि मेरी पहुंच उसकी आंखों तक हो गई। वे कितनी कोमल और गर्म हैं, बेशक जल रही हैं। वह मेरे कितने पास है। मैं उसे आगे होकर छू सकती थी।
“तुम अब बैठ सकती हो।” उसने मेरी सोच को छितरा दिया और मैंने उस गर्म गुनगुने पानी में पैर रखा। ओह……पहले-पहल तो उसने मेरे शरीर में चुभन पैदा की पर कुछ ही पलों में शरीर उस तापमान का आदी हो गया। कितनी भीनी और मीठी गंध आ रही है। दर्द भी जैसे कहीं खो गया है। मैंने पीठ के बल लेटकर पल भर के लिए आंखें मूूंद लीं और उस पानी को शरीर के पोर-पोर को सहलाने की इजाज़त दे दी। जब मैंने आंखें खोलीं तो वह मुझे ही घूर रहा था।
“तुम क्यों नहीं आते?” मैंने काफी बहादुरी दिखाई।
“शायद मुझे भी आना चाहिए। चलो आगे खिसको।”
उसने अपने कपड़े उतारे और बाथ टब में आ गया। मैं अपने पूरे शरीर पर उसके शरीर का भार और छुअन महसूस कर सकती थी। उसने गहरी सांस ली।” एनेस्टेसिया! तुम्हारी गंध बड़ी मीठी है।”
मेरे पूरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गई। मैं और क्रिस्टियन दोनों एक ही बाथ टब में, निर्वस्त्र! कल जब मैं उसके होटल सुईट में सो कर उठी थी, अगर उस समय किसी ने मुझसे यह बात कही होती, तो बेशक मैं उसका कभी यकीन न करती।
उसने वहां पड़ी शेल्फ से बॉडीवॉश लिया और दोनों हाथों में मलते हुए झाग सी बना ली। फिर वह मेरे अंगों पर उसे मलते हुए मालिश-सी करने लगा। उसकी लंबी अंगुलियों का वह स्पर्श मुझे महदोश कर देने के लिए काफी था।
“तुम्हें अच्छा लगा? मैं उसकी मुस्कान को महसूस कर सकती थी।
“हम्म!
उसके हाथ मेरे बगलों तक आए और मुझे खुशी हुई कि मैंने केट के बार-बार कहने से वहां के बाल शेव करवा लिए थे। अब मेरा पूरा शरीर बिना किसी वर्जना के उसके हाथों में था और मैंने उसे मनचाहे तरीके से खेलने की छूट दे दी। हर बीतते पल के साथ मेरी सांसें उथली हो रही थीं। ये जानना भी कितना सुख दे रहा था कि मेरा शरीर उसे उत्तेजित करने की क्षमता रखता है। तभी भीतर बैठी सयानी लड़की कराही- तेरा मन तो नहीं न …। मैंने उस सोच को उसी समय परे झटक दिया।
बड़ी देर तक यही खेल चला और मैं अंदर ही अंदर सुलगती रही। तभी उसने अपना हाथ खींच लिया। नहीं-नहीं-नहीं? !!! मेरी सांस उखड़ रही है।
“तुमने हाथ क्यों रोक दिया?”
“क्योंकि एनेस्टेसिया! मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ और योजनाएं हैं।”
क्या…ओह… पर मैं तो… ये तो इंसाफ नहीं है।
“मुड़ो! मुझे भी शरीर की साफ-सफाई की जरूरत है।” मैंने उसकी ओर मुंह घुमाया और उसने…..
…वह चाहता था कि मैं उसके शरीर के उस अंग को अपने हाथों से छूकर महसूस करूं। वही अंग, जो उसके अनुसार उसके शरीर का सबसे प्रिय और आनंददायक अंग था। मैं कुछ सोचकर मन ही मन मुस्कुराईं और ठीक उसकी तरह अपने हाथों में साबुन लेकर झाग बना ली। फिर मेरे हाथ अपना कमाल दिखाने लगे और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। तो अब मैं समझ पा रही थी कि वह मेरे मुंह का कौन-सा कमाल देखना चाह रहा था। मैंने मुख-मैथुन से उसे वही सुख दिया, जिसकी उसे मुझसे शायद उम्मीद तक नहीं थी।
“ओह एना! तुमने मुझे इतना आनंद दिया। अब मेरा भी फर्ज बनता है बदले में तुम्हें भी वही सुख दूं।”
अरे! एक और बार…
उसने बाथ टब से निकल कर बाहर कदम रखा तो उसके शरीर के दिव्य सौंदर्य से मुग्ध होकर मैं सांस तक लेना भूल गई। उसने एक छोटा तौलिया अपनी कमर में बांधा और मेरे लिए एक बड़ा सा रोंएदार सफेद तौलिया ले लिया। मैं बाहर आई तो उसने मुझे तौलिए में लपेटा और अपने पास खींच कर चूम लिया। मैं उसे छूने को तरस रही थी पर मेरे बाजू तौलिए में लिपटे थे। मैं जल्द ही उसके चुंबन में खो गई। फिर उसने मुझे गहरी नज़रों से देखा और बोला
“‘हां’ कहो।”
“किसलिए?”
“हामी दो कि तुम हमारे इस रिश्ते के लिए तैयार हो। प्लीज़! एना मेरी बन जाओ।” वह हौले से बोला। फिर वह मुझे अपने सोने के कमरे में ले गया।
उसने मुझे पलंग के पास खड़ा करके कहा।” मेरा भरोसा करोगी?”
मैं अचानक सोचने लगी कि क्या मैं उस पर भरोसा रखती हूं? अब वह मेरे साथ क्या करने जा रहा है ? पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई।
“गुड गर्ल!! “उसने सांस लेते हुए मेरे निचले होंठ पर अपना अंगूठा फिराया।
वह अपनी अलमारी के पास गया और वहां से सिल्वर-ग्रे रेशमी टाई ले आया।
“अपने दोनों हाथ आगे की ओर करते हुए एक साथ लाओ।” उसने हुक्म दिया और मेरा तौलिया फर्श पर फेंक दिया।
मैंने वही किया जो कहा गया था। उसने मेरी दोनों कलाईयां उस टाई से बांध दीं।
फिर उसने उन्हें जांचा। गांठ मजबूत थी। बेशक वह ब्वॉय स्काउट रहा होगा। अब क्या? मेरा दिल बेकाबू हो रहा है। उसने मेरी चोटियों पर अपनी अंगुलियां चलाईं।
“तुम इनमें बहुत छोटी दिखती हो। वह बोला और आगे बढ़ा। मुझे पीछे की ओर चलना पड़ा और मैं पलंग के छोर तक जा पहुंची। उसके तन पर भी अब तौलिया नहीं था पर मेरी निगाहें उसके चेहरे पर टिकी थीं। उसके चेहरे से चाह झलक रही थी।
“ओह एनेस्टेसिया! मैं तेरा क्या करूं?” वह बोला। मुझे पलंग पर लिटा कर साथ ही लेट गया। मेरे दोनों हाथ सिर से ऊपर कर दिए।
“अपने हाथ यहीं रखना और हिलाना मत समझीं।”
ओह! मैंने तो कभी कल्पना तक नहीं की थी मेरे साथ..
फिर उसने तय किया कि वह मुझे सिर से पांव तक चूमेगा। उसके चुंबनों के साथ-साथ मेरे शरीर का रोम-रोम जागता चला गया। मेरी त्वचा की संवेदनशीलता अचानक बढ़ गई।
मैं भी उसे छूना चाहती थी पर मेरे हाथ बंधे थे। मैंने हिलना चाहा तो वह बोला
“हिलो मत। तुम हिलोगी तो मुझे ये सब फिर से शुरू करना होगा।”
“पर मैं तुम्हें छूना चाहती हूं।”
“मैं जानता हूं पर तुम हाथ अपने सिर के ऊपर रखो।” शरीर में चुंबनों की सनसनाहट से ही गहरी और तीखी चाह जाग गई थी।” उसने अपना वादा पूरा किया और मैंने भी पहली बार मुख मैथुन का आनंद पाया। मैं उस आनंद को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती।
फिर उसके हाथ कंडोम की ओर बढ़े और……हम जुनून से भरी उन गलियों से होकर लौट आए…..
“देखा! हम दोनों का साथ कितना अच्छा है।” वह हौले से बोला।
“अगर तुम खुद को मुझे सौंप दो तो यकीन करो। यह सब और भी बेहतर होगा। एनेस्टेसिया! मैं तुम्हें ऐसी-ऐसी जगह ले जा सकता हूं, जिनके बारे में तुमने सोचा तक नहीं होगा।” उसके शब्द मेरे दिमाग में गूंजने लगे। उसने अपनी नाक मेरी नाक से टकराई। मैं अब भी उत्तेजना
से कांप रही हूं।
अचानक हम दोनों ही हॉल से आती आवाज़ों से चौंके। हमें सब कुछ सुन कर समझने में कुछ पल लग गए।
“पर अगर वह इस समय भी बिस्तर में है तो इसका मतलब है कि वह बीमार है। वह तो इस समय तक कभी नहीं लेटता। क्रिस्टियन को देर तक सोने की आदत नहीं है।”
“मिसेज ग्रे प्लीज़! “
“टेलर! तुम मुझे मेरे ही बेटे से दूर नहीं रख सकते। “
“मिसेज ग्रे! वे अकेले नहीं हैं।”
“इस बात से क्या मतलब है कि वे अकेले नहीं हैं?”
“उनके साथ कोई है “
“ओह!…” यहां तक कि मुझे भी उस आवाज़ में छिपा अविश्वास सुन गया। क्रिस्टियन ने तेजी से पलकें झपकाईं और मुझे हास्य-मिश्रित भय के साथ देखकर बोला
” हो गया कबाड़ा!!!! ये तो मॉम आई हैं।”
