fifty shades of grey novel in Hindi: मैंने खुद को शीशे में बड़ी कुंठा से निहारा। आग लगे मेरे बालों को-ये काबू में ही नहीं आ रहे हैं और भाड़ में जाए कैथरीन कैवेना, जो अचानक बीमार पड़ गई और मुझे मुसीबत में डाल दिया। कहां तो मुझे अगले हफ्ते होने वाले फाइनल पेपरों की तैयारी करनी चाहिए और कहां मैं अपने बालों को सुलझाकर संवारने के लिए पागल हुई जा रही हूं। मुझे इन गीले बालों के साथ नहीं सोना चाहिए। मैंने इस बात को मंत्र की तरह रटते हुए एक बार फिर से ब्रश चलाया। फिर मैंने शीशे में हल्के पीले रंग की, भूरे बालों वाली लड़की को देखा, जो अपने चेहरे से कहीं बड़ी नीली आंखों के साथ मुझे ही घूर रही थी, मैंने भी उसे देखकर आंखें गोल घुमाई और हार मान ली। बस यही चारा बचा था कि बालों को पोनीटेल में बांध लिया जाए ताकि वे कम से कम दिखने लायक तो हो जाएं।
केट यानी कैथरीन कैवेना मेरी रूममेट है और उसने भी फ्लू का शिकार होने के लिए आज का ही दिन चुना। इसी वजह से वह उस इंटरव्यू के लिए नहीं जा पा रही, जिसकी तैयारी काफी समय से चल रही थी। वह अपने स्टूडेंट न्यूज़पेपर के लिए किसी मेगा-उद्योगपति टाइकून का इंटरव्यू लेना चाहती थी। वैसे मैंने आज तक उस इंसान के बारे में कुछ नहीं सुना था। आज मैं अपनी मर्जी से केट का यह काम करने जा रही थी। फाइनल पेपर सिर पर हैं, निबंध निपटाना था और आज दोपहर काम पर भी तो जाना था-पर नहीं, आज तो मुझे 165 मील की ड्राइविंग करके सिएटल जाना है ताकि ग्रे इंटरप्राइज़िज होल्डिंग, इंक के रहस्यमय सीईओ से मुलाकात हो सके। हमारी यूनीवर्सिटी को भारी मात्रा में चंदा देने वाला और एक असाधारण उद्यमी-उसका समय सचमुच बड़ा कीमती है-मेरे वक्त से कहीं कीमती-पर उसने केट को इंटरव्यू का समय दिया है। हे भगवान! केट की ये निराली गतिविधियां!
वह ड्राइंग रूम के काउच पर गोलमोल होकर लेटी है।
“एना, सॉरी! मैं पिछले नौ महीनों से इस इंटरव्यू के लिए भागदौड़ कर रही थी। दोबारा इंटरव्यू का समय लेने में छह महीने लग जाएंगे और तब तक तो हमारी ग्रेजुएशन भी हो चुकी होगी। एक संपादिका होने के नाते मैं इसे हाथ से जाने नहीं दे सकती। प्लीज़।” केट ने अपने रुंधे स्वर में कहा। यार! बीमार होने के बावजूद वह कितनी प्यारी और सुंदर लग रही है। उसके स्ट्राबेरी ब्लांड बाल अपने ठिकाने पर हैं, हरी आंखें चमक रही हैं। हालांकि उनमें हल्की लाली और सूजन भी दिख रही है। मैंने अपने भीतर से उठ रही अनचाही सहानुभूति की लहर को काबू किया।
“बेशक! मैं चली जाऊंगी केट। तुम्हें बिस्तर में आराम करना चाहिए। क्या तुम नाइक्विल या टाइलीनॉल लेना चाहोगी?”
“नाइक्विल प्लीज़। ये रहे मेरे सवाल और डिजीटल रिकॉर्डर। बस रिकॉर्ड का बटन दबा देना। नोट्स बन जाएंगे तो मैं सब लिख लूंगी।”
“मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती।” मैं बुदबुदाई और अपने भीतर जाग रहे डर को शांत करना चाहा।
“ये सवाल ही काफी कुछ बता देंगे। ये एक लंबी ड्राइव है। मैं नहीं चाहती कि तू देर से पहुंचे।”
“ओ के! मैं जा रही हूं। तू बिस्तर में जा। मैं सूप बना देती हूं। गर्म करके पी लेना।” मैंने उसे प्यार से देखा। सिर्फ तेरे लिए केट क्या मैं कर पाऊंगी?
“गुडलक और थैंक्स एना-तूने हमेशा की तरह इस बार भी मेरी मदद की है।”
मैं अपना सामान थैले में डालते हुए उसे देखकर मुस्कुराईं। फिर दरवाजे से कार की ओर चल दी। मैं यकीन नहीं कर सकती कि मैं केट की जगह ये काम करने जा रही हूं। वह तो एक जबरदस्त पत्रकार बनेगी, वह कहीं भी, किसी से भी बात कर सकती है। वह बहुत ही सृजनशील, सभ्य, अपनी धुन की पक्की, बहसबाजी में चुस्त और खूबसूरत है-और मेरी सबसे पक्की, सबसे प्यारी सहेली है।
मैं वैंकूवर वाशिंगटन से इंटरस्टेट 5 की तरफ निकली तो सड़कें साफ थीं। अभी काफी टाइम है और मुझे सिएटल दोपहर तक पहुंचना है। वैसे भी मुझे केट ने अपनी स्पोर्टी मर्सीडीज़ सीएलके दे दी है। मैं पक्के यकीन से नहीं कह सकती कि मेरी वांडा यानी पुरानी वीडब्लयू बीटल सही वक्त पर सफ़र कर पाती या नहीं? वाह! मर्सी चलाने का भी अपना ही मज़ा है और एक बार स्टार्ट करते ही मीलों गायब होते चले गए।
ये उपन्यास ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – fifty shades of grey(फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे)
मुझे मि. ग्रे ग्लोबल एंटरप्राइजेज के मुख्यालय जाना है। ये एक विशाल बीसमंजिला ऑफिस की इमारत है, जो चारों तरफ से कांच और स्टील से घिरी है, एक आर्किटेक्ट की उपयोगितावादी फैंटेसी, आगे वाले दरवाजों के कांच पर छिपे तौर पर स्टील में लिखा है-ग्रे हाउस। मैंने कांच, स्टील और सफेद सैंडस्टोन से बनी लॉबी में पौने दो के करीब कदम रखा और चैन की सांस ली क्योंकि मैं लेट नहीं थी।
सैंडस्टोन के ठोस डेस्क के पीछे, एक बहुत ही आकर्षक, संवरी हुई गोरी व सुनहरे बालों वाली युवती ने मुझे मुस्कुराकर देखा। उसने बड़े ही भड़कीले रंग में चारकोल सूट जैकेट और ऐसी सफेद शर्ट पहन रखी है, जो शायद मैंने कभी देखी तक नहीं। वह काफी निखरी हुई दिखी।
“मैं यहां मि. ग्रे से मिलने आई हूं। कैथरीन कैवेना की ओर से एनेस्टेसिया स्टील।”
“एक मिनट माफ करें, मि स्टील।” उसने अपनी एक भौं उठाई और मैं अपने में सकुचाई हुई उसके सामने खड़ी रही। मैं सोचने लगी कि काश अपनी नेवी-ब्ल्यू जैकेट पहनने की बजाए केट के फॉर्मल ब्लेजर्स मांग लिए होते। मैंने बड़ी तैयारी के साथ अपनी इकलौती स्कर्ट, घुटनों तक आने वाले भूरे जूते और एक नीला स्वेटर पहना था। मेरे हिसाब से तो यही स्मार्ट था। मैंने अपने चेहरे पर झूल आई लट को पीछे करते हुए दिखावा किया मानो मैं उससे बिल्कुल भी भयभीत नहीं थी।
“मिस कैवेना आने वाली थीं। मिस स्टील आप यहां साइन करें। आप दाईं ओर आखिरी लिफ्ट के पास जाएं और बीसवीं मंजिल के लिए बटन दबा दें।” वह मुझे देखकर दया भरी निगाहों से मुस्कुराईं। बेशक मुझे साइन करते देख वह मन ही मन मजाक उड़ा रही थी।
उसने मुझे एक पास दिया, जिस पर ‘विजीटर’ लिखा था। मैं अपनी मुस्कान रोक नहीं पाई। ये तो साफ ही था कि मै वहां किसी से मिलने ही आई थी। मुझे देखकर ही लगता था कि मैं वहां के लिए फिट नहीं थी। कुछ भी तो नहीं बदलता। मैंने मन ही मन आह भरी। मैं उसे धन्यवाद देकर लिफ्ट की ओर बढ़ी और दो सिक्योरिटी वालों के पास से निकली, जो अपने बढ़िया काले सूटों में मुझसे कहीं अच्छे दिख रहे थे।
लिफ्ट ने बीसवीं मंजिल तक जाने में पूरी फुर्ती दिखाई। दरवाजा खुलते ही मैं एक और लॉबी में आ गई-फिर वही कांच, स्टील व सफेद सैंडस्टोन। वहां भी डेस्क पर एक और ब्लांड युवती वाऊ!
मैंने बैठकर बैग से सवाल निकाले और उन्हें पढ़ने लगी और साथ ही केट को भी कोसा, जिसने मुझे इस बंदे के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी थी। मैं जिसका इंटरव्यू लेने जा रही थी, उसके बारे में राई-रत्ती भी नहीं जानती थी। हो सकता था कि वह नब्बे साल का हो या फिर तीस साल का। मेरे चारों तरफ घबराहट बढ़ रही थी। मैंने कभी भी इस तरह के आमने-सामने वाले इंटरव्यू में खुद को सहज नहीं पाया। मुझे तो ग्रुप डिस्कशन पसंद आती है, जहां मैं कोने में गोलमोल होकर बैठ सकती हूं। वैसे मैं ईमानदारी से कहूं तो मुझे अपनी ही सोहबत पसंद आती है। हाथ में कोई क्लासिक ब्रिटिश उपन्यास और कैंपस लाइब्रेरी का कोई एकांत कोना! इस तरह कांच और स्टील की विशाल इमारत से मेरा कोई लेन-देन नहीं है।
मैंने खुद को देखकर आंखें घुमाईं। स्टील! अपने पर काबू कर। इतनी मॉर्डन और क्लीनिकल इमारत को देखकर तो यही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ग्रे चालीस के लपेटे में होगा; फिट, धूप से तपा हुआ और बाकी व्यक्तित्व से मेल खाती हर चीज़।
दाईं ओर के एक बड़े से दरवाजे से एक और बड़ी ही सभ्य और शिष्ट दिख रही ब्लांड ने प्रवेश किया। क्या बात है, यहां सारे ब्लांड लोग ही हैं? मैं एक गहरी सांस के साथ उठ खड़ी हुई।
“मिस स्टील!” नई वाली ब्लांड ने पुकारा।
“हां जी!” मैंने गला खंखार कर कहा। “जी हां!” इस बार कुछ सही आवाज़ निकली।
“मि. ग्रे आपसे कुछ ही देर में मिलेेंगे। मैं आपका जैकेट ले सकती हूं?”
“ओह प्लीज़!” मैंने खुद को जैकेट से बाहर निकाला।
“क्या आपको चाय-पानी पूछा गया?”
“उम्म-नहीं कुछ नहीं चाहिए।” ओह डियर! लगता है कि ब्लांड नंबर वन की शामत आ गई।
ब्लांड नंबर दो ने त्यौरियां चढ़ाई और और डेस्क वाली युवती को आंखें दिखाईं।
“आप क्या लेना चाहेंगी-चाय, काफी या पानी वगैरह?” उसने मुड़कर मुझसे पूछा
“एक गिलास पानी! थैंक्स।” मैं बुदबुदाई।
“ओलीविया! प्लीज़ मिस स्टील के लिए एक गिलास पानी ले आओ।” उसने कड़े स्वर में कहा। वह उठी और बरामदे की ओर चल दी।
“सॉरी मिस स्टील! ये हमारी नई इंटर्न है। आप बैठिए। मि. ग्रे को पांच मिनट और लगेंगे।”
ओलिविया एक गिलास ठंडे पानी के साथ लौटी।
“ये लीजिए! मिस स्टील।”
“धन्यवाद!”
ब्लांड नंबर दो डेस्क की ओर परेड सी करते हुए बढ़ी, सैंडस्टोन के फर्श पर उसकी हील की टिक-टॉक साफ सुनी जा सकती थी। वह बैठ गई और दोनों अपना काम करने लगीं।
शायद मि. ग्रे यही चाहते हों कि उनका सारा स्टाफ ब्लांड हो। मैं यूं ही सोच रही थी कि क्या ये कानूनी तौर पर मान्य है और तभी ऑफिस का दरवाजा खुलते ही मेरे सामने एक लंबा, शिष्ट कपड़ों में सुसज्जित, आकर्षक अफ्रीकी अमेरिकन आदमी बाहर निकल आया। बेशक मैंने यहां के लिहाज़ से गलत कपड़े पहने थे।
वह मुड़ा और दरवाजे की तरफ देखकर बोला- “ग्रे! इस हफ्ते गोल्फ?”
मैंने जवाब नहीं सुना। वह मुड़ा, मुझे देखा और मुस्कुराया, उसकी गहरी आंखों के कोनों में चमक दिखाई दी। ओलिविया ने लगभग उछलते हुए लिफ्ट को बुलवाया। शायद वह बार-बार सीट से उछलने के हुनर में परफेक्ट थी। वह तो मुझसे भी ज्यादा घबराई हुई लग रही थी।
“गुड आफ्टरनून लेडीज!” उसने कहा और स्लाइडिंग दरवाजे से बाहर चला गया।
“मि. ग्रे आपसे मिलेंगे, मिस स्टील। आप वहां से जाएं।” ब्लांड नंबर दो ने कहा।
मैं कांपती टांगों के साथ खड़ी हुई और घबराहट पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। मैंने बैग समेटा, पानी का गिलास वहीं छोड़ा और हल्के खुले दरवाजे की ओर बढ़ी।
“आपको खटखटाने की जरूरत नहीं है। सीधे चली जाइए।” वह बड़े ही दयाभाव से मुस्कुराईं।
मैंने धकेलकर दरवाजा खोला और अपने ही पैरों में उलझकर ऑफिस में जा गिरी। हो गया कबाड़ा! मैं और मेरे दो खुले पांव! मैं मि. ग्रे के ऑफिस के दरवाजे पर हाथों और घुटनों के बल हूं और दो सौम्य हाथ मुझे उठने के लिए सहारा दे रहे हैं। मैं तो शर्म के मारे जमीन में ही गड़ गई। लानत है मेरी बेअक्ली पर! मुझे हिम्मत करके नज़रें उठानी पड़ीं। अरे… ये तो कितना जवान है।
“मिस कैवेना!” मैं उठ गई तो उसने लंबी-लंबी अंगुलियों वाला हाथ मेरी ओर करते हुए कहा- “मैं क्रिस्टियन ग्रे हूं। क्या आप ठीक हैं? क्या आप बैठना चाहेंगीं?”
कितना जवान-आकर्षक, दिलकश। वह काफी लंबा है, एक फाइन ग्रे सूट को सफेद कमीज और काली टाई से पहना हुआ है। गहरे तांबई रंग के बाल और गहरी भूरी आंखें, जो मुझे ही देख रही हैं। मुझे अपनी खोई आवाज़ लौटाने में एक मिनट लग गया।
“ओफ! सच्ची… “
अगर ये बंदा तीस से ऊपर का हुआ तो मैं अपना नाम बदल दूंगी। मैंने बेसुधी में ही उससे हाथ मिलाया। हमारी अंगुलियां आपस में मिलीं तो पूरे शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गई। मैंने झट से शर्मिंदा होकर अपना हाथ हटा लिया। मेरी आंखों की पलकें लगातार फड़फड़ा रही थीं और दिल तेजी से भाग रहा था।
“मिस कैवेना नहीं आ सकीं इसलिए उन्होंने मुझे भेजा है। उम्मीद करती हूं कि आप बुरा नहीं मानेंगे, मि. ग्रे!”
“और आप?” उसकी आवाज़ की गरमाहट से भावों का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता था। वह थोड़ा-सा ध्यान दे रहा था और काफी विनम्र भी लगा।
“एनेस्टेसिया स्टील। मैं केट…कैथरीन…मिस कैवेना के साथ डब्लयू एस यू वैंकूवर में इंग्लिश लिटरेचर पढ़ रही हूं।”
“ओह अच्छा!” उसने सादगी से कहा। मुझे लगा कि शायद उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी थी पर पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते।
“क्या आप बैठना पसंद करेंगी?” उसने एल के आकार में बने सफेद चमड़े के काउच की ओर इशारा किया।
उसका ऑफिस एक आदमी के लिहाज से काफी बड़ा था। सामने लंबी-लंबी खिड़कियां थीं और एक आधुनिक किस्म का ऐसा मेज़ था, जिस पर छह लोग आराम से खाना खा सकते थे। गहरे रंग का यह मेज, काउच के पास पड़े कॉफी टेबल से मेल खाता था, इसके अलावा बाकी सब कुछ सफेद रंग में था। दरवाजे के पास वाली दीवार पर बना मोजैक देखने लायक था, करीब छत्तीस पेंटिंग्स चौरस आकार में लगीं थीं। वे चित्र इस तरह रंगे गए थे कि दूर से देखने पर तस्वीरों जैसे दिखते थे। उन्हें एक साथ देखने का मजा ही कुछ और था।
“एक स्थानीय कलाकार, टन्न्रोटॉन।” ग्रे ने मेरी नज़रों को वहां मंडराते देखकर कहा।
“ये तो बहुत सुंदर हैं। आम को भी ख़ास बनाकर पेश किया है।” मैं बुदबुदाई और मेरा ध्यान उसकी ओर चला गया। उसने अपनी गर्दन एक ओर करते हुए मुझे देखा।
“मिस स्टील! मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं।” उसकी आवाज़ मुलायम थी और पता नहीं क्यों पर मैं शरमाने लगी।
पेंटिंग्स के सिवा बाकी ऑफिस ठंडा, साफ और क्लीनिकल सा दिखता था। मैं सोच रही थी कि क्या इस ऑफिस से उस इंसान का व्यक्तित्व झलकता था, जो इस समय मेरे सामने वाली कुर्सी में धंसा बैठा था।
मैंने अपना सिर हिलाया और बैग से केट के सवाल निकालने लगी। इसके बाद बैग से डिजीटल रिकॉर्डर निकाला और अपनी पूरी बेहाली के साथ उसे दो बार मेज पर गिरा बैठी। मि. ग्रे ने कुछ नहीं कहा, वे इंतज़ार करते रहे और मैं शर्मिंदा होते हुए लजाती रही। जब मैंने उनकी तरफ ताकने की हिम्मत की तो वे मुझे ही देख रहे थे, एक हाथ आराम से गोद में था और दूसरा चिबुक पर टिका था, उनकी तर्जनी होंठों पर थी। मुझे लगा कि वे मुस्कान दबाने की कोशिश में थे।
“सॉ…री। मैं अकबका गई। मैं इन चीजों की आदी नहीं हूं।”
“आप तसल्ली से तैयारी करें। मिस स्टील।” वे बोले।
“अगर मैं आपके जवाब रिकॉर्ड कर लूं तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे?”
“आप इतनी मुश्किल से टेपरिकॉर्डर सेट करने के बाद मुझसे ये बात पूछ रही हैं?”
मैं शरमा गई। वह तो मुझे चिढ़ा रहा था। मैंने कम से कम यही मान लिया। मैंने पलकें झपकाईं हालांकि समझ नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दूं और शायद फिर उसे मुझ पर दया आ गई और उसने कहा- “नहीं, मुझे बुरा नहीं लगेगा।”
“क्या केट यानी मिस कैवेना ने आपको बता दिया कि इंटरव्यू किसके लिए है?”
“हां। इस साल मैं ही ग्रेजुएशन समारोह में डिग्रियां देने वाला हूं इसलिए इसे स्टूडेंट न्यूजपेपर के ग्रेजुएशन संस्करण में डाला जाएगा।”
ओह! मेरे लिए तो ये खबर है। मैं कुछ पल के लिए इसी सोच में खो गई कि वह इंसान मुझसे मुश्किल से पांच-छह साल बड़ा होगा, वह एक सफल इंसान होने के नाते मुझे डिग्री देने का हक रखता है। मैंने त्योरी चढ़ाई और खुद को काम करने के लिए कहा।
“गुड!” मैंने घबराहट के साथ थूक निगला। “मेरे पास कुछ सवाल हैं। मि. ग्रे!” मैंने बालों की आगे आई लट को संवारा।
“मैंने सोचा कि तुम्हारे पास होने चाहिए।” वह मेरी हंसी उड़ा रहा था। यह सोचते ही मेरे गाल जैसे जलने लगे। मैं सीधा बैठ गई और संभल कर रिकॉर्डर का बटन दबा दिया। अब मैं मोर्चे पर थी और खुद को उसी तरह पेश किया।
“आपने छोटी-सी उम्र में ही इतना बड़ा एंपायर खड़ा किया है। आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहते हैं?” मैंने उसे ताका। बेशक मुस्कान दिखी पर चेहरे पर मायूसी भी थी।
“मिस स्टील! बिजनेस का सीधा संबंध लोगों से है और मुझे लोगों की बखूबी परख है। मुझे पता है कि उन्हें क्या पसंद है, क्या नापंसद है। वे क्या चाहते हैं, उनकी प्रेरणा क्या है या उनसे काम कैसे लिया जा सकता है। मेरे पास एक असाधारण दल है और मैं उन्हें अच्छा पुरस्कार भी देता हूं।” वह रुका और मुझे अपनी भूरी आंखों से पल-भर के लिए घूरा। “किसी भी स्कीम में सफलता पाने का एक ही मंत्र है कि आपको उसके बारे में छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात की जानकारी होनी चाहिए। मैंने ये सब पाने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं तर्कों और तथ्यों के आधार पर फैसले लेता हूं। मेरे पास एक कुदरतन शक्ति है, जिसके बल पर मैं ठोस विचारों और लोगों को पहचान लेता हूं।”
“हो सकता है कि ये किस्मत का ही खेल हो।” ये केट की लिस्ट में नहीं था पर ये आदमी बड़ा अकड़ू है। उसकी आंखें पल भर के लिए तो जैसे हैरान रह गईं।
“मिस स्टील! मैं चांस या किस्मत में विश्वास नहीं रखता। मैं जितना परिश्रम करता हूं, किस्मत उतना ही मेरे हक में हो जाती है। आपको अपने दल के लिए सही लोगों के चुनाव और उनकी उर्जाओं को सही दिशा में लगाने की कला आनी चाहिए। शायद हार्वे फायरस्टोन ने कहा था-लोगों की वृद्धि और विकास ही नेतृत्व के लिए आवश्यक है।”
“आप तो एक नियंत्रित करने वाले सनकी जैसे लगते हैं। इससे पहले कि मैं खुद को रोक पाती।” मुंह से शब्द निकल ही गए।
“ओह, मिस स्टील! मैंने सब कुछ काबू में रखने का अभ्यास किया है।” उसने चेहरे पर हास्य लाए बिना कहा। मैंने ऊपर देखा और जैसे मेरी नज़र बंध कर रह गई। दिल की धड़कन तेज हो गई और पसीने छूटने लगे।
वह मुझे पर ऐसा असर क्यों छोड़ रहा है? हो सकता है कि वह काफी सुंदर है या फिर उसके देखने का अंदाज़ या फिर निचले होंठ पर अंगुली से टहोका देने की अदा। काश वह ऐसा न करता।
“वैसे भी जब आप मान कर चलते हैं कि आपमें नियंत्रण की क्षमता है तो अपने-आप बल आ जाता है।”
“क्या आपको लगता है कि आपके पास असीम बल है?” मैंने पूछा
“मिस स्टील! मैं चालीस हजार से अधिक लोगों को रोजगार देता हूं। इससे मुझे एक तरह की जिम्मेवारी और ताकत का एहसास होता है। अगर मैं तय कर लेता कि मैं टेलीकम्यूनिकेशंस के काम को बेच दूं तो उसी समय बीस हजार लोग अपने अगले महीने की किस्तें चुकाने के लिए सोच में पड़ जाते।”
मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। मैं उसकी सपाटबयानी से दंग थी।
“क्या आपको बोर्ड को जवाब न देना पड़ता।” मैंने भी हिम्मत नहीं हारी।
“मैं अपनी कंपनी का मालिक हूं। मुझे किसी बोर्ड को जवाब नहीं देना होता।” उसने मुझे तिरछी नजर से देखा। बेशक अगर मैंने थोड़ी खोजबीन रखी होती, तो ये बात मुझे पता होती। पर ये आदमी बड़ा घमंडी है। मैंने बात बदली।
“क्या काम के अलावा भी आपकी कोई रुचियां हैं?”
“मिस स्टील मेरी रुचियां कई तरह की हैं, बहुत अलग तरह की!” पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि उसकी आंखें किसी दुष्ट सोच के कारण चमक रही थीं।
“पर आप इतनी मेहनत करते हैं तो मन बहलाव के लिए क्या करते हैं?”
“मनबहलाव?” उसने सफेद दांतों के साथ मुस्कान दी। मेरी सांस तो जैसे वहीं थम गई। वह सचमुच बहुत सुंदर है। किसी को भी इतना सुंदर नहीं होना चाहिए।
“वैसे मनबहलाव के लिए मैं कई तरह की शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेता हूं। हवाई जहाज उड़ाता हूं।” वह अपनी कुर्सी में करवट बदल कर बोला- “मिस स्टील! मैं एक पैसे वाला आदमी हूं और मेरे शोक भी काफी खर्चीले हैं।”
मैंने झट से केट के सवालों पर नज़र मारी क्योंकि मैं इस विषय को बदलना चाहती थी।
“आपने निर्माण में निवेश किया है। कोई खास कारण?” मैंने पूछा। वह मुझे इतना बेचैन क्यों बना रहा था?
“मुझे चीजें बनाना पसंद है और मुझे पता है कि वे कैसे काम करती हैं। कैसे उन्हें बनाया या बिगाड़ा जाता है। मुझे पानी के जहाज भी पसंद हैं। और क्या कहूं?”
“ऐसा लगता है कि आप तर्क और तथ्यों की बजाए दिल से सवालों के जवाब दे रहे हैं।” उसने हैरानी से मुझे देखा।
“हो सकता है। हालांकि कई लोग तो ये भी कहते हैं कि मेरे पास दिल है ही नहीं।”
“वे ऐसा क्यों कहेंगे?”
“क्योंकि वे मुझे अच्छी तरह जानते हैं।” उसने होंठों से एक टेढ़ी सी मुस्कान दी।
“क्या आपके दोस्तों के हिसाब से आपको जानना आसान है?” मैं यह सवाल पूछते ही पछताने लगी क्योंकि ये तो केट की लिस्ट में भी नहीं था।
“मिस स्टील! मुझे अपनी प्राइवेसी पसंद है और मैं अकसर इतनी आसानी से इंटरव्यू भी नहीं देता। मुझे अपनी गोपनीय बातें दूसरों के साथ बांटना पसंद नहीं है।”
“तो आपने इसके लिए हामी क्यों दी?”
“क्योंकि मैं यूनीवर्सिटी को चंदा देता हूं और लाख चाहने पर भी मिस कैवेना से पीछा नहीं छुड़ा सका। वह लगातार मेरे पी आर वालों को कोंचती रही और मुझे ऐसी लगन अच्छी लगती है।”
मैं जानती थी कि केट इन मामलों में कितनी अड़ियल थी। तभी तो आज मैं इस आदमी की घूरती निगाहों के बीच बैठी खुद को असहज पा रही थी, जबकि इस समय तो मुझे अपने पेपरों की तैयारी करनी चाहिए थी।
“आपने खेतीबाड़ी की तकनीकों में भी पैसा लगाया है। आपने इस क्षेत्र में निवेश क्यों किया?”
“हम पैसा नहीं खा सकते। मिस स्टील, इस ग्रह पर बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी पेट भर कर नहीं मिलती।”
“ये तो बड़ी ही दरियादिली है। क्या सचमुच आप दुनिया के गरीब भूखों का पेट भरना चाहते हैं?”
उसने कंधे झटके।
“ये तो बिजनेस है।” पर मुझे तो इसमें उसका कोई वित्तीय लाभ होता नहीं दिख रहा था। साफ था कि ये उसके आदर्शों में से एक था।
“क्या आपकी कोई फिलॉसफी है? अगर है तो क्या है?”
“मेरी अब तक कोई फिलॉसफी नहीं है। हो सकता है कि कारनेगी का नियम मेरे लिए आदर्श का काम करता हो: जब कोई व्यक्ति अपने मन को पूरी क्षमता के साथ संभालने की योग्यता रखता है तो वह किसी भी चीज को अपने वश में रख सकता है। मैं भी कुछ ऐसा ही हूं। मुझे खुद पर और आसपास की चीजों पर नियंत्रण रखना पसंद है।”
“क्या आप सभी चीजों को अपने वश में रखना चाहते हैं?”
“हां, काफी हद तक कह सकते हैं।”
“ऐसा लगता है कि कोई उपभोक्ता बोल रहा हो।”
“हां, मैं वहीं हूं।” वह मुस्कुराया पर उसकी मुस्कान होठों के कोनों तक नहीं पहुंची। कितनी हैरानी की बात है कि ये इंसान दुनिया के सारे भूखों को खाना खिलाने की बात करता है। मैं तो उसके रहस्यमयी अंदाज़ में खोकर भूल ही गई कि हम बात किस विषय में कर रहे थे। मैंने थूक निगला। कमरे का तापमान बढ़ रहा है या फिर शायद मेरे साथ ही ऐसा हो रहा है। मैं चाहती हूं कि बस अब ये इंटरव्यू खत्म हो जाए। बेशक केट के लिए काफी सामग्री हो गई है। मैंने अगले सवाल पर नजर मारी।
“क्या आपको गोद लिया गया था? आपको क्या लगता है कि इस बात का आपकी परवरिश पर कितना असर पड़ा?” ओह! ये तो बड़ी व्यक्तिगत बात है। मैंने उसे घूरा और उम्मीद की कि उसे बुरा नहीं लगा होगा। उसकी भौहें सिकुड़ गई थीं।
“मेरे पास जानने का कोई तरीका नहीं है।” “जब आपको गोद लिया गया तो आपकी उम्र क्या थी?”
“मिस स्टील! ये तो सभी जानते हैं।” उसका सुर कड़ा था। कबाड़ा!!! हां, बेशक। काश मुझे भी पता होता, मैं तो उसका इंटरव्यू ले रही थी। मुझे थोड़ी खोजबीन करके आना चाहिए था। मैं झट से अगले सवाल पर आ गई।
“आपको अपने काम के लिए पारिवारिक जीवन का त्याग करना पड़ा होगा?”
“ये तो कोई सवाल नहीं है।”
“सॉरी!” ऐसा लगता है कि वह मुझसे किसी ऐसे बच्चे की तरह पेश आ रहा है, जिससे बार-बार गलती हो रही हो।
मैंने फिर से कोशिश की- “क्या आपको काम के लिए अपने पारिवारिक जीवन का बलिदान करना पड़ा?”
“मेरा एक परिवार है। मेरा एक भाई, एक बहन और स्नेही माता-पिता हैं। मैं अपने परिवार को उससे अधिक बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं रखता।”
“क्या आप समलैंगिक हैं, मि. ग्रे?”
उसने गहरी सांस ली और मैं अंदर ही अंदर सिकुड़ सी गई। हे भगवान! मैंने सवाल पूछने से पहले एक बार सोचा तक नहीं! मैं उसे कैसे यकीन दिला सकती हूं कि ये मेरे मन की बात नहीं, मैं तो केट के लिखे सवाल पूछ रही हूं। भाड़ में जाए केट और उसका कौतूहल!
“नहीं एनेस्टेसिया, मैं नहीं हूं।” उसने अपनी एक भौं उठाई। आंखों में एक चमक थी पर वह खुश नहीं था।
“मैं माफी चाहती हूं…. ये यहां लिखा था।” उसने पहली बार मेरा नाम लिया। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई और गाल जलने लगे। मैंने घबरा कर अपने बालों की लट संवारी।
उसने अपना सिर एक ओर झटका
“ये तुम्हारे अपने सवाल नहीं हैं?”
मेरे सिर में खून जैसे जम गया।
“अर्र… र। नहीं। केट-मिस कैवेना। उसने सवाल तैयार किए हैं।”
“क्या आप दोनों उस अखबार के लिए काम करती हैं?” अरे नहीं। मेरा इससे क्या लेन-देन है। ये तो उसी के पचड़े हैं मेरे नहीं। मेरा चेहरा सफेद पड़ गया।
“नहीं, हम दोनों एक ही कमरे में रहते हैं।”
उसने अपने चिबुक मली और अपनी भूरी आंखों से मुझे देखने लगा।
“क्या आप अपनी मर्जी से इस इंटरव्यू के लिए आई हैं?” उसने पूछा।
ये क्या! यहां इंटरव्यू तो मैं लेने आई हूं और सवाल ये पूछे जा रहा है। उसकी आंखें घूरने लगीं तो मुझे जबरन सच कहना पड़ा।
“मुझे इसलिए भेजा गया क्योंकि वह बीमार थी।” मेरी आवाज़ कमजोर थी और माफ़ी मांगने का लहजा झलक रहा था।
“अच्छा तो अब समझ आया।”
तभी दरवाजे पर आहट हुई और ब्लांड नंबर दो अंदर आई।
“मि. ग्रे! सॉरी, पर आपकी अगली मीटिंग दो मिनट में शुरू होने वाली है।”
“आंद्रिया! अभी ये इंटरव्यू खत्म नहीं हुआ। तुम वह मीटिंग रद्द कर दो।”
आंद्रिया ने सकुचाहट के साथ घूरा। फिर उसका चेहरा गुलाबी ओह! सिर्फ मुझ पर ही उसका ऐसा असर नहीं होता।
“तो हम कहां थे, मिस स्टील?
अच्छा! फिर से मिस स्टील बुलाने लगा।
“प्लीज! मुझसे कुछ मत छिपाना “
“मैं सब कुछ जानना चाहता हूं।” उसकी आंखों में जिज्ञासा झलक रही थी। हो गया कबाड़ा! ये बातों को कहां ले जा रहा है? उसने कोहनी कुर्सी पर टिकाई और चेहरे पर अंगुलियों से टहोके देने लगा। उसका चेहरा देखकर तो मुझे अपनी सुध ही भूल गई। हाय! ये कितना सुंदर है। मैंने थूक निगला।
“ज्यादा जानने के लिए कुछ नहीं है।”
“ग्रेजुएशन के बाद क्या करना चाहती हो?”
मैंने कंधे झटके। केट के साथ सिएटल आकर कोई काम खोजना है। वैसे मैंने अभी पेपरों से आगे कुछ सोचा ही नहीं।
“मि. ग्रे! अभी कोई योजना नहीं बनाई। बस पहले पेपर देने हैं।” मुझे तो लगा कि उसकी घूरती नजरों के आगे बैठने से अच्छा होता कि मैं अपने पेपरों की तैयारी शुरू कर लेती।
“हमारे यहां के इंटर्नशिप प्रोग्राम भी अच्छे होते हैं।” उसने कहा। मैंने अपनी भौं हैरानी से उठाई। क्या वह मुझे अपने यहां नौकरी देना चाह रहा था?
“ओह! मैं याद रखूंगी।” मैं बुदबुदाई। वैसे पता नहीं कि मैं यहां के लिए फिट भी हूं या नहीं। अरे, ये क्या मैं तो जोर से बोल बैठी।
“आपने ऐसा क्यों कहा?” उसने गर्दन एक और झटकी और मुस्कुराते हुए पूछा
“ये तो साफ ही है। है न?” मैं ब्लांड नहीं हूं।
“मुझे तो समझ नहीं आया।” उसकी आंखों में एक अजीब सा भाव आ गया और मेरे पेट की मांसपेशियां ऐंठने लगीं। मैंने उसकी घूरती नजरों से बचने के लिए मुंह घुमाया और अपनी अंगुलियां मोड़ लीं। ये हो क्या रहा है? मुझे अब जाना है। मैं रिकॉर्डर बंद करने के लिए आगे झुकी।
“क्या आप चाहेंगी कि मैं आपको आसपास सब दिखा दूं?” उसने पूछा।
“नहीं, मुझे यकीन है, मि. ग्रे! आप भी व्यस्त होंगे और मुझे काफी दूर जाना है।” “आप गाड़ी चला कर वैंकूवर वापिस जांएगीं?” उसने हैरानी और उत्सुकता से कहा। उसने खिड़की से बाहर देखा। बारिश हो रही थी। “आपको ध्यान से गाड़ी चलानी होगी। क्या आपको सारा मैटर मिल गया?”
“हां सर!” मैंने रिकॉर्डर को पैक करते हुए कहा। उसकी आंखें सिकुडीं।
“मि. ग्रे! इंटरव्यू के लिए थैंक्स!”
“मुझे खुशी हुई।” उसने अपने सधे स्वर में कहा
जैसे ही मैं उठी तो उसने अपना हाथ आगे कर दिया।
“मिस स्टील! हमारे अगली बार मिलने तक बॉय!” ऐसा लगा कि वह चुनौती या धमकी दे रहा था। खैर मैं समझ नहीं पाई। हम भला फिर कब मिलेंगे? मैंने हाथ मिलाया तो पहले की तरह ही झनझनाहट महसूस की। बेशक मेरी घबराहट अभी गई नहीं थी।
“मि. ग्रे!” मैंने हौले से गर्दन हिलाई और वह किसी पेशेवर खिलाड़ी की दक्षता से दरवाजा खोलने आगे बढ़ा।
“मिस स्टील! बस यही देख रहा था कि आपको दोबारा उठाने की नौबत न आए।” उसने मुझे छोटी-सी मुस्कान दी। बेशक वह मेरी अनूठी ऑफिस एंट्री की बात कर रहा था। मैं शरमाई।
“मि. ग्रे! थैंक्स!”
मैं बरामदे की ओर चल दी और जब देखा कि वह पीछे ही आ रहा था तो मैं हैरान रह गई। एंड्रिया और ओलिविया की हैरानी का भी अंत नहीं था।
“क्या आपका कोट था “? उसने पूछा।
“एक जैकेट।”
ओलिविया लपककर मेरी जैकेट ले आई। इससे पहले कि मैं उससे लेती, ग्रे ने लपक लिया। उसने उसे उठाया और मैंने बड़ी सकुचाहट के साथ कंधों पर डलवा लिया। उसने जैकेट को मेरे कंधों पर डाला तो पल भर के लिए उसकी छुअन महसूस हुई और मैं सिकुड़ सी गई। वह बड़े ही आराम से लिफ्ट की ओर बढ़ा और मेरी घबराहट से हालत खराब हो रही थी।
उसने अपनी लंबी अंगुलियों से लिफ्ट का बटन दबा दिया और मैं वहीं चुपचाप भौंचक्की खड़ी रही। दरवाजा खुलते ही मैं उस ओर झपटी। मुझे हर हालत में वहां से जल्दी निकलना था। मैंने मुड़कर देखा तो वह लिफ्ट के पास झुका, दीवार से टेक लगाए मुझे हर हालत में वहां से जल्दी निकलना था। ये तो सचमुच बहुत ही सुंदर है। बड़ ही दिलकश!
“एनेस्टेसिया!” उसने अलविदा देते हुए कहा
“क्रिस्टियन!” मैंने भी जवाब दिया। शुक्र है कि दरवाजे को रहम आ गया और वह बंद हो गया।
