World Suicide Prevention Day: भागदौड़ भरी जिंदगी में आज हर इंसान इतना बिजी है कि उसे परिवार के साथ बैठकर समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता। इसका सीधा असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। दर्द, परेशानियां अंदर ही अंदर लोगों को खोखला कर देते हैं। ऐसे में जिंदगी के सकारात्मक पहलुओं पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। परिस्थितियों से लड़ने की जगह कुछ लोग उससे हार मान लेते हैं। यही कारण है कि दुनियाभर में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत सहित दुनियाभर में पिछले कुछ सालों में आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े डरावने स्तर पर पहुंच चुके हैं।
हर 40 सेकंड में एक शख्स हार रहा जिंदगी

विशेषज्ञों के अनुसार आत्महत्या के पीछे की मानसिक जंग पर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता। डिप्रेशन आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण है। आत्महत्याओं के बढ़ते आंकड़ों को रोकने के लिए और लोगों को जीवन के प्रति जागरूक बनाने के उद्देश्य से हर साल 10 सितंबर को विश्व ‘आत्महत्या रोकथाम दिवस’ मनाया जाता है। वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की इस साल की थीम है, ‘कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना’। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनियाभर में हर 40 सेकंड में एक शख्स आत्महत्या कर रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से अधिकांश 15 से 29 वर्ष की उम्र के होते हैं। हर साल जिंदगी से हारे या निराश हुए करीब आठ से दस लाख लोग अपनी जान खुद ले लेते हैं। हालात ये हैं कि अमेरिका में आत्महत्या मौत का दसवां प्रमुख कारण है।
ऐसे हुई इस दिन की शुरुआत
इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन ने 2003 में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत की। यह दिन वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मिलकर मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आत्मघाती व्यवहार पर शोध करना, डेटा एकत्र करना, विभिन्न कारणों का निर्धारण करना और आत्महत्या की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाना है।
बचपन पर भारी निराशा

भारत में स्टूडेंट्स की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार साल 2021 में देश में करीब 13,000 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की यानी हर दिन लगभग 35 स्टूडेंट्स ने मौत को गले लगा लिया। साल 2020 में यह आंकड़ा 12,526 था। ऐसे में साफ है कि इसमें 4.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। इनमें से अधिकांश सुसाइड परीक्षा में फेल होने के कारण किए गए थे।
कोविड बना काल
आंकड़े बताते हैं कि भारत में कोविड —19 के दौरान आत्महत्या के मामले अचानक से बढ़े हैं। साल 2020 से 2021 के बीच भारत में 3.17 लाख लोगों की मौत आत्महत्या के कारण हुई है। इतना ही नहीं विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है, क्योंकि कई केस रजिस्टर ही नहीं हुए। नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार साल 2020 में भारत में 1.5 लाख लोगों ने आत्महत्या की। वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.64 लाख हो गया। चिंता की बात ये है कि इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।
आपको करनी होगी मदद
आत्महत्या के अधिकांश मामले अविकसित और विकासशील देशों के हैं। विशेषज्ञों के अनुसार आत्महत्याओं के बढ़ते मामले पर रोक लगाने के लिए समाज और परिवार को ही कदम उठाने होंगे। अपने प्रियजनों का डिप्रेशन समय पर पहचान कर उनकी मानसिक स्थिति सुधारने में मदद करके आप उन्हें मौत के मुंह से निकाल सकते हैं।