खासियत ही बन गया खतरा... जानें राइनो के एक सींग की कीमत है: World Rhino Day 2023

World Rhino Day 2023: वाइल्ड लाइफ की चर्चा में यदि गैंडों की बातें न हों तो अधूरापन लगना लाजमी है। बच्चे हों या बड़े, उन्हें टाइगर-हाथी जैसे जंगली जानवरों को देखना जितना रोमांचक लगता है, उतना ही रोमांच गैंडों को देखने से भी महसूस होता है। विश्व में वर्ष 1900 से लेकर 2000 के बीच बेतहाशा शिकार ने गैंडों की संख्या 5 लाख से सीधे 50 हजार से भी कम पहुंचा दी। अब दुनियाभर में मात्र 27 हजार गैंडे ही बचे हैं। भारत में इनकी संख्या 4014 के आस-पास है। आज भी राइनो के शिकार को रोकना पूरे विश्व के लिए बड़ी चुनौती है।

इसलिए मनाया जाता है विश्व राइनो दिवस

World Rhino Day 2023
Rhinos in India are found mainly in Assam, West Bengal and Uttar Pradesh

भारत में गैंडे मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं, लेकिन मौजूद गैंडों की संख्या अकेले असम में 90 फीसदी है। यह मतवाला जानवर लुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। ऐसे में इन्हें संरक्षण देने के लिए वर्ष 2010 में बड़े कदम उठाए गए। पहली बार 22 सितंबर, 2011 में विश्व राइनो दिवस मनाया गया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य गैंडों को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना है। आमतौर पर गैंडों की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें ब्लैक राइनो, व्हाइट राइनो, ग्रेटर एक-सींग वाले राइनो, सुमात्रा राइनो और जावन राइनो शामिल हैं। विश्व में पिछले वर्ष यानी 2022 को राइनो दिवस “फाइव राइनो स्पीशीज फॉरएवर” की थीम पर मनाया गया। साल 2023 की थीम रखी गई है ‘ग्रेटर वन-हॉर्नड राइनो’।

सींग की कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

सींग राइनो की खासियत है, लेकिन यही उनके लिए परेशानी भी बन गया है। दरअसल, राइनो के सींग की चीन सहित कई देशों में बहुत मांग होने के कारण इनका शिकार होता है। इसके सींग का इस्तेमाल औषधि, ज्वेलरी बनाने के साथ सजावटी वस्तुएं बनाने के लिए किया जाता है। राइनो के एक सींग की कीमत एशियन मार्केट में करीब तीन करोड़ रुपए प्रति किलो है। वहीं अफ्रिका के बाजारों में एक किलो सींग की कीमत करीब डेढ़ से दो करोड़ रुपए तक बताई जाती है।  

असम है राइनो स्टेट  

भारत में गैंडों का नाम लेते ही असम के जंगल याद आते हैं।
As soon as the name of rhinoceros is mentioned in India, the forests of Assam come to mind.

भारत में गैंडों का नाम लेते ही असम के जंगल याद आते हैं। भारत में पाए जाने वाले 90 प्रतिशत गैंडे यहीं पाए जाते हैं। असम के गोलाघाट और नगांव जिले में 884 वर्ग किमी में फैले काजीरंगा की दुनिया भर में चर्चा होती है। इसका कारण है एक सींग वाले गैंडे, जो दुनिया में मशहूर हैं। कहा जाता है कि यहां ब्रह्मपुत्र नदी वाला इलाका इनके लिए बहुत उपयुक्त है। भारत में इनकी संख्या विश्व के मुकाबले करीब 65 प्रतिशत है। असम में चार नेशनल पार्क हैं – काजीरंगा नेशनल पार्क, पोबितोरा नेशनल पार्क, ओरंग नेशनल पार्क और मानस नेशनल पार्क। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी एक सींग वाला गैंडा पाया जाता है।

राइनो की रोचक बातें

सींग और नाक से पड़ा नाम :  राइनो नाम ‘नाक’ और ‘सींग’ के कारण ग्रीक शब्दों से आया है। राइनो जब तीन साल का होता है, तो उसके सींग बाहर निकलते हैं और औसत 18 साल की उम्र में सींग पूरा आकार ले लेते हैं।

1600 किलो वजनी : एक वयस्क राइनो का वजन करीब 1600 किलोग्राम होता है। जंगली राइनो की उम्र 45 साल और चिड़ियाघरों में रखे गए राइनो की उम्र 55 से 60 साल तक की होती है।

रोजाना 50 किलो खाना : राइनो पूर्णतः शाकाहारी होता है और इसका पसंदीदा भोजन घास है। वयस्क राइनो एक दिन में करीब 50 किलो घास खाता है। ये जलीय पौधे भी खाते हैं।

ढाई किलो का सींग : इंडियन राइनो का सींग काफी भारी होता है। इसके एक सींग का वजन डेढ़ से ढाई किलो तक होता है।

कुशल तैराक : राइनो को अपना आधा शरीर पानी में डुबोए रखना पसंद है। राइनो बहुत अच्छी तरह तैर लेता है और बाढ़ के समय में भी यह जीव अपनी कुशल तैराकी के जरिए बचा रहता है।

16 महीने तक का गर्भकाल : मादा राइनो का गर्भकाल लगभग 15 से 16 महीने तक का रहता है।

इतना ही देख पाता है : राइनो 30 से 40 फीट के बाद देख नहीं सकता, लेकिन सुनने और सूंघने की क्षमता बहुत अच्छी होती है।

सफाई पसंद : राइनो पानी में कभी मल त्याग नहीं करता।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...