क्यों भाद्रपद माह को माना जाता है सबसे खास,जानें इस महीने में छिपी दिव्यता का रहस्य: Bhadrapada Month
Bhadrapada Month

Bhadrapada Month: भाद्रपद का महीना, जिसे प्रचलित रूप में भादो भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का छठा महीना है। यह महीना विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। भाद्रपद का महीना चातुर्मास का दूसरा माह होता है, और इस दौरान विविध त्योहार, व्रत, और पूजा-पाठ की धूमधाम रहती है। भाद्रपद का महीना भगवान श्रीकृष्ण के जन्म, गणेश चतुर्थी, और हरितालिका तीज जैसे महत्वपूर्ण पर्वों का समय होता है, जो इसे अन्य महीनों से विशिष्ट बनाते हैं।

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यह महीना हिंदू कैलेंडर का छठा महीना है और चातुर्मास का दूसरा माह होता है। सावन समाप्त होते ही भाद्रपद का आगमन होता है, जो इस साल 19 अगस्त 2024 से प्रारंभ हो रहा है। इस महीने को झारखंड और बिहार में भाद्रपद, भादवा, भाद्र और भादो जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है।

भाद्रपद का महीना हिंदू धर्म में गहन धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं का महीना है। इस महीने का महत्व सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के कारण नहीं है, बल्कि इसमें कई प्रमुख धार्मिक पर्व और अनुष्ठान शामिल हैं, जो आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

भाद्रपद के महीने में सबसे प्रमुख पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है, जिसे भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त उपवास रखते हैं और उनकी बाल लीलाओं का स्मरण करते हैं। आधी रात को, जो श्रीकृष्ण का जन्म समय माना जाता है, भक्तजन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इस पर्व का विशेष महत्व इस बात से भी है कि इसे केवल एक धार्मिक उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि भगवान के प्रेम, सत्य और धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

भाद्रपद का महीना भगवान गणेश की आराधना के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना की जाती है, जो दस दिनों तक चलती है। गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक, भक्तजन भगवान गणेश की पूजा करते हैं, उन्हें मोदक और अन्य मिठाइयों का भोग अर्पित करते हैं, और अंत में विधिपूर्वक उनका विसर्जन करते हैं। गणेश चतुर्थी का महत्व केवल भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि का देवता मानने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व समृद्धि, सौभाग्य और नए कार्यों की शुरुआत का प्रतीक भी है।

भाद्रपद मास में मनाए जाने वाले हरितालिका तीज का भी अपना एक अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए रखती हैं। इस व्रत में मां पार्वती की पूजा की जाती है, जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस व्रत को अत्यंत कठिन माना जाता है, क्योंकि महिलाएं बिना जल ग्रहण किए पूरे दिन उपवास करती हैं और पूरी श्रद्धा के साथ मां पार्वती की आराधना करती हैं। हरितालिका तीज का पर्व महिलाओं के लिए सामूहिक उत्सव का भी अवसर होता है, जहां वे पारंपरिक वेशभूषा धारण कर उत्साहपूर्वक पूजा में भाग लेती हैं।

भाद्रपद माह में ऋषि पंचमी और अनंत चतुर्दशी भी विशेष धार्मिक महत्व रखते हैं। ऋषि पंचमी का व्रत सप्त ऋषियों को समर्पित होता है, जिसमें महिलाएं अपने पूर्वजों और ऋषियों को सम्मान देने के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत महिलाओं के लिए पापों के प्रायश्चित का अवसर भी होता है। ऋषि पंचमी के दिन महिलाएं शुद्धता और पवित्रता की प्रतिज्ञा करती हैं और अपने जीवन को सात्विक बनाने का संकल्प लेती हैं। अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की अनंत शक्ति का स्मरण करते हैं और उन्हें अनंत धागा अर्पित करते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में अनंत सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

इसके अलावा, भाद्रपद के महीने में कई और भी धार्मिक पर्व और व्रत मनाए जाते हैं, जैसे कि विश्वकर्मा पूजा, जो मुख्य रूप से कारीगर और श्रमिक वर्ग के लोग अपने औजारों और उपकरणों की पूजा के लिए मनाते हैं। इस पूजा का उद्देश्य भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्य में कुशलता और समृद्धि की प्रार्थना करना होता है। भाद्रपद के धार्मिक महत्व का एक और प्रमुख पहलू है इस महीने में नदियों और तीर्थों में स्नान करने की परंपरा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में नदियों में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए, इस महीने में गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है।

भाद्रपद का महीना न केवल धार्मिक महत्व से परिपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय नृत्य, संगीत और पारंपरिक खेल शामिल होते हैं। इस माह में ग्रामीण मेले, हाट, और अन्य सामुदायिक कार्यक्रम भी विशेष रूप से आयोजित किए जाते हैं, जो समाज में आपसी भाईचारे और समरसता को बढ़ावा देते हैं। इस महीने की एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह माह कृषि कार्यों के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त माना जाता है। किसानों के लिए भाद्रपद का महीना खेती-बाड़ी के कार्यों में व्यस्तता का समय होता है। इस माह की वर्षा और मौसम की अनुकूलता के कारण धान और अन्य फसलों की अच्छी पैदावार होती है। इसी कारण इस महीने को भारतीय कृषि संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है।

भाद्रपद का महीना आयुर्वेद और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी खास माना गया है। इस महीने में वर्षा ऋतु का प्रभाव रहता है, जिससे शरीर में कफ और वात दोष बढ़ने की संभावना होती है। आयुर्वेद के अनुसार, इस महीने में खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। धर्म शास्त्रों में दही, गुड़, मांसाहार, लहसुन, प्याज और मछली के सेवन को वर्जित माना गया है, क्योंकि ये खाद्य पदार्थ इस समय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पेट संबंधी समस्याओं से बचने के लिए हल्का और सादा भोजन करना चाहिए। इसके अलावा, नदियों में स्नान और दान-पुण्य करने से शरीर और मन को शुद्धता मिलती है।

भाद्रपद के महीने में व्रत-पूजा करने के लिए विशेष नियमों का पालन किया जाता है। इस महीने में सूर्य देवता और भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। पूजा के दौरान तुलसी का पत्ता, चंदन, अक्षत, और पंचामृत का उपयोग किया जाता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और शुद्ध विचारों के साथ भगवान की आराधना करनी चाहिए। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में किए गए व्रत और पूजा-पाठ का फल कई गुना अधिक मिलता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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