कब रखा जाएगा वैष्णव अपरा एकादशी का व्रत,जानें तिथि, मुहूर्त, महत्व, व्रत कथा और पारण विधि: Apara Ekadashi 2024
Apara Ekadashi 2024

Apara Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशियां मनाई जाती हैं, जिनमें से एक अपरा एकादशी है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को अपरा एकादशी मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है, मन-शरीर स्वस्थ रहता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस वर्ष अपरा एकादशी 2 जून 2024 को रविवार के दिन मनाई जाएगी।

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अपरा एकादशी के कुछ प्रमुख महत्व

इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या, प्रेत योनि, झूठ, निंदा, असत्य भाषा, झूठी गवाही देना, झूठा ज्योतिषी बनना और झूठा वैद्य बनना जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत से व्यक्ति को कई तरह के रोग, दोष, और आर्थिक समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख और परेशानियां दूर होती हैं और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

वैष्णव अपरा एकादशी व्रत विधि

  1. दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. भोजन में नमक, लहसुन, प्याज, मांस, मसूर, चना आदि का सेवन न करें।
  3. एकादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  4. पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, फूल, फल आदि अर्पित करें।
  5. व्रत के दौरान दिन भर केवल फल, दूध, दही, साबूदाना आदि का सेवन करें।
  6. रात में भोजन न करें।
  7. दूसरे दिन सुबह सूर्योदय के बाद स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और पारण करें।
  8. पारण में क्षीर, फल, मिठाई आदि का सेवन करें।

अपरा एकादशी कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महिद्वाज नाम का एक धर्मपरायण और दयालु राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज ईर्ष्या और लालच से ग्रस्त था। वह अपने भाई को मारना चाहता था और राज्य पर कब्जा करना चाहता था। एक दिन उसने महिद्वाज की हत्या कर दी और शव को पीपल के पेड़ के नीचे दफना दिया। अकाल मृत्यु के कारण महिद्वाज को मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ और उसकी आत्मा उस पेड़ में भटकने लगी। एक बार एक ऋषि उस रास्ते से गुजरे और उन्होंने महिद्वाज की आत्मा को महसूस किया।

अपनी दिव्य शक्तियों से उन्होंने महिद्वाज की कहानी जानी और उन्हें मोक्ष का मार्ग बताया। ऋषि के निर्देश पर महिद्वाज ने अपरा एकादशी का व्रत रखा और अपने पापों का प्रायश्चित किया। इस व्रत के प्रभाव से महिद्वाज को मोक्ष प्राप्त हुआ और उसकी आत्मा को शांति मिली। यह कथा हमें सिखाती है कि धर्म का मार्ग ही सच्चा मार्ग है। ईर्ष्या और लालच जैसे बुराइयों से दूर रहकर हमें सदाचार का जीवन जीना चाहिए। अपरा एकादशी का व्रत रखकर हम भी अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।