पुरी का बीच सैलानियों को अत्यंत प्रिय है. पुरी में मंदिर में दर्शनों के बाद सबसे ज्यादा सैलानी इस बीच पर आकर ही मस्ती करते हैं. पुरी के समुद्रतट की खूबसूरती पर्यटकों को लुभाती रही है. पुरी समुद्रतट पर फैली बालू पर बैठकर समुद्र की अठखेलियों के साथ सूर्योदय व सूर्यास्त के विहंगम दृश्य का लुत्फ उठाया जा सकता है। पुरी का समुद्री तट बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है और पुरी रेलवे स्टेशन से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैय। पुरी समुद्री तट शहर का एक लोकप्रिय आकषर्ण माना जाता है और इस तट को तैराकी के लिए आदर्श तथा भारत के सर्वश्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक के रूप में माना जाता है। 
 
भगवान जगन्नाथ का निवास स्थान
हिंदुओं के चार धामों में से भी एक है जगन्नाथपुरी। पुरी तट को भगवान जगन्नाथ का निवास स्थान माना जाता है इसलिए यहां तीर्थयात्री समुद्र में स्नान करने के लिए आते हैं।वार्षिक पुरी बीच महोत्सव रेत कला को प्रदशित करता है जो कई पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। यह महोत्सव जून जुलाई में आयोजित किया जाता है। अंतराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित स्थानीय रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक की कला आंखों को सुकून देती है और अगर आप इस महोत्सव के दौरान पुरी में है तो इस कला को देखना ना भूलें। खाड़ी के बगल में लंबे समु्रदी तट पर बिखरी समृद्ध सुनहरी रेत, सुखदायक हवा, जगमगाता साफ पानी और सूर्योदय तथा सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों ने समुद्र तट को एक स्थायी आकर्षण बना दिया है। यहां सूर्यास्त के समय हजारों लोगों की भीड़ एकत्रित हो जाती है। यह नजारा देखते ही बनता है। जैसे कि अमूमन सभी तटों पर होता है यहां भी बड़ी बड़ी ट्यूबों के साथ समुद्र में गोते लगाने की सुविधा है। यहां उंट की सवारी करने का भी अपना एक अलग ही चार्म है। समुद्र के किनारे किनारे करीब एक किलोमीटर चलने के बाद सड़क आ जाती है जो समुद्र के किनारे किनारे ही चलती है। वहां से मंदिर की ओर जाने के लिए रिक्शा मिल जाता है। सड़क के ठीक सामने होटलों की लंबी कतारे भी हैं। 
 
लहरों से खेले और रेत का आनंद लें
 
पुरी का तट इसलिए भी अच्छा लगता है क्योंकि यह इतनी दूर तक फैला है कि आपको अपने लिए एकांत यहां मिल ही जाएगा. दूसरे यहां की लहरे जो दिखने में एक पल में तो सामान्य सी लगती हैं पर दूसरे ही पल हिचकौले खाने लगती है तब इसकी ताकत का अंदाजा सहसा ही हो जाता है। हां यह बात अलग है कि इन लहरों के साथ सावधानी से खेला जाएं तो मजा भी भरपूर आता है. यहां आप सिर्फ लहरों के साथ खेल ही नहीं सकते बल्कि यहां की रेत पर लेटने का मजा भी उठा सकते है। अगर धूप तेज लगती हैं तो कुछ स्थानीय लोगों द्वारा बांस और रस्सियों की सहायता से बनाए गए छोटे से टेन्ट के नीचे आप आराम फरमा सकती हैं।लेकिन यह फ्री नहीं है। यहां कुर्सी लेकर बैठने का किराया लगता है। साइकिल पर चलती फिरती दुकानवाले भी बहुत है जिसमें दही बड़े की चाट, चिप्स, चाय, कोल्ड डिंक का मजा भी ले सकते हैं। यहां शरीर की मालिश भी करवा सकते हैं। यहां शापिंग के लिए भी बहुत कुछ है जैसे कि मोतियों, शंख, नेकलेस, सजावटी वस्तुएं आदि बेचने वाले भी खूब मिल जाएंगे। अगर फोटो आदि खिंचवाने का शौक है, तो यहां फोटोग्राफी का खूब आनंद लिया जा सकता है।अपने होटल का नाम बता देने पर शाम तक आपके होटल ये फोटों पहुंच जाती हैं।
 
दुनिया के बेहतरीन समुद्रतट में से एक
500 किलांमीटर लंबे समुद्रतट से घिरा ओडिशा दुनिया का सब से बेहतरीन समुद्रतट माना जाता है जो पर्यटकों को सदियों से अपनी ओर लुभाता रहा है, लेकिन पुरी के इस बीच के अलावा भी वहां देखने के लिए बहुत कुछ है जैसे कि चांदीपुर, गोपालपुर, कोणार्क, पारादीप, बालेश्वर, चंद्रभागा, पाटा सोनापुर, तलसारी जैसे समुद्रतट की खूबसूरती और कोणार्क, लिंगराज, जगन्नाथ जैसे एतिहासिक मंदिर पर्यटकों को बार-बार आने के लिए मजबूर करते हैं। ओडिशा में एक नया टूरिस्ट स्पॉट लवर्स पॉइंट भी पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण बन गया है। इसके अलावा उदयगिरी, धौलागिरी हिल्स, हीराकुंड बांध, भीतर कनिका राष्ट्रीय उद्यान भी ओडिशा के पर्यटन की पहचान है।