पुरी का बीच सैलानियों को अत्यंत प्रिय है. पुरी में मंदिर में दर्शनों के बाद सबसे ज्यादा सैलानी इस बीच पर आकर ही मस्ती करते हैं. पुरी के समुद्रतट की खूबसूरती पर्यटकों को लुभाती रही है. पुरी समुद्रतट पर फैली बालू पर बैठकर समुद्र की अठखेलियों के साथ सूर्योदय व सूर्यास्त के विहंगम दृश्य का […]
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जन्माष्टमी पर जाएं कान्हा के धाम
कृष्ण का नाम लेते ही राधा रानी के साथ बंकिम मुद्रा में खड़े अधरों पर बांसुरी लगाये बांकेबिहारी की मनोहारी छवि सामने आ जाती है। भक्त जन इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। कोई इन्हें गोविंद कहता है, कोई कृष्ण, कोई बांकेबिहारी तो कोई कान्हा कहकर बुलाता है। जितने भक्त उतने ही नाम। मंदिरों के इस देश में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर पूरे भारत में हैं। मथुरा वृंदावन में ये बांकेबिहारी हैं, तो तिरुपति में बाला जी के नाम से प्रसिद्ध हैं। हम आपको ले चलते हैं उन जगहों की सैर पर जहां कृष्ण कन्हैया विराजमान हैं।
जानिए रथ यात्रा के बारे में 10 रोचक बातें
एक ऐसी यात्रा जिसमें भक्त और भगवान के बीच कोई सीमा नहीं होती। जहां स्वंय भगवान जगन्नाथ खुद चलकर भक्तों के बीच आते हैं और उनके सुख-दु:ख में सहभागी बनते हैं। यह भक्त के लिए एक समय होता है जब सृष्टि के पालनहार की डोर स्वयं उसके हाथों में होती है। ब्रह्मापुराण में भी कहा गया है कि ‘रथे चागमन दृष्टवां पुनर्जन्म न विद्यते’ अर्थात् रथ के ऊपर भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करके मनुष्य पुनर्जन्म से बच जाता है। आइये जानते हैं इस भव्य जगन्नाथ यात्रा से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक बातें –
जब रथ पर सवार होते हैं जगन्नाथ भगवान
यह मौका होता है पुरी की प्रसिद्ध रथ यात्रा का। यात्रा के इन नौ दिनों में भक्त और भगवान के बीच कोई सीमा नहीं रह जाती, जात-पात का भेद तक मिट जाता है। सब रथ में सवार भगवान को ढोने का आनंद लेते हैं।
