सफर के दौरान तबीयत बिगड़ने को ट्रेवल सिकनेस कहते हैं. बस या कार में सफर करते हुए जी मिचलाना या उल्टी आना, ऐसी परेशानी बहुत लोगों को होती है।असल में ऐसा मस्तिष्क के जबरदस्त हुनर के चलते होता है। बस,  कार, विमान में सफर के दौरान शरीर और मस्तिष्क के बीच बस, कार, विमान या पानी के जहाज में यात्रा करने के दौरान शरीर और मस्तिष्क के बीच एक असमंजस की स्थिति बन जाती है। कार्डिफ यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉक्टर डिएन बर्नेट के मुताबिक यात्रा के दौरान दिमाग को ऐसा लगता है जैसे शरीर में जहर फैल रहा है। जान बचाने के लिए मस्तिष्क हरकत में आता है। जी मचलने लगता है और उल्टी सी आने लगती है। इस तरह दिमाग शरीर से विषैले तत्वों को बाहर करने की कोशिश करता है।

लेकिन दिमाग को ऐसे संकेत मिलते क्यों हैं? इसका कारण समझाते हुए डॉक्टर बर्नेट कहते हैं कि यात्रा के दौरान सीट पर बैठा इंसान स्थिर होता है। लेकिन कान लगातार गति की आवाज मस्तिष्क तक पहुंचा रहे होते हैं। कान, दिमाग को बताते हैं कि हम गतिशील है। एक तरफ स्थिर शरीर होता है तो दूसरी तरफ गति से जुड़ी जानकारी. ऐसी परस्पर विरोधाभासी जानकारी मिलने पर मस्तिष्क को लगने लगता है कि कुछ गड़बड़ हो रही है।

टैवल सिकनेस के अंर्तंगत उबकाई आना, त्वचा का पीला पड़ना, पसीना आना, उल्टियां आना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, थकान महसूस करना आदि होता है।

– सफर के दौरान अपने साथ नींबू, नमक व खाने का सोडा भी रखें. जब जी मचलाएं तो इन सब चीजों को मिलाकर शिकंजी जैसा बना लें और पी लें।

– खाली पेट यात्रा ना करें इससे भी जी मिचलाता है। घर से निकलते समय थोउ़ा बहुत खाकर निकलें ताकि वह टेन में बैठने तक हजम भी हो जाएं। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि बहुत अधिक ना खाएं वरना वोमिट होने का डर भी रहता है।

– गर्मी के मौसम में यात्रा के दौरान बार बार पानी पीते रहें इससे पानी की कमी नहीं होगी।

– अपने साथ काला नमक, अजवाइन और हींग को मिलकार रख लें और जी मिचलाने पर वह खाएं इससे एसिडिटी भी दूर होगी।

– बस या गाड़ी में सफर करते समय पीछे की सीट पर बैठने के बजाए आगे की सीट पर बैठें इससे सिर कम चकराता है और तबियसत भी नहीं बिगड़ती। कोशिश करें कि पहिए के उपर वाली सीट ना लें।

– सफर के दौरान अगर एसी की सुविधा ना हो तो हमेशा खिड़की खुली रखें इससे बेहतर लगेगा।

– यात्रा के दौरान आंखे बंद ना करें क्योंकि इससे कुछ गतिविधियों को अहसास अधिक होता है और आपको टैवल सिकनेस शुरू हो जाती है। 

– बाहर कहीं जाने पर पानी आदि बदलता है तो इसका असर तबीयत पर पड़ता है इसलिए इससे बचने के लिए हर जगह का पानी ना पीएं। सील पैक्ड बोतल का पानी ही पीएं और आगर संभव हो तो उबला हुआ पानी पीएं।

-बाहर का मसालेदार खाना खाने से बचें। सफर में हमेशा सादा खाना खाएं।

सफर के दौरान कुछ चबाते रहने से टैवल सिकनेस कम होती है जैसे कि चिवंगम चबाना।

– अदरक से भी जी मिचलाना रूक जाता है इसलिए सफर के दौरान अपने पास अदरक रखें।

– सफर शुरू करने से 15-30 मिनट पहले वोमिट की दवाई खा लें इससे जी भी नहीं मिचलाता। दवा कानों के अंदरूनी भागों की तंत्रिकाओं को और दिमाग की उबकाई के प्रति प्रतिक्रिया को शांत कर देती है। दवा तब ज्यादा कारगार होती है जब उसे परेशानी का अहसास होने से पहले लिया जाए।