Rights Of Women: महिलाओं को उनके अधिकारों और समाज में उनकी अमूल्य भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए हर साल विश्वभर में 8 मार्च को महिला दिवस यानी वूमेंस डे मनाया जाता है। इंटरनेशनल वूमेंस डे का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके समान अधिकारों के प्रति जागरुक करना है। हर देश में महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कई अधिकार बनाए गए हैं। भारतीय संविधान में भी महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई अधिकार दिए गए हैं जो उन्हें समाज में समानता का अधिकार दिलाने में मदद कर सकते हैं। आजादी के 76 वर्ष बाद भी अधिकांश क्षेत्रों में घरेलू हिंसा से लेकर लिंग भेद जैसी समस्याओं का सामना महिलाओं का करना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में संपूर्ण जानकारी हो ताकि जुल्म के खिलाफ वह अपनी आवाज बुलंद कर सकें। इन अधिकारों का कब और कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
शिक्षा और स्वास्थ्य में भागीदारी का अधिकार

भारतीय संविधान ने हर भारतीय को शिक्षा का अधिकार दिया है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी भी शामिल है। महिलाओं को पढ़ने, अपनी नॉलेज और स्किल को बढ़ाने का पूरा अधिकार है जिसमें सरकार उनकी मदद कर सकती है। इसके अलावा महिलाओं को हेल्थकेयर सुविधाएं भी प्राप्त करने का पूरा हक है। इसे प्राप्त करने के लिए वह कानूनी सलाह भी ले सकती हैं।
समानता का अधिकार
संविधान में महिला और पुरुष दोनों को समानता का अधिकार दिया है लेकिन लिंग, धर्म और जाति के आधार पर महिलाओं को उनके इस अधिकार से वंचित रखा जाता है। महिलाओं को समाज में सम्मान और गरिमा के साथ जीना चाहिए। इसलिए संविधान से समानता का अधिकार दिया है ताकि वह अपनी जिंदगी का फैसला खुद कर सकें। इस अधिकार के तहत महिलाएं समाज, परिवार और वर्कप्लेस पर पुरुषों के समान व्यवहार और हक पा सकती हैं।
घरेलू हिंसा से मुक्ति का अधिकार
संविधान ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए घरेलू हिंसा से मुक्ति का अधिकार बनाया है। ये कानून महिलाओं को उनके परिवार में शारीरिक, मौखिक, यौन, भावनात्मक और आर्थिक शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है। यदि महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार है तो वह अपराधियों को गैर-जमानती कारावास की सजा दिलवा सकती हैं।
समान वेतन अधिकार

भारतीय संविधान के अनुसार देश में लिंग के आधार पर वेतन, पारिश्रमिक और मजदूरी में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। लेकिन कई क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम वेतन दिया जाता है। इस अधिनियम के तहत महिलाएं भी समान काम के लिए समान वेतन प्राप्त करने की अधिकारी हैं। महिलाएं इस शोषण के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती हैं।
मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार
इस अधिकार के तहत गरीब और कमजोर वर्ग की महिलाओं को मुफ्त में कानूनी सहायता दी जाती है। संविधान महिलाओं को आश्वस्त करता है कि आर्थिक स्थिति की वजह से उन्हें न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता। महिलाएं किसी भी मामले को सुलझाने के लिए सरकारी वकील ले सकती हैं, कोर्ट में अपील कर सकती हैं और पुलिस की मदद ले सकती हैं।
