DIGITAL DEFENCE
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Digital Defence: बेटी जब बड़ी होने लगती है तो माता-पिता की चिंता बढ़ जाती है। खासकर तब जब वह सोशल मीडिया प्लेटफार्म इस्तेमाल करती हो। यह सच है कि सोशल मीडिया यदि बेटियों के हुनर को पूरी दुनिया तक आसानी से पहुंचा रही है तो यकीनन उनके अधिकारों का भी हनन कर सकती है।

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पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मनोरंजन के साथ कमाई का जरिया भी बन चुका है लेकिन बात अब केवल सोशल कनेक्शन बनाने तक नहीं सीमित रह गई है बल्कि लोग यहां झूठ और फरेब का खेल भी खेलने लगे हैं। इसमें सबसे बड़ा नुकसान महिलाओं को हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण है बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्रियों रश्मिका मंदाना, कटरीना कैफ, आलिया भट्टï के डीपफेक का वायरल होना। हालांकि डीपफेक को लेकर केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी जिसके अंतर्गत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स रूप (1) (बी) के तहत प्रतिबंधित कंटेंट का उल्लंघन न करें। यदि ऐसे उल्लंघनों की जानकारी या रिपोर्ट मिलती है तो कानून के तहत अपराधी पर कार्यवाही की जाएगी।

बावजूद इसके सोशल मीडिया में इससे मिलते-जुलते मामले अक्सर सुनाई देते रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी घर की महिलाओं को सोशल मीडिया में होने वाली धोखाधड़ी के प्रति जागरूक बनाएं। आइए पहले जानते हैं क्या है डीपफेक।

डीपफेक में वीडियो और फोटो दोनों ही बनाए जाते हैं। डीपफेक करने वाला व्यक्ति असल फोटो के चेहरे को बदलकर किसी दूसरे के चेहरे को बदलकर फिट कर देता है। इन दिनों ऐसे कई ऐप मौजूद हैं जिसमें डीपफेक वीडियो आसानी से बन जाते हैं।

पिछले दिनों यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ऋषी सुनक के नेतृत्व वाली सरकार ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर एतराज जताया था। उनके अनुसार इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। वास्तव में सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों खासकर लड़कियों की सुरक्षा का हनन हो रहा है। सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट के साथ दिखाई देने वाले मनचले लड़के, लड़कियों के वीडियो के साथ छेड़छाड़ करते हैं। लड़कियां उन्हें ब्लॉक करने के अतिरिक्त कुछ कर नहीं पाती हैं।

देखा जाए तो माता-पिता अपनी तरह से जितना हो सकता है, उतनी बेटियों की सुरक्षा प्रदान करते हैं। माता-पिता अपनी बेटियों का सेल्फ डिफेंस की क्लास में इनरोलमेंट कराते हैं तो वहीं कुछ अभिभावक बेटी के मोबाइल और उसके दोस्तों पर पैनी नजर रखना शुरू कर देते हैं। इन सब चीजों के बीच एक बात साफ है कि माता-पिता का अविश्वास बेटी पर नही, दुनिया पर ही अधिक है। पहले मां-बाप बेटे और बेटी की सहेलियों और दोस्तों पर नजर रखते थे। स्कूल में उनके साथ पढ़ने वाले लड़कों और लड़कियों की पूरी सूची उनकी जुबान पर रहती थी। ट्यूशन क्लास में या एक्स्ट्रा क्लास में लड़का या लड़की किस के साथ आता.जाता है, उस पर उनकी नजर बाज की तरह होती थी। परिणामस्वरूप दोनों में से एक भी नजर से बाहर जाता, तुरंत सिग्नल मिल जाता। अब दोनों के पास अपना पर्सनल मोबाइल फोन है। सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट हैं। बेटे और बेटियां बर्च्युअल दुनिया में विचरण करते हैं और उनका फुटप्रिंट्स पाने के लिए माता-पिता पहुंच नहीं पा रहे हैं। इसलिए सोशल मीडिया के प्रति उन्हें जागरूक करना चाहिए।

सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा चैट, व्हाट्सएप, टिंडर और इंस्टाग्राम पर होती हैं। कई बार कुछ लोग यहां अपनी एक फेक आईडी बना लेते हैं तो उनसे बचना चाहिए। हमें लड़कियों को यह समझाना पड़ेगा कि जब आप बोल कर बात करती हैं तब आप जो कहना चाहती हैं, उसमें उसके हावभाव मिले होते हैं, पर जब आप चैटिंग करती हैं तो लिख कर बात करती हैं। तब आपके एक ही वाक्य के अनेक अर्थ हो सकते हैं। मान लीजिए कि किसी लड़की ने एकदम कैजुअली किसी लड़के को चैट में ‘हाऊ आर यू? लिखा तो जरूरी नहीं कि वह लड़का ‘हाऊ आर यू? का अर्थ कैजुअली ही ले। उसे इस ‘हाऊ आर यू? में कोई नई शुरुआत भी दिखाई दे सकती है और उसके लिए लगाव भी।
आप जो बात जिस अर्थ में कहना चाहती हैं, सामने वाले व्यक्ति को उसी अर्थ में समझाना चाहिए। हमने एकदम कैजुअली ‘हाऊ आर यू? पूछा है तो सामने वाले व्यक्ति की यह समझ में आना चाहिए कि यह ‘हाऊ आर यू? एक शिष्टाचार मात्र है। यह कड़वी वास्तविकता है और समस्या भी यहीं से शुरू होती है। लड़कियों द्वारा की गई चैट को लड़के आमंत्रण, फीलिंग्स या रिलेशनशिप की शुरुआत मान लेते हैं। कम्युनिकेशन पूरा और स्पष्ट होना चाहिए।

अक्सर लड़कियों को प्रोफाइल लाक करने के लिए कहा जाता है। पर इतना ही पर्याप्त नहीं है। व्हाट्सएप मैसेज हो या इंस्टा चैट हो, लड़कियों के लिए डिजिटल डिफेंस बहुत जरूरी है। जिस तरह लड़कियों को स्पष्ट कम्युनिकेशन करने के बारे में बताना और समझाना जरूरी है, उसी तरह लड़कों को भी साफ कम्युनिकेशन के बारे में पहचानने के बारे में बताना जरूरी है। लड़के को भी यह समझाना जरूरी है कि कोई लड़की उससे पूछती है कि वह क्या करता है तो इसका मतलब यह नहीं हुआ कि वह उसमें रुचि ले रही है। लड़की हो या लड़का, हम उसे सोशल मीडिया से दूर नहीं रख सकते। पर हमें उन्हें सोशल मीडिया के डिस्पिलिन से वाकिफ जरूर करना चाहिए।
जितना जरूरी शारीरिक डिफेंस है, उतना ही जरूरी मानसिक डिफेंस भी है। अक्सर हम कम्युनिकेशन की स्किल से बहुत कुछ छोड़ देते हैं। अगर हम अपने बेटे या बेटी को कम्युनिकेशन स्किल में माहिर करें तो सोशल मीडिया पर एक लक्ष्मण रेखा निश्चित खींच सकेंगे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपके हुनर को एक नया आयाम देते हैं। कई लोग यहां अपना अच्छा खासा करियर बना रहे हैं और अपनी जानकारी एवं ज्ञान के माध्यम से देश-दुनिया में प्रसिद्ध भी हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसका गलत फायदा भी उठा रहे हैं। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य है कि हमें अपने घर की महिलाओं को सोशल मीडिया के दोनों पहलुओं से अवगत कराना चाहिए।
सोशल मीडिया में सक्रीय रहने के साथ आप कुछ जरूरी बातों का भी ध्यान रखें, जैसे-
1.अनजान लोगों की रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट ना करें।
2.अपने एकाउंट पर प्राइवेसी सेट करें।
3.अगर आपका एकाउंट पब्लिक है तो इस्तेमाल के दौरान सावधानियां बरतें।
4.हर जगह की लोकेशन को सोशल मीडिया पर डालने से बचें।
5.हर लिंक पर ध्यान न दें।
6.यदि आपको कोई एकाउंट संदिग्ध लगे तो उसके खिलाफ रिपोर्ट करें।