Swami Vivekananda Lessons: स्वामी विवेकानन्द की आज (4 जुलाई) पुण्यतिथि है। युवाओं के जीवन को प्रेरणा देने वाली स्वामी विवेकानन्द को पूरा विश्व जानता है। उन्होंने जीवन के कई मंत्र दिए, जिनका अनुसरण कर व्यक्ति एक सफल जीवन जी सकता है। स्वामी विवेकानन्द ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने विश्व का भ्रमण कर भारत देश का गौरव बढ़ाया। महज 25 साल की उम्र में ज्ञान और ईश्वर की प्राप्ति के लिए सांसारिक मोह माया का त्याग कर वे एक सन्यासी बन गए। और आज वे न सिर्फ युवा वर्ग बल्कि समस्त मानव जीवन के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन गए हैं।
मां से बेहद प्रभावित थे स्वामी विवेकानन्द
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। तब उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था। उनके पिता विश्वनाथ एक वकील थे, जो बेहद सख्त और अनुशासित व्यक्ति थे। वहीं उनकी मां भुवनेश्वरी देवी समर्पित गृहिणी और ईश्वर में आस्था रखने वाली महिला थीं। विवेकानन्द बचपन से ही अपनी मां से बेहद प्रभावित थे। उनकी मां ने ही उनके जीवन को एक आकार देने में अहम भूमिका निभाई। विवेकानन्द ने अपनी स्नातक की पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी की। स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की और फिर कलकत्ता उच्च न्यायलय में वकालत का अभ्यास किया। आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हम आपको उनके सफलता के सात मंत्रों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप यक़ीनन एक अच्छे चरित्र का निर्माण कर सकते हैं।
स्वामी विवेकानन्द के 7 सफलता मंत्र
1) “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते।” इस मंत्र के जरिए स्वामी विवेकानन्द ने लोगों को तब तक बिना रुके मेहनत करने के लिए प्रेरित किया है, जब तक आप अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते। फिर चाहें कोई भी मुश्किल या रूकावट क्यों न आए।
2) “मन को हमेशा प्रफुल्लित रखें। सब एक बार मरेंगे। कायर बार-बार मृत्यु की पीड़ा सहते हैं, केवल अपने मन में भय के कारण।”
3) “यदि कोई चीज़ आपको शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर बनाती है, तो उसे ज़हर की तरह अस्वीकार कर दें।”
4) “अपने जीवन में जोखिम उठाएं, यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व कर सकते हैं! यदि आप हार जाते हैं, तो आप मार्गदर्शन कर सकते हैं।”
5) “सबसे बड़ा धर्म अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना है। अपने आप पर विश्वास रखें।”
6) “एक समय में एक ही काम करो, और इसे करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें लगा दो, बाकी सब को छोड़कर।”
7) आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं। उस पर विश्वास करो, यह मत मानो कि तुम कमजोर हो; यह मत मानिए कि आप आधे-अधूरे पागल हैं, जैसा कि आजकल हममें से अधिकांश लोग करते हैं। आप किसी के मार्गदर्शन के बिना भी कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं। खड़े हो जाओ और अपने भीतर की दिव्यता को व्यक्त करो।”