Swachh Bharat Mission: प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा की नीतियों का अनुपालन करने वाले मोहनदास करमचंद का जन्म इसी खास दिन पर हुआ था। इस साल हम उनका 154वां जन्मदिवस मना रहे हैं। गांधी जयंती के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को की गई थी। इस मिशन का लक्ष्य सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के प्रयासों में तेजी लाने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करना था। इस साल पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों से अपील की है कि 1 अक्टूबर को वे सुबह के दौरान अपने घरों से निकले और आसपास के झीलों, नदियों, तालाबों, पार्क, नालों, गली-मोहल्लों इत्यादि की साफ सफाई करें और इस मिशन को सफल बनाने में योगदान दें।
अपने वातावरण को बनाएं स्वच्छ

हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने और हमें शारीरिक-मानसिक रूप से हैल्दी बनाने की पहली शर्त है- साफ-सफाई या स्वच्छता। वो चाहे घर और आस-पास के वातावरण की। नियमित साफ-सफाई कई बीमारियों से बचाव करने में अहम भूमिका निभाती है। स्वच्छता की अनदेखी करने पर गंदगी बढ़ती है। गंदगी में मौजूद बैक्टीरिया या वायरस अनेक बीमारियों को न्यौता देते हैं जो कभी-कभी जानलेवा भी हो सकते हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हम सभी दैनिक जीवन में पर्सनल हाइजीन के साथ-साथ स्वच्छता को अहमियत दें। बड़े पैमाने पर न सही, तो अपने घर और आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाएं-
1) घर की साफ-सफाई करते वक्त जहां तक हो सके, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कीटनाशक, सफाई उत्पाद या रसायनों का प्रयोग न करें। घर की साफ-सफाई और इंसेक्ट्स से बचाव के लिए कैमिकलयुक्त स्प्रे का कम से कम इस्तेमाल करें। बाजार में ओजोन फ्रेंडली इलेक्ट्राॅनिक उपकरण आ गए हैं जिसमें हानिकारक गैसें नहीं निकलती। संभव हो तो इन्हें उपयोग में लाएं।
2) घर पेंट कराते समय स्प्रे के बजाय ब्रश का इस्तेमाल करने पर जोर दें। हवा कम दूषित होगी। पेट और सॉल्वैंट्स प्रोडक्ट्स के बजाय वाॅटर-बेस्ड सफेदी जैसे ऑप्शन का इस्तेमाल करें।
3) अपने घर और आसपास जितना संभव हो पेड़-पौधे लगाएं। जहां तक हो सके अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें। घर में तुलसी, मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, एलोवेरा, अरिका पाम, पाइन पलांट, पीस लिली जैसे एयर प्योरीफाई करने वाले पौधे लगाएं। ये पौधे हवा को फिल्टर कर साफ बनाने में मदद करते हैं और घर में शुद्ध हवा का अनुपात बढ़ाते हैं। स्नेक प्लांट तो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है और कई हानिकारक गैसों को खत्म करता है। घर के आसपास नीम, पीपल जैसे पेड़ लगवाएं।
4) खाना बनाने के लिए अंगीठी या बारबेक्यू, चूल्हे या लकड़ियां न जलाने गैस का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। इनका धुआं वायु प्रदूषण का कारण बनता है। इनके बजाय इलेक्ट्रिक लाइटर, गैस ग्रिल का उपयोग करें।
5) अपने घर का कूड़ा सड़क पर या न फेंके और न ही कूड़े को जलाएं। स्वच्छता भंग होने के साथ इससे भूमि और वायु प्रदूषण भी होता है। इसकी राख से एक तो मिट्टी की उर्वरता कम होने से भूमि प्रदूषण तो होगा ही, वायु प्रदूषण होगा-सो अलग। या फिर लैंडफिल एरिया में सालों से जमा होने से बने कूड़े के ढेर जीव-जंतुओं के लिए तो खतरनाक होता ही है। इनसे निकली जहरीली गैसों से प्रदूषित वायु हमारे लिए भी घातक है । नदी, तालाब जैसे जल स्रोतों के पास कूड़ा न डालो और किसी को भी न डालने दो। यह कूड़ा नदी में जाकर जल प्रदूषित करता है।
6) घर का कूड़ा बाहर फेंकने से जगह-जगह कचरे के ढेर गंदगी तो फैलाते ही हैं, सीवेज लाइन में गिर कर ड्रेनेज की समस्या उत्पन्न करते हैं। गटर या मेनहोल और पानी से भरे गड्ढे ढके होने चाहिए। सीवेज के गंदे पानी में मौजूद बैक्टीरिया से स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है। इनमें कई तरह के मच्छर पनपते हैं जो वायरल, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसे जानलेवा बुखार फैलाते हैं। इनमें कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं। जो हमारे भोजन और पानी को दूषित करते हैं और हमारे शरीर में पहुंच कर डायरिया, टाइफाइड, हैजा, फंगल इंफेक्शन जैसी कई संक्रामक बीमारियों को न्यौता देते हैं। इसलिए जरूरी है कि घर के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें ताकि मच्छर पनपने का खतरा कम हो सके।
7) जहां तक संभव हो, कूड़ा सरकार की तरफ से बने कलर कोड डस्टबिन में डालें। हरे रंग के डस्टबिन में फल-सब्जियों के छिल्के, खराब खाना, पेड-पौधों की पत्ते जैसा किचन और गार्डन का गीला वेस्ट डालें। नीले रंग के डस्टबिन में प्लास्टिक, पेपर, कांच, सिरेमिक जैसा ड्राई वेस्ट डालें। ई-वेस्ट को काले रंग के डस्टबिन में ही डालें और रिसाइकल के लिए भेजो। आज बड़े-बड़े प्लांट्स कूड़े से बिजली, बायोडिग्रेडिंग फर्टिलाइजर भी बना रहे हैं।
8) अपने बचे हुए खाने और रसोई के वेस्ट को रीसाइकल कर खाद बनाएं। घर के पास मिट्टी में गढ्ढा खोद कर इन्हें डालते रहें। कुछ समय बाद बनी बायोडिग्रेडिंग जैविक खाद पेड़-पौधों में डाल सकते हैं।
9) नाॅन-डिग्रेडेबल या डी-कंपोज़ न होने वाली प्लास्टिक की चीजों का कम से कम प्रयोग करें। घर में भी प्लास्टिक के समान का उपयोग कम करने को कहें। इस्तेमाल के बाद इन चीजें को जलाने, कूड़ें में फेंकने और नदी-नालों, समुद्र में बहाने के बजाय रिसाइकलिंग प्लांट में भेजें।
10) पानी का स्रोतों को साफ रखना आज समय की मांग है। इसलिए न तो खुद किसी भी तरह का कूड़ा नदी-नालों या समुद्र में नहीं फेंके और न ही किसी को फेंकने दें। नदी में नहाने, कपड़े धोने से मना करें। पूजा में इस्तेमाल होने वाली फूल मालाएं और दूसरी चीजें नदी में न बहाएं। खासकर प्लास्टिक या मेटल नाॅन-डिग्रेडैबल वेस्ट बिल्कुल न फेंकें। पानी की सतह पर सालोंसाल जमा होने वाला यह कूड़ा जलीय जीवों के लिए तो खतरनाक होता ही है। इनसे निकली जहरीली गैसों से प्रदूषित जल हमारे लिए भी घातक है।