राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि साफ-सफाई, ईश्वर भक्ति के बराबर है और इसलिए उन्होंने लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा दी थी और देश को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने ‘स्वच्छ भारत’ का सपना देखा था जिसके लिए वे चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एकसाथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। महात्मा गांधी रोजाना सुबह चार बजे उठकर अपने आश्रम की सफाई किया करते थे। वर्धा आश्रम में उन्होंने अपना शौचालय स्वयं बनाया था जिसे वह प्रतिदिन साफ करते थे।

स्वच्छ भारत अभियान

 

 

 

 

 

 

महात्‍मा गांधी के स्‍वच्‍छ भारत के स्‍वप्‍न को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 2 अक्‍टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन के लिए देश के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुडऩे की अपील की है। 

गांधीजी की झाड़ू और बाल्टी

 

एक बार एक अंग्रेज ने महात्मा गांधी से पूछा, यदि आपको एक दिन के लिए भारत का बड़ा लाट साहब (वायसराय) बना दिया जाए, तो आप क्या करेंगे। गांधीजी ने कहा, राजभवन के पास जो गंदी बस्ती है, मैं उसे साफ करूंगा। अंग्रेज ने फिर पूछा, मान लीजिए कि आपको एक और दिन उस पद पर रहने दिया जाए तब। गांधी ने फिर कहा, दूसरे दिन भी वहीं करूंगा। जब तक आप लोग अपने हाथ में झाड़ू और बाल्टी नहीं लेंगे, तब तक आप अपने नगरों को साफ नहीं रख सकते। एक स्कूल को देखने के बाद उन्होंने शिक्षकों से कहा था, आप अपने छात्रों को किताबी पढ़ाई के साथ-साथ खाना पकाना और सफाई का काम भी सिखा सके, तभी आपका विद्यालय आदर्श होगा। गांधी जी की नजर में आजादी से भी महत्वपूर्ण सफाई थी।

खुले में शौच से मुक्त गांव

उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर के कुछ इस गांवों के बदलते हुए स्वरूप को देख कर गांधीजी का यह सपना साकार होता प्रतीत होता है। बिजनौर के गांव धरमपुरा की ग्राम प्रधान ममता चौधरी ने अपनी मेहनत और लगन से गांव धरमपुरा को खुले में शौच से मुक्त करके दिखा दिया है कि महिलाएं अगर कुछ ठान लें तो उसे पूरा करके ही दम लेती हैं। ममता चौधरी के इस कीर्तिमान का अनुसरण कर दूसरी पंचायतें भी अपने-अपने गांवों को स्वच्छ बनाकर प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

खुले में शौच से फैलती बीमारियां

गौरतलब है कि भारत की आधी से ज्यादा आबादी खुले में शौच करने के लिए मजबूर है। परिणामस्वरूप अनेक बीमारियां जैसे डायरिया, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारियां फैलती हैं जिनकी परिणति कई बार बच्चों की मौत के रूप में होती है। भारत में 60 से 70 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं।

महिला सशक्तिकरण में बाधा

बीमारियों के अलावा खुले में शौच करने के कारण एक और गंभीर समस्या विकराल रूप ले रही है जो महिला सशक्तिकरण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है। ग्रामीण इलाकों में लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं ज्यादातर ऐसे वक्त में होती हैं जब वे शौच के लिए खेत जाती हैं। देश में स्वच्छता स्थिति की समीक्षा के लिए होने वाले एक सम्मेलन से पहले सरकार ने स्वीकार किया है कि शौच करने के लिए रात का इंतजार करने वाली ज्यादातर ग्रामीण महिलाओं के साथ दुष्कर्म का खतरा होता है।

स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य पांच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है, ताकि बापू की 150वीं जयंती के दिन को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। आइये, हम और आप भी बापू के इस सपने को साकार करने में अपना योगदान दें।