Surya Dev Rath: भगवान सूर्य को नव ग्रहों का राजा कहा जाता है। इन्हें रवि, आदित्य, भानु जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। भगवान सूर्य के वाहन में सात घोड़े सप्ताह के सातों दिनों को दर्शाते हैं। इसके अलावा हर घोड़ा इंद्रधनुष के सातों रंग का प्रतीक भी माना जाता है। सूर्य देव के रथ में सिर्फ एक पहिया होता है, जो वर्ष को दर्शाता है। पहियों में मौजूद 12 तीलियां महीनों के बारे में बताती है। सूर्य भगवान जिस रथ पर सवार होते हैं। उसे अरुण देव के द्वारा चलाया जाता है, उन्होंने ही सूर्य देव के रथ की कमान संभाली है।
भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होने का कारण हिंदू पौराणिक कथाएं और धार्मिक विश्वासों से जुड़ा है। इस कथा के अनुसार सूर्य भगवान रथ पर चढ़कर दिन-रात का समय नियंत्रित करते हैं और सृष्टि को प्रेरित करते हैं। यह रथ सप्त घोड़ों द्वारा खींचा जाता है और इन सात घोड़े का प्रत्येक एक विशेष अर्थ होता है।

माकर: यह घोड़ा मन की प्रतिनिधित्व करता है, जो मानसिक शक्ति को सूर्य के रथ की दिशा में दिखाता है।
रौद्र: इस घोड़े का संबंध बुद्धि और ज्ञान से होता है जो सूर्य को अपनी पथ पर मार्गदर्शन करने में मदद करता है।
घण्टाकर्ण: इस घोड़े का संबंध अहंकार से होता है जो सूर्य के रथ को समर्थन और स्थिरता के साथ चलने में मदद करता है।
पुष्पक: इस घोड़े का अर्थ इंद्रियों से होता है जो सूर्य के रथ को इंद्रियों के संग्रह के साथ चलने में मदद करता है।
श्वेतबल: इस घोड़े का संबंध पंचतंत्र से होता है जो प्राकृतिक तत्वों की स्थिति को सूर्य के रथ में संतुलित रखने में मदद करता है।
रेणुभ: इस घोड़े का संबंध मानस से होता है, जो सूर्य के रथ को स्थिरता और एकाग्रता से चलने में मदद करता है।
शार्वी: इस घोड़े का संबंध आत्मा से होता है, जो सूर्य के रथ को आत्मा के मार्ग पर चलने में मदद करता है।
