Stambheshwar Mahadev Temple: आजतक आपने कई शिव मंदिरों के दर्शन किए होंगे और कई शिव मंदिरों के बारे में कुछ न कुछ खास जरूर सुना होगा। लेकिन जिस शिव मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो बेहद ही अनोखा है। दरअसल, इस मंदिर में महादेव सिर्फ दो बार दर्शन देने आते हैं, उसके बाद ये मंदिर गायब हो जाता है। ये अद्भुत प्रक्रिया दिन में दो बार सुबह और शाम के लिए होती है। इसी विशेषता के चलते दूर-दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। आज हम आपको इस मंदिर के गायब होने के पीछे का कारण और ये मंदिर कहां स्थित है के बारे में बताएंगे।
अगर आप इस सावन शिव मंदिर के दर्शन का सोच रहे हैं तो इस अद्भुत मंदिर के दर्शन के लिए जरूर जाना चाहिए। भगवान शिव को समर्पित इस अनोखे मंदिर का नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है। ये मंदिर गुजरात के बड़ोदरा शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील के कवि कंबोई गांव में स्थित है। मंदिर लगभग 150 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने किया था।
क्यों गायब हो जाता है मंदिर?

समुद्र में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के गायब होने के पीछे कोई चमत्कार नहीं बल्कि एक प्राकृतिक प्रकिया है। दरअसल, सुबह और शाम के समय ज्वार-भाटा उठने के कारण समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ जाता है, जिस वजह से मंदिर कुछ क्षणों के लिए पानी में डूब जाने के कारण आंखों से ओझल हो जाता है। फिर जैसे ही समुद्र का जलस्तर कम होता है तो मंदिर एक बार फिर दिखाई देने लगता है। इस अद्भुत प्रक्रिया को समुद्र द्वारा भगवान शिव का अभिषेक करना कहा जाता है। इस दौरान वहां पहुंचने वाले श्रद्धलुओं के लिए ये पल किसी चमत्कार से कम नहीं होता, इसलिए लोग इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर भी कहता हैं।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा?

शिवपुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने ताड़कासुर नाम के असुर की तपस्या से खुश होकर उसको मनचाहा वरदान दिया था। वरदान में ताड़कासुर ने भगवान शिव से मांगा था कि उसको शिव पुत्र के अलावा कोई और न मार सके, और पुत्र की आयु 6 दिन की होनी चाहिए। वरदान मिलने के बाद ताड़कासुर ने बहुत उत्पात मचाया। परेशान ऋषि-मुनियों और देवताओं ने भगवान शिव से ताड़कासुर के वध की प्रार्थना की। जिसके बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया और ताड़कासुर का वध कर दिया। अपने भक्त के वध की खबर सुन शिव को बहुत दुख हुआ। जब कार्तिकेय को इसका भान हुआ तो भगवान विष्णु ने उन्हें प्रायश्चित करने का मौका दिया। भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को कहा कि वो उस जगह पर शिवलिंग की स्थापना करें, जहां ताड़कासुर का वध किया गया। इसके बाद से इस जगह को स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
कैसे पहुंचे?
गांधीनगर से कवि कंबोई गांव पहुंचने के लिए आपको 175 किलोमीटर लंबा सड़क का सफर तय करना होगा। इसके लिए आपको लोकल वाहन मिल जाएंगे। अगर आप खुद गाड़ी चलकर पहुंच रहे हैं तो आपको बिना किसी रूकावट के 4 घंटे का समय लगेगा। मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। अगर आपको इस मंदिर की पूर्ण महिमा देखनी है तो पूरा एक दिन यानी सुबह से शाम तक रुकना होगा।