Shani Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा ही महत्व होता है। हर माह कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत रखने से जातक पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि विभिन्न तिथि को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अलग अलग नामों से जाना जाता है। शनिवार को प्रदोष व्रत होने से इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा मिलने के साथ ही शनि दोष से भी मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। तो चलिए जानते हैं इस बार कब है शनि प्रदोष व्रत और शुभ मुहूर्त व महत्व।
कब है शनि प्रदोष व्रत 2023?

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 जून 2023 को रात्रि एक बजकर 16 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो एक जुलाई 2023 को मध्य रात 11 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस बार प्रदोष व्रत एक जुलाई 2023 को रखा जाएगा। शनिवार को होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत रहेगा। इस दिन शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। वहीं, लाभ व उन्नति मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इससे भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त रोग दोष दूर होते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष हो उसे शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे शनिदोष से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत रखने से महिलाओं को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु का वरदान मिलता है। माना जाता है कि जो भी भक्त प्रदोष व्रत रखता है उसे शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है। ।
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल अर्पित करें। शिवलिंग पर श्वेत चंदन का लेप करें। साथ में बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग चढ़ाएं। इसके बाद आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
