पौराणिक काल के ऐसे सात चिरंजीवी, जो आज भी हैं धरती पर मौजूद, जानें इनका रहस्य: Seven Chiranjeevi
Seven Chiranjeevi

Seven Chiranjeevi: हिंदू धर्म ग्रंथों में कई देव पुरुषों के अमर होने का उल्लेख मिलता है। सनातन धर्म में मान्यता है कि प्रतिदिन इन सात चिरंजीवियों का नाम लेने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है। पौराणिक शास्त्रों में सात चिरंजीवी देवों का वर्णन मिलता है। जिसमें हनुमान जी, परशुराम, असुर राज बलि, विभीषण, अश्वत्थामा, महर्षि व्यास और कृपाचार्य शामिल हैं। यह सभी चिरंजीवी किसी वरदान, श्राप या किसी नियम से बंधे हैं। इन सभी चिरंजीवियों को योग की अष्ट सिद्धियों के कारण दिव्य शक्तियां प्राप्त हैं। आज हम जानेंगे पंडित इंद्रमणि घनस्याल से इन 7 चिरंजीवियो के बारे में विस्तार से।

पवनपुत्र हनुमान व परशुराम

Seven Chiranjeevi history
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भगवान श्री राम के परम भक्त अंजनी पुत्र वीर हनुमान को अजर अमर होने का वरदान प्राप्त है। रामायण काल से लेकर हजारों वर्षों बाद हुए महाभारत के युद्ध में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था। इसी तरह परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। महान ऋषि परशुराम का जन्म सतयुग में बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। इनका नाम पहले राम था। भगवान शिव ने राम की तपस्या से खुश होकर एक फरसा दिया था। जिसके कारण इन्हें परशुराम कहा जाने लगा। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी अमर है।

विभीषण व असुर राज बलि

Seven Chiranjeevi history
Chiranjeevi in Hindusism

रावण के छोटे भाई विभीषण को भी चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। विभीषण ने अपने सगे भाई रावण के खिलाफ जाकर धर्म के लिए भगवान राम का साथ दिया था। रावण को युद्ध में हराने के बाद भगवान श्री राम ने विभीषण को लंका का राजा बनाया था। वहीं, असुरों के राजा बलि महान दानी माने जाते है। राजा बलि ने अपने दान के अहंकार में इंद्रलोक पर भी अधिकार करना चाहा था, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि का घमंड तोड़ा था। वामन अवतार में भगवान ने 2 पग में तीनों लोक नाप लिए और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रख कर उन्हें पाताल लोक भेज दिया था। मान्यता है कि राजा बलि आज भी पाताल लोक में जीवित है।

अश्वत्थामा व महर्षि वेदव्यास

Chiranjeevi history

गुरु द्रोणाचार्य जी के पुत्र अश्वत्थामा महाभारत काल से इस धरती पर मौजूद है। महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण दुनिया के अंत तक रोगी बनकर चिरंजीवी रहने का श्राप दिया था। वहीं, महाभारत के रचनाकार महर्षि वेदव्यास जी माता सत्यवती और ऋषि पाराशर के पुत्र थे। इनके सांवले रंग और यमुना नदी के पास द्वीप पर जन्म होने के कारण इन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहते हैं। महर्षि वेदव्यास को भी चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है।

कृपाचार्य

कृपाचार्य एक महान ऋषि थे। ये अश्वत्थामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु माने जाते है। महाभारत के युद्ध में ऋषि कृपाचार्य ने कौरवों की तरफ से महाभारत के युद्ध में भाग लिया था। इनको भी चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त था।

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