प्रयागराज के एकमात्र लेटे हुए हनुमान!
देश के अलग अलग हिस्सों में देवी देवताओं के अनेकों मंदिर बसे हुए है। अगर हम बात हनुमान की करें तो वीर बलवान हनुमान को सदा ही बलवानी और हाथ में द्रोणागिरी पर्वत लिए देखे जाते है। लेकिन पूरी दुनिया में एक मात्र ही ऐसा मंदिर है जहाँ पर वीर हनुमान जी लेटे हुए है। आईये जानते हैं कि आखिर संगम नगरी में ही क्यों लेटे है भगवान हनुमान? इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि इससे जुड़ी क्या कहानी है?
Sangam Nagri Hanuman: देश के अलग अलग हिस्सों में देवी देवताओं के अनेकों मंदिर बसे हुए है। अगर हम बात हनुमान की करें तो वीर बलवान हनुमान को सदा ही बलवानी और हाथ में द्रोणागिरी पर्वत लिए देखे जाते है। लेकिन पूरी दुनिया में एक मात्र ही ऐसा मंदिर है जहाँ पर वीर हनुमान जी लेटे हुए है। आईये जानते हैं कि आखिर संगम नगरी में ही क्यों लेटे है भगवान हनुमान? इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि इससे जुड़ी क्या कहानी है?
क्या है मान्यता?

संगम नगरी में इस लेटे हुए भगवान हनुमान की प्रतीमा के लिए कहा जाता है कि बिना इस प्रतीमा की पूजा के संगम नगरी के दर्शन अधुरे माने जाते है। कहा ये भी जाता है कि हनुमान जी की इस प्रतीमा तब की है जब महाबलवान श्री राम को विजयी बनाकर वापस आयें तो उनकी अवस्था मरण की हो गई थी, ऐसे में हनुमान ऐसी अवस्था में ही वहां लेट गए थे।
भगवान हनुमान की ये अवस्था को देखकर माता सीता ने उन्हें अपने सिंदूर से रंग दिया था। माता के सिंदूर की वजह से ही हनुमान को नया जीवन दिया था। इसके साथ ही उन्हें हमेशा आरोग्य और चिरायुं रहने का भी आशीर्वाद दिया था। माता सीता ने ये भी कहा था कि जो भी संगम नगरी में स्नान कर अपने पापों को धुलने आएगा उसे उसका फल भगवान हनुमान की इस प्रतीमा के दर्शन करने के बाद ही मिलेगा।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर को 600 से 700 साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि कन्नौज के राजा की एक भी संतान नहीं थी ऐसे में उन्हें एक ऐसा उपाय बताया गया कि हनुमान की ऐसी प्रतीमा बनवाई जाए जिसमें वो पताल से नाग पाश से राम और लक्षमण को बचाकर ला रहे थे। हनुमान जी की इसी प्रतिमा को विंध्याचल के पर्वत में बनाकर तैयार किया गया था। प्रतिमा को विंध्याचल पर्वत से लाया जा रहा था तभी ही हनुमान की प्रतिमा गिर गयी और यहीं ऐसी ही स्थापित हो गयी। प्रतिमा गिरने के बाद लेटी हुई हो गयी इसीलिए ये हनुमान जी की एक ऐसी प्रतिमा है जो लेटी हुई है। जहाँ हनुमान का मंदिर स्थापित किया गया। संगम के पास मंदिर होने के कारण इसकी ओर अधिक मान्यता है। दूर दराज से संगम के दर्शन करने आये श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने के लिए भी जरुर पहुँचते हैं।
मुग़लकाल में अकबर ने मानी हार

बताया जाता है कि मुग़लकाल में अकबर अपने शासन का विस्तार करने के लिए जब उसने अवध, मानगढ़ और बंगाल में अपना अधिपत्य जमाया। लेकिन लोग उसका विरोध क्र रहे थे ऐसे में उसने अपने बचाव के लिए एक बड़े से किले का निर्माण किया और इस लेटे हुए हनुमान की प्रतिमा को अपने किले में ले जाना चाहता था। जिसके लिए उसने अपनी सेना और बल का पूरा जोर लगा दिया लेकिन वो वीर बलवान हनुमान की मूर्ति को हिला तक नहीं पाया जिसके बाद उसने भी हनुमान के दर्शन कर उनके आगे हाथ जोड़कर हार मान ली थी और माफ़ी भी मांगी थी।
