Silent Separation in Couples: कल ही तो बात है सोसाइटी की पार्टी में अनामिका और राहुल में गए थे। हालांकि जाना तो दोनो ही नहीं चाहते थे लेकिन अनामिका की सहेलियां उसे ले गईं तो मिस्टर गुप्ता ने राहुल से कह दिया कि अगर आप नहीं चलेंगे तो हम भी नहीं जाएंगे। सोसाइटी की तरफ से एक अच्छा प्रोग्राम था वहां बहुत सी फन एक्टिविटीज रखी गई थीं इसमें एक कपल गेम भी था दोनों को उस गेम का हिस्सा बनना पड़ा जहां एक-दूसरे के बारे की पसंद-नापसंद जैसी बहुत सी चीजों के जवाब देने थे। सोचने वाली बात थी कि राहुल से पूछा गया कि अनामिका ने कौन सी कलर की लिपस्टिक लगाई है तो वो बता नहीं पाए। वहीं अनामिका भी इस सवाल का जवाब देने में नाकामयाब रही कि राहुल ने जो परफ्यूम लगाया है वो कौन-सा है?
यह छोटी बात नहीं
यह पढ़कर आपको लग रहा होगा कि छोटी सी बात है कई बार ध्यान नहीं रहता लेकिन नहीं यह छोटी बात नहीं है। दोनों के बीच में एक अजीब सी खामोशी रहती है। अनामिका और राहुल की शादी को 20 साल हो चुके हैं। इन 20 सालों में दोनों ने एक-दूसरे के साथ बहुत से उतार-चढ़ाव देखे लेकिन एक-दूसरे को ही देखने की मोहलत नहीं मिल पाई। दोनों का एक बेटा है वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर रहता है और वो दोनों एक घर में रहते हुए एक मशीनी जिंदगी गुजार रहे हैं। राहुल एक ऊंची पोस्ट पर है ऑफिस की जिम्मेदारियां कुछ ज्यादा ही हैं वहीं अनामिका ने अपने आप को घर में व्यस्त और मस्त कर रखा है। अब न तो वो राहुल के साथ ऑफिस की किसी पार्टी में जाती है और न ही कभी कहीं बाहर जाने के लिए राहुल का साथ चाहती है। हफ्तों हो जाते हैं दोनों को एक-दूसरे से बात किए। सोचने की बात है कहीं एक घर में रहते हुए यह एक साइलेंट सेपरेशन तो नहीं है। अगर हम अपने आस-पास देखेंगे तो कितने ही ऐसे कपल हमें नजर आते हैं जो इस तरह से बेगानों की तरह साथ रहकर जिंदगी गुजार रहे हैं।
आखिर क्यों होता है साइलेंट सेपरेशन
यह हमारी असली जिंदगी है। आज लोग प्राइवेट नौकरियां कर रहे हैं जहां कार्यालय जाने का तो समय तय होता है लेकिन आने का नहीं। ऐसे में पति जब उच्च पदों पर जाते जाते हैं तो कहीं न कहीं उनका निजी जीवन बलि चढ़ता है। पत्नी होममेकर हो या वर्किंग अपने पति से समय की उम्मीद करती है। लेकिन वो उम्मीद पूरी ही नहीं हो पाती। ऐसे में यह कपल एक-दूसरे से झगड़ने लगते हैं तनाव होता है और कुछ सालों बाद झगड़े होने बंद हो जाते हैं और एक मौन अपनी जगह बना लेता है। जहां दोनों एक मशीन की तरह अपनी जिंदगी पूरी करने लगते हैं। पत्नी के पास बच्चे, घर और ऑफिस होता है तो पति के पास ऑफिस और उसके बाद अगर समय मिलता है तो दोस्तों के लिए बुक हो जाता है।
तो क्या करें
यह सच है कि आज के समय में हम व्यस्त होना नहीं छोड़ सकते। लेकिन इस एक दिनचर्या में कहीं कोई एक समय आप दोनों को एक-दूसरे के लिए निकालना होगा। अगर आपको लगता है कि ऑफिस के व्यस्त रुटीन के बाद आप दोनों बात करने की स्थिति में नहीं होते तो सुबह का एक समय एक-दूसरे के लिए रखें। बच्चे सुबह स्कूल चले जाते हैं ऐसे में नाश्ते के साथ कुछ अच्छी बातें करें। इसके अलावा जब भी आपको खाली समय मिले एक-दूसरे के साथ समय बिताएं। बहुत बार महिलाएं इस बात भाव से ग्रसित हो जाती हैं कि घर के कामों में उनके साथ हाथ बांटने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में अगर पति सुबह की चाय या रात की कॉफी पत्नी के लिए बनाए तो यकीं जाने यह झुंझलाहट बहुत हद तक खत्म हो जाएगी।
अपनी बात रखें
बहुत बार ऐसा होता है कि सामने वाला आपकी बात को समझ नहीं पाता या समझने की स्थिति में नहीं होता। लेकिन आप दोनों ही इस बात पर ध्यान दें कि आपको अपनी बात को कहना है। यह परेशानी महिलाओं के साथ ज्यादा होती है। वो खुद की भावनाओं को घोंट-घोंटकर अपने दिल को पत्थर का बना लेती हैं। कहिए अपनी बात कि अगर आपको रविवार को घूमने जाना है। कहिए अपनी बात कि आपको रविवार का दिन केवल एक मास्टर शेफ बनकर नहीं बताना। कहिए कि मुझे मेरे फेवरेट हीरो की मूवी देखनी है। कहिए कि मैं खाना बना-बनाकर उकता गई हूं आज का डिनर आप बनाएं। आप खुद सोचिए पति हैं वो, अधिकार है आपका, उन पर उनके समय पर और उनके पैसों पर।
झगड़ा करें लेकिन बात को लंबा न खींचे
जब लोग साथ रहते हैं तो ऐसा तो नहीं है कि वो हमेशा एक दूसरे की बातों में सहमत ही होंगे। ऐसा भी हमेशा नहीं हो सकता कि प्यार भरी बातें करें। एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराएं। असली जिंदगी में असमहमति होती है, पसंद नापसंद होती है कई बार दोनों का अहं टकराता है। इन सभी को होने दीजिए। आपको जो भी बुरा लगे बताइए। लेकिन झगड़े को लंबा मत होने दीजिए। बात को खत्म करिए और पुरानी बातों को कोशिश करें कि बीच में न लाएं। जो बीत गया सो बीत गया। नई बातें करिए, नए झगड़े करिए नई असहमतियां लाइए। एक और बात आप दोनों ही जब अपने ऑफिस से निकलें तो वहां की टेंशन और बातों को वहीं छोड़कर आएं। बच्चों और परिवार पर खीझ निकालने से नुकसान ऑफिस का नहीं आपका होता है।
यह आपके लिए भी है घातक
जीवन में स्वार्थी होना भी अच्छा होता है। आप अपनी खुशी के लिए अपने रिश्ते में खामोशी को जगह न बनाने दें। आप दोनों के बीच की यह खामोशी आपको भी तोड़ती है। इसका अंदर दर्द अंदर ही अंदर सालता है। सबसे बड़ी बात आपकी सेहत भी इससे खराब होती है। आपके शरीर में हैप्पी हार्मोंस बन ही नहीं पाएंगे। और आपको पता ही है चिंता चिता समान है। तो बस आहिस्ता से उनके हाथों में अपनी अंगुली की छुअन का अहसास दे दें। जब वो हाथ छिटके तो रौब से हंसकर उन्हें देखकर कहें छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है तुम्हारा हाथ और एक जोरदार ठहाका लगाकर पुराने शिकवों को भूल जाएं।