Narendra Kumar Verma
Editorial Review by NK Verma

Editorial Review: गर्मियों की तेज धूप जब धरती को तपाती है, तो यह समय हमें बाहर से नहीं, भीतर से शीतलता खोजने का आमंत्रण देता है। साधनापथ का यह मई अंक उसी आंतरिक विश्राम और जागरण का संदेश लेकर आपके समक्ष उपस्थित है। इस विशेषांक में हम जगद्गुरु आदिशंकराचार्य के जीवन और उनके अद्वैत दर्शन पर प्रकाश डाल रहे हैं। शंकराचार्य ने आत्मा और ब्रह्मï के एकत्व का जो अमूल्य संदेश दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। आज का युवा जब भौतिक उपलब्धियों के बावजूद आत्मिक असंतोष से घिरा है, तब शंकराचार्य का विचार- ‘स्वयं को जानो’ उसे सच्ची तृप्ति और आनंद की ओर ले जा सकता है। सनातन का अर्थ केवल परंपरा निभाना नहीं, बल्कि अपने भीतर उस शाश्वत सत्य का अनुभव करना है, जिसकी ओर आदिशंकराचार्य ने सदैव मार्गदर्शन किया। इस अंक में हमने आपके स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखा है। गर्मियों की दोपहर में थोड़ी देर की झपकी न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, बल्कि मानसिक थकान भी दूर करती है। आयुर्वेद भी दोपहर में थोड़ी देर विश्राम को शरीर के संतुलन के लिए आवश्यक मानता है। पेट संबंधी रोगों की बढ़ती समस्या को देखते हुए हमने इस बार एक उपयोगी लेख प्रस्तुत किया है। अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्राकृतिक पेय पदार्थों जैसे- सत्तू, आम पना, नींबू पानी और ताजगी से भरपूर आम रस का सेवन करें।

ये न केवल शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं, बल्कि गर्मी के मौसम में पाचन शक्ति को भी मजबूत बनाते हैं। मई का महीना बच्चों की छुट्टियों का होता है। यह अवसर है कि हम उन्हें केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि अच्छे संस्कार और आदतें भी दें। कहानियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा देना, उन्हें प्रकृति के करीब ले जाना, समय का मूल्य समझाना और अनुशासन का अभ्यास कराना- ये छोटी-छोटी बातें उनके चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जैसा बीज आज बोया जाएगा, वैसा ही भविष्य में वृक्ष बनेगा।
‘साधनापथ’ का प्रयास हमेशा यही रहा है कि हम धर्म, स्वास्थ्य और जीवनशैली को एक ऐसी सरल और गहन भाषा में आप तक पहुंचाएं, जो न केवल आपके जीवन को समृद्ध करे, बल्कि
आपकी साधना को भी पुष्ट करे। स्वस्थ रहें और आशावादी बने रहें।

धन्यवाद।

आपका…
नरेन्द्र कुमार वर्मा
nk@dpb.in