Parents Behaviour: एक परिवार में हर रिश्ते की अपनी पहचान होती है और अपनी ज़िम्मेदारी भी। किसी भी परिवार में माता-पिता के बाद किसी पर ज़्यादा ज़िम्मेदारी होती है तो वो घर के बड़े बच्चे होते हैं। ऐसा हर बार ज़रूरी नहीं है कि बड़े बच्चे ही ज़िम्मेदार हों लेकिन ज़्यादातर परिवारों में यही देखने को मिलता है कि बड़े बच्चे हर ज़िम्मेदारी को ठीक तरह से निभाते हैं। इसका एकमात्र कारण यही है कि माता – पिता बड़े बच्चे से ज़्यादा उम्मीद लगा बैठते हैं वो समझते हैं कि अगर उनका बड़ा बच्चा ज़िम्मेदार नहीं होगा तो छोटे बच्चे को सही राह कैसे मिलेगी? ऐसा कई बार इसलिए होता है क्योंकि उनका मानना होता है कि छोटा बच्चा अपने बड़े भाई या बहन को देखकर ज़िम्मेदार बनता है इसलिए ज़रूरी है कि उनका बड़ा बच्चा हर तरह से लायक हो।
बच्चों को ज़िम्मेदार बनाना ज़रूरी है लेकिन उनका बचपन छीनना ग़लत है जो कि अक्सर पेरेंट्स अनजाने में करते हैं। उन्हें लगता है कि अपने बड़े बच्चे पर ज़िम्मेदारी डाल कर वो उसे बचपन से ही ज़िम्मेदार बना देंगे और ऐसा करने से उनका बच्चा समाज में एक धीर-गंभीर व्यक्ति दिखेगा। वो ये नहीं सोचते कि उस बच्चे के मन पर क्या असर पड़ेगा और उसके छोटे भाई या बहन पर कितना ज़्यादा दबाव बनेगा अपने बड़े भाई या बहन के जैसा बनने का। परिवार में ज़्यादातर ऐसा होता है कि बड़े बच्चे को दूसरा माँ या बाप बना दिया जाता है। इसमें परिवार के साथ समाज का भी कम हाथ नहीं है। किसी भी व्यक्ति पर दबाव और तनाव का कारण समाज भी होता है। समाज की किसी भी टिप्पणी को व्यक्ति मन में लिए बैठा रहता है और एक तनाव से गुज़रता रहता है। इससे न केवल आपके बच्चों के मन पर बुरा असर होगा बल्कि आपके बच्चों के बीच मतभेद होना शुरू हो जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों को समझें उन्हें जिम्मेदारियों को समझने की समझ तो दें लेकिन उनपर किसी तरह का दबाव न बनाएं।
१) बड़े बच्चों को छोटे बच्चों के सामने ना डाटें

हर रिश्ते में सम्मान की ज़रूरत होती ही है। आप बगैर सम्मान के कोई भी रिश्ता नहीं चला सकते हैं। ये ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों को आपस में सम्मान से व्यव्हार करना सिखाएं और खुद भी बच्चों का सम्मान करें। अगर आप अपने बड़े बच्चे को कुछ समझाना चाहते हैं या उसकी किसी ग़लती पर उससे बात करना चाहते हैं तो अकेले में करें क्योंकि अगर आप अपने छोटे बच्चे के सामने उसे कुछ कहेंगे तो उसके मन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।
२) नज़रंदाज़ न करें
कई बार ऐसा होता है कि माता पिता अपने बड़े बच्चे को छोटे बच्चे के मोह में भूल ही जाते हैं उन्हें लगता है कि उनके छोटे बच्चे को उनकी ज्यादा ज़रूरत है और बड़े बच्चे पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। वो ऐसा जानबूझकर तो नहीं करते लेकिन वो कई बार छोटे बच्चे के मोह में बड़े बच्चे को नज़रंदाज़ कर देते हैं।
3) भेदभाव न करें
भेदभाव किसी को भी अन्दर तक मार देता है और जब आप बच्चों के बीच ऐसा करते हैं तो वो टूट जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बड़ा बच्चा पढाई में अच्छा नहीं उसका मन खेल कूद में ज्यादा लगता है या उसे और कलाओं में रूचि है वहीं छोटा बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है तो ऐसे में माता पिता छोटे बच्चे की प्रशंसा रिश्तेदारों के सामने करते हैं और अपने बड़े बच्चे को उसकी पढाई को लेकर टोकते हैं। ये भेदभाव हो सकता है वो जानबूझकर न करते हों लेकिन कई बार वो ऐसा कर जाते हैं जो कि उनके बच्चों में अवसाद का कारण बन सकता है।
४) जिम्मेदारियों का बोझ न डालें
माता पिता ज़्यादातर अपने बड़े बच्चे से कुछ ज़्यादा ही उम्मीद लगा लेते हैं। ये उम्मीदें बच्चे पर बोझ डालती है। जिम्मेदारियों के बारे में समझाना अलग बात है और जिम्मेदारियों को थोपना अलग बात है। इसलिए आप उन्हें सिर्फ समझाएं ताकि समय के साथ वो इन्हें समझें। ऐसा न हो कि आप उनपर बड़े होने के कारण जिम्मेदारियों का बोझ डालते रहें और वो अवसाद में चले जाते हैं।
आप इन बातों पर गौर करके अपने बड़े बच्चे को हौसला दे सकते हैं ताकि उसपर कोई बोझ न हो, वो स्वतंत्र रहकर चीज़ें समझ सकें।
