Overview: छोटे बच्चे सिर्फ सोने के लिए नहीं मलते आंखें, ये कारण भी हो सकते हैं जिम्मेदार
बच्चों का जरूरत से ज्यादा आंखें मलना सामान्य नहीं होता। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन सावधानियां बरतकर इसे रोका जा सकता है।
Babies Rub Eyes: छोटे बच्चे की हर एक्टिविटी पेरेंट्स के लिए बेहद खास होती हैं। उसका उबासी लेना, मुस्कुराना और यहां तक की बार-बार आंखे मलना भी नए पेरेंट्स को सामान्य लग सकता है। छोटे बच्चों का आंखें मलना अक्सर नींद या थकान का संकेत माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं बार-बार आंखें मलना किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। इसके पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे क्यूरोसिटी, ड्राय आइज या आंखों में जलन। यदि आपका बच्चा भी बार-बार आंखों को सहलाता है या खुजाता है तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। छोटे बच्चे आखिर क्यों आंखें मसलते हैं और इसके कैसे निपटा जा सकता है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
बच्चे आंखें क्यों मलते हैं

क्यूरोसिटी: बच्चे जब अपनी मोटर स्किल्स विकसित करते हैं, तो वे अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों को छूकर महसूस करते हैं। आंखें मलना भी उनकी क्यूरोसिटी का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि वे यह समझने की कोशिश करते हैं कि उनका शरीर कैसे प्रतिक्रिया देता है।
सरप्राइज: बच्चे कभी-कभी आंखें मलते हैं क्योंकि उन्हें आंखें बंद करने और मलने से दिखने वाले रंगीन पैटर्न आकर्षित करते हैं। यह दृश्य उत्तेजना उनके लिए मजेदार हो सकती है।
नींद या थकान: बच्चे जब अधिक देर तक जगते हैं या थके हुए होते हैं तो उनकी आंखें दर्द करने लगती हैं। जिसकी वजह से वह आंखें मलना शुरू कर देते हैं। बच्चे के नींद के संकेतों, जैसे जम्हाई या आंखें मलना, पर नजर रखें और तुरंत उन्हें सुलाएं।
सूखी आंखें: बच्चों की आंखें लंबे समय तक हवा के संपर्क में रहने से सूख सकती हैं। आंखों को नम बनाने के लिए बच्चे आंखें मलते हैं।
आंखों में जलन: अगर बच्चे की आंखों में धूल, गंदगी, या कोई कण चला जाए, तो वे जलन के कारण आंखें मल सकते हैं।
कंजक्टिवाइटिस: आंखों की लालिमा और चिपचिपा स्राव कंजक्टिवाइटिस या आई फ्लू का संकेत हो सकता है। इससे आंखों में खुजली और पानी आने की समस्या होती है, जिसके कारण बच्चे आंखें मलते हैं।
बच्चे को आंखें मलने से कैसे रोकें

मिटन्स या लंबी आस्तीन: बच्चों के हाथों पर मिटन्स पहनाएं या उनकी लंबी आस्तीन को हाथों पर खींच दें ताकि वे आंखें न मल सकें।
ध्यान भटकाएं: बच्चे का ध्यान खिलौने, संगीत, या अन्य गतिविधियों की ओर मोड़ें।
आंखों की सुरक्षा: धूल भरे वातावरण से बचें और बच्चों के लिए सुरक्षित सनग्लासेज का उपयोग करें।
इन लक्षणों पर दें ध्यान
– नवजात अवस्था के बाद बच्चे का चमकती रोशनी पर प्रतिक्रिया न देना।
– भेंगापन या आंखों का असामान्य रंग।
– तेज रोशनी से परेशानी या लगातार आंखों में पानी आना।
– किसी वस्तु को देखने के लिए सिर झुकाना या आंखों से उसका पीछा न कर पाना।
– पलकों का लटकना या आंखों में दर्द/खुजली।
पेरेंट्स अपनाएं ये उपचार
– आंखों में अधिक खुजली होने पर बच्चे की आंख को पानी के छींटों से साफ करें।
– चिकित्सक की सलाह पर आई ड्रॉप डालें।
– बच्चे के आंखों के पास मौजूद कोशिकाओं की हल्के-हल्के मसाज करें।
– ज्यादा तकलीफ होने पर गुनगुने कपड़े से सिकाई करें।
