Positive parenting tips : किसी भी माता-पिता के लिए बच्चों की परवरिश बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। पेरेंट्स को बच्चे के हर उम्र में उनको संभालने और सही शिक्षा देने से ही इनका पालन-पोषण ठीक से हो पाता है। अगर आप एक पेरेंट हैं और बच्चों पर खास ध्यान नहीं दे पा रहें तो समय आ गया है आप अपने बच्चे की बुरी आदतों को सुधारें।
बच्चों को समझना और उनकी परवरिश एक जिम्मेदारी से भरा हुआ काम है, जिसके लिए पेरेंट्स को हर कदम बेहद सतर्कता से उठाना पड़ता है। बच्चों को सुबह नहलाने से लेकर रात को सुलाने तक हर समय पेरेंट्स को पूरी सूझबूझ से काम लेना पड़ता है। चाहे फिर उनके सामने आप कोई बात करें या फिर कोई काम करें। इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि बच्चे उसे तुरंत अपना लेंगे और उसे करने लगेंगे और आगे चलकर आपको वो चीजें बच्चों के बर्ताव में नजर आने लगती है।
अगर आप किसी पर गुस्सा निकाल रहे हैं, तो जाहिर है वो बच्चा भी अपने से छोटे बच्चों के साथ वैसा ही व्यवहार करने लगेगा। अगर आप बच्चे को मार रहे हैं तो बच्चा भी दूसरों को मारने के लिए हाथ उठाने लगेगा। आप भले ही जीवन में निश्चिंत तौर पर कामकाज में व्यस्त हैं, मगर जब आपके पास बच्चे के बदल रहे रवैये और दूसरों के साथ मारपीट की खबरें मिलने लगती हैं तो आप तब हर तरह से बच्चे पर अपना ध्यान देना शुरू करते हैं। अगर आप भी किसी ऐसी ही समस्या से दो चार हो रहे हैं तो बच्चे को संभालने के लिए इन खास बातों को दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाएं-
घर पर गेट-टुगेदर अरेंज करें
वीकेंड या फिर कुछ खास मौकों पर अपने बच्चे के दोस्तों को घर पर बुलाएं और एक छोटा गेट-टुगेदर रखें। इससे बच्चे एक दूसरे के व्यवहार को समझ पाते हैं। साथ ही आप अपने बच्चे के बर्ताव को देख पाएंगी और आप अपने बच्चे के दोस्तों से भी मिल सकेंगी। इस प्रकार से बच्चे के बर्ताव में भी बदलाव नजर आता है। साथ ही अगर आपको बच्चे के बिहेवियर में कुछ गलत लगता है तो आप उसे वक्त रहते सुधार सकते हैं।
खुद को शांत रखें
अगर आपका बच्चा दूसरों के सामने आप से ऊंची आवाज में बात कर रहा है और अपनी मनमानी करता है तो इसके लिए आप कहीं-न-कहीं खुद ही जिम्मेदार हैं। दरअसल, दूसरों पर अक्सर गुस्सा निकालने की आपकी आदत कई बार आपके लिए नुकसान का कारण साबित हो सकती है। अक्सर हम घर के नौकर या फिर अपनों से बड़ों पर किसी बात पर गुस्सा हो जाते हैं, जो बच्चे देखते हैं और वैसा ही बर्ताव वो खुद करने लगते हैं। ऐसे में बच्चों के सामने गुस्सा करने और दूसरों से मारपीट करने से परहेज करें।
बच्चों के साथ मारपीट न करें
कई बार पेरेंट्स अपनी बात को मनवाने और खुद को बड़ा दिखाने के लिए बच्चों को मारने-पीटने लगते हैं, जिसका असर बच्चों के आचरण पर साफतौर पर दिखने लगता है। नतीजन बच्चे अपने से छोटों के साथ-साथ अपने से बड़ों पर भी हाथ उठाने से परहेज नहीं करते हैं। जो माता-पिता के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो सकता है।
ऐसी स्थिति में आप बच्चों से प्यार से पेश आएं और उनके सामने सामान्य व्यवहार करें और दूसरों से बहस करने से भी बचें। अन्यथा बच्चे आपके उसी रवैये को धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेंगे। ऐसे में पहले बच्चे घरवालों के साथ मारपीट करने लगते हैं और फिर वही व्यवहार स्कूल या फिर किसी गेट-टुगेदर में बच्चों में देखने को मिलता है।
बच्चों के साथ ज्यादा छेड़खानी न करें
हर घर में ऐसा कोई-न-कोई सदस्य आपको जरूर मिलेगा, जो बच्चों के साथ मौज-मस्ती करने के अलावा उन्हें बात-बात में छेड़ना, चूंटी काटना, कभी मारना कभी गुस्सा दिलाना, तो कभी उनके हाथ से कोई चीज खींंच लेना समेत कई तरह से उन्हें परेशान करने लगते हैं। ऐसे कामों से बच्चों में गुस्सा और रोष की भावना जन्म लेती है, जो उन्हें दूसरों के प्रति नफरत पैदा करने में सहायक साबित होती है। अगर आप बच्चों को बेवजह मारेंगे या फिर तंग करेंगे तो जाहिर है, उनका व्यवहार सामान्य से बदलकर असामान्य होने में वक्त नहीं लगेगा। बच्चे फूलों के समान होते हैं, उन्हें पूरी तरह से खिलने दें और खुश रखें। मार पिटाई को उनकी जिंदगी का हिस्सा न बनने दें।
बच्चों के साथ वक्त बिताएं
दिनभर बच्चे जहां पढ़ने में और खेलने में व्यस्त रहते हैं, तो वहीं माता-पिता अपने-अपने कामों में उलझे रहते हैं। मगर वीकेंड पर पेरेंट्स के साथ मौज-मस्ती और कहीं बाहर कुछ घंटे बिताना बच्चों के लिए जरूरी है। मगर बाकी दिनों में भी माता-पिता का बच्चों को वक्त देना एक खास अहमियत रखता है।
अगर आप बच्चों को रोजाना वक्त देंगे और उनके साथ बैठेंगे, तभी आप उनकी अच्छी बुरी आदतों और उनके बिहेवियर पर पूरी तरह नजर रख पाएंगे। इसके अलावा आप जान पाएंगे कि बच्चा पढ़ाई-लिखाई में कितना इंटरस्ट ले रहा है। अन्यथा आपके बच्चे आपसे धीरे-धीरे दूर चले जाएंगे। बच्चों के साथ दिनभर रहने की बजाय आप क्वालिटी टाइम बिताएं, ताकि वो आपके नजदीक आ सकें और आप उन पर ध्यान दे पाएं।
बच्चों को अच्छे और बुरे व्यवहार में अंतर समझाएं
आमतौर पर बड़े बच्चों को इन बातों का ज्ञान होता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। मगर बात जब छोटे बच्चों की आती है, तो उस वक्त उन्हें ये समझाना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है कि दूसरों से उनका कैसा व्यवहार उचित है और कैसा अनुचित। पांच साल की उम्र तक बच्चे का मनमानी करना, हर चीज के लिए जिद्द करना और चिड़चिड़ापन समेत कई आदतें रहती हैं।
मगर धीरे-धीरे उम्र बढ़ने के साथ अगर आप अपना थोड़ा सा वक्त उन्हें देंगे और उन्हें अच्छे और बुरे व्यवहार में अंतर करना सिखाएंगे तो यकीनन उनका व्यवहार पहले से बेहतर होने लगेगा और वो अपनी आदतें दिनों दिन बदलने भी लगेंगे। उनकी गलत और अच्छी आदतों का श्रेय पूरी तरह से माता-पिता को ही दिया जाता है। ऐसे में बच्चों को सही उम्र में संभालें और उन्हें अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करें।
बच्चों के मन को टटोलें
हर बार कि तरह बच्चों को अनुशासन और अच्छाई का पाठ पढ़ाने के साथ-साथ उनके मन के भीतर झांककर देखें कि वे दुनिया को किस नजर से देखते हैं और अपने माता-पिता या रिश्तेदारों के प्रति उनकी क्या सोच है। अगर आप कुछ वक्त उनके साथ रहेंगे, घूमेंगे और उनसे अपनी बातें शेयर करें तो वो खुद-ब-खुद आपसे अपने मन की बात भी कहेंगे। अगर आप उनसे हर काम के लिए सलाह-मशवरा करेंगे, तो जाहिर है कि वो आपके करीब भी आएंगे और दूसरों से हर वक्त उलझने और मारपीट से खुद ही दूर हो जाएंगे।
कई बार बच्चा अंदर ही अंदर इतना ज्यादा उलझन महसूस करने लगता है कि वो बाकी सभी को अपना दुश्मन मानने लगता है। ऐसी स्थिति एक बच्चे की जिंदगी के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। आप भी अपने बच्चे के मन को टटोलें और उसे ऐसा माहौल दें कि वो खुलकर आपसे अपनी हर बात कह सके और शांति के रास्ते पर बढ़ने लगे।
धार्मिक विचारों से जोड़ें
हिंसा हमारे जीवन को नर्क की ओर धकेलती है, जो बचपन से ही हमारे आचरण का हिस्सा बन जाती है। बचपन एक ऐसा स्टेज है, जो एक कच्ची मिट्टी के समान है, अगर आप उस वक्त बच्चे को सही सांचे में नहीं ढालेंगे, तो ताउम्र उसका जीवन इधर से उधर भटकता रहेगा और सही मार्ग तक नहीं पहुंच पाएगा। व्यक्ति का व्यवहार उस पानी के समान होना चाहिए, जो हर बर्तन में अपनी जगह बना ले। बच्चे के व्यवहार को शांतिप्रिय बनाने के लिए धार्मिक विचारधारा भी एक अहम् रोल अदा करती है। बच्चों को धर्म से जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए और उसे सही और गलत का अवलोकन करवाना बेहद जरूरी है।
अच्छे व्यवहार के लिए बच्चे को पुरस्कार दें
गलती पर हम बच्चों को डांटना तो नहीं भूलते मगर हां, अच्छे कामों के लिए उन्हें सम्मानित करना अक्सर भूल जाते हैं। जो हमारी सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है। अगर हम बच्चों को हर छोटे काम के लिए प्रोत्साहित, सम्मानित और हौसला अफजाई करेंगे, तो बच्चे यकीनन खुद-ब-खुद आगे बढ़ते चले जाएंगे।
लेकिन अगर हम उन्हें सही काम के लिए हर वक्त शिक्षा देंगे, डाटेंगे और मारने भी लगेंगे, तो वो भी दूसरों को बदले में मारेंगे, चिल्लाएंगे और घरवालों से मानसिक तौर पर दूर होने लगेंगे। इसीलिए बच्चों को प्यार से सहलाएं, उन्हें केवल आपका प्यार चाहिए। डांटना या मारने से बच्चे में विद्रोह पैदा होने लगता है, वो फिर अपनों को पराया और परायों को अपना मानने लगता है।
बच्चों को सलाहकार बनाएं
हम अक्सर बच्चों को छोटा समझकर उनसे अपनी कोई भी बात नहीं कहते हैं। मगर आप ये जानकर हैरान होंगे कि नई पीढ़ी की नई सोच हर मायने में आपसे आगे रहती है। चाहे पांच साल का छोटा बच्चा ही क्यों न हो, वो भी हमें दिनभर में कई नई बातें सिखा जाता है।
बच्चे की परवरिश के दौरान इन खास बातों का रखें ख्याल
बच्चे की हर जिद्द पूरी करने से बचें। बच्चों के सामने अपने से छोटों और बड़ों दोनों को सम्मान दें। बेशक आप गुस्से में हैं, मगर बच्चे के सामने किसी को अपशब्द न कहें। अपने बच्चों के साथ समान व्यवहार करें। बच्चे की खूबियों को पहचानें और उन्हें सराहें। बच्चे के दोस्तों पर भी अपनी नजर रखें।
