Life Skills for Children
Life Skills for Children

Life Skills for Children: अभिभावकों की ख्वाहिश होती है कि पढ़ाई-लिखाई में उनका बच्चा खूब होशियार और स्कूल एक्टिविटीज में आॅल राउंडर हो। इसके लिए वे हर संभव कोशिश भी करते हैं और भविष्य में अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल भी होते हैं। लेकिन कई बार बच्चे को दैनिक जीवन में काम आने वाली छोटी-छोटी बातें सिखाना भूल जाते हैं। अकसर उनकी मानसिकता यही रहती है कि बच्चा बड़ा होकर अपने-आप सीख लेगा या जरूरत पड़ने पर सब आ जाएगा। जिसके चलते बच्चे भले ही पढ़ाई में अव्वल रहें, जिंदगी की राह में कहीं न कहीं पिछड़ जाते हैं।


विश्वास हीलिंग सेंटर, दिल्ली की मनोवैज्ञानिक डाॅ पूजा आनंद शर्मा का मानना है कि बच्चा चाहे वह लड़का हो या लड़की- उन्हें सफल जिंदगी जीने के लिए जरूरी कौशल की जानकारी देना या जरूरी बातें सिखाना नितांत आवश्यक है। इसकी शुरुआत बचपन से ही यानी 5 साल के होने से पहले कर देनी चाहिए। ताकि बच्चे को कठिन परिस्थितियों में या पढ़ाई के लिए घर से दूर होस्टल जाने पर परेशानी कम हो।

अपने काम खुद करने की आदत डालना-

बच्चे को कम उम्र से ही अपने काम करने की आदत डालनी चाहिए। 2 साल की उम्र का होते-होते ही बच्चे को हाथ धोना, टुथब्रश करना, पाॅटी करना जैसे काम करना सिखाना चाहिए। यहां तक कि खाना भी खुद खाने को देना चाहिए। इसके लिए रोटी के छोटे-छोटे टुकडे़ करके या दाल-चावल मिलाकर देना, टम्बलर या बोतल में दूध या पानी खुद पीने के लिए देना चाहिए।

Life Skills for Children
Getting into the habit of doing your own work

कम उम्र में ही बच्चे को छोटे-छोटे काम सौंप सकते हैं जिससे वह आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बन सकता है। अगर बच्चा जिम्मेदारी निभाना सीख लेता है, तो यह कौशल जिंदगी भर हर क्षेत्र में काम आता है। मसलन 6-7 साल के बच्चे भी अपना छोटा-छोटा काम कर सकते हैं जैसे-स्कूल बैग लगाना, अपनी अल्मारी या टेबल पर सामान ठीक तरह रखना, अपने खिलौने लाना और संभालना । भले ही इन कामों में उन्हें टाइम लग सकता है या अभिभावकों को सफाई दुबारा करनी पड़ सकती है। लेकिन अभिभावकों की निगरानी में काम सीखने में बच्चे को मजा तो आता ही है, आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

जरूरी काम सिखाना-

8-9 साल तक के बच्चों को धीरे-धीरे दूसरे काम भी सिखाने शुरू कर देने चाहिए। बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए व्यक्तिगत और आसपास के परिवेश की साफ-सफाई रखना बचपन से ही सिखाना चाहिए। उन्हें सामान करीने से उठाना-रखना सिखाना बहुत जरूरी है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनके काम आने वाली चीजें या दूसरे सामान घर में कहां रखे होते हैं। ताकि जरूरत पड़ने पर किसी वस्तु को ढूंढने के लिए दूसरी चीजें बेवजह उलट-पुलट न करनी पड़ें। नियत जगह पर रखी होने पर बच्चा उसे आसानी से ले सके। अभिभावकों को यह सिखाना भी जरूरी है कि उपयोग करने के बाद उठाई गई वस्तु को उसकी नियत जगह पर जरूर रखा जाए जिससे किसी तरह की दिक्कत न हो।


अभिभावकों को छुटपन से ही बच्चों को अपने कपड़ों की साफ-सफाई का ध्यान रखना भी सिखाना चाहिए। बच्चों को मशीन में कपड़े धोना, सुखाना, प्रेस करना, तह लगाना और करीने से अल्मारी में रखना जरूर आना चाहिए। इससे बच्चे में बड़े होकर भी साफ-सुथरे कपड़े पहनने की आदत हमेशा बनी रहेगी और अच्छे लिबास पहनने से उनमें आत्मविश्वास भी आएगा।

Life Skills for Children
Teaching essential work

खेल-खेल में उन्हें अपने साथ कुकिंग भी सिखा सकते हैं जैसे- हल्का- फुल्का खाना बनाना, सब्जी काटना, चाय बनाना, रोटी बनाना। कलरफुल सेंडविच, चाॅकलेट, केक, पुडिंग, मैगी, चाट जैसी अपनी फेवरेट चीजें बनाने में उन्हें बहुत मजा आता है। माता-पिता धीरे-धीरे उन्हें कुकिंग की दूसरी चीजें भी बनाना सिखा सकते हैं।

टाइम मैनेजमेंट करना-

बच्चे के समुचित शारीरिक-मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है कि अभिभावक कम उम्र से ही उन्हें टाइम मैनेजमेंट करना सिखाएं। ताकि वो समय का सदुपयोग कर सकें और रिलेक्स रह सकें। उन्हें टाइम-प्लैनर खुद बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिसमें सुबह स्कूल जाने और दिन भर किए जाने वाले काम की सूची हो। सुबह ठीक समय पर उठने के लिए रात को अलार्म लगाने और खुद उठने की आदत डालनी चाहिए। अभिभावकों को उनका टाइम-प्लैनर जरूर चैक करना चाहिए। यह ऐसा होना चाहिए जिसमें बच्चे को स्कूल होमवर्क, ट्यूशन या सेल्फ स्टडी के अलावा कुछ खाली समय भी निकले। जिसमें वो अपने मनपसंद इंडोर-आउटडोर गेम्स खेल सकें, अन्य गतिविधियां या अपने शौक पूरे कर सकें।

मनी मैनेजमेंट-

बच्चे को पैसे की अहमियत और फिजूलखर्ची न करने के बारे में जरूर सिखाना चाहिए। शुरू से ही यह आदत डालनी चाहिए कि बच्चे पाॅकेट मनी को सही इस्तेमाल करें यानी खाने-पीने की हैल्दी चीजें लेने या जरूरी सामान लेने पर खर्च करें। उन्हें एटीएम, पैटीएम से लेकर बैंक संबंधी सारी चीजों की जानकारी देनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें पैसे की तंगी का सामना न करना पड़े।

शाॅपिंग करना सिखाएं-

Life Skills for Children
Learn to shop

बच्चे को शाॅपिंग खासकर आॅनलाइन शाॅपिंग जरूर सिखानी चाहिए। यह जानकारी जरूर होनी चाहिए जो वस्तु वह खरीदना चाहता है, वो कई दुकानों या वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं। खरीदने या आॅर्डर देने से पहले 2-4 जगह जरूर सर्च कर लेना चाहिए। इससे उन्हें उस वस्तु की बेहतर क्वालिटी और उपयुक्त मूल्य का आसानी से पता चल सकता है।

इमरजेंसी स्थिति का सामना करना सिखाएं-

कई बार अनचाही दुर्घटना घटने पर बच्चों को पता नहीं होता कि उससे कैसे निपटना है। ऐसी स्थिति में बच्चा घबरा जाता है। पेरेंट्स को बच्चे को कम उम्र में ही इमरजेंसी स्थिति का सामना करना सिखाना चाहिए। जैसे- शाॅट सर्केट की वजह से घर में आग लगने की स्थिति में बच्चे को सिखाना चाहिए कि आग बुझाने के लिए उस पर पानी नहीं डालना चाहिए। इससे करंट लग सकता है और अनहोनी हो सकती है। इसके बजाय उन्हें मैन-मीटर बंद करना चाहिए जिससे लाइट सप्लाई न हो। इसी तरह बच्चे को सिखाना चाहिए कि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं या घर के सदस्य की अचानक तबीयत खराब होने पर क्या करना चाहिए।

फस्र्ट-एड बाॅक्स और उसकी जानकारी होना-

Life Skills for Children
Importance of First Aid box

फस्र्ट-एड बाॅक्स में रखी जाने वाली चीजें और इमरजेेंसी स्थिति में उनके इस्तेमाल की जानकारी भी बच्चे को जरूर देनी चाहिए। जैसे-हाथ जलने पर कौन सी दवाई लगानी है।

जरूरी हेल्पलाइन नंबर की जानकारी-

पुलिस, फायरब्रिगेड, अस्पताल, कैब जैसे जरूरी हेल्पलाइन टेलिफोन नंबरों की जानकारी बच्चे को जरूर देनी चाहिए। ये नंबर घर में ऐसी जगह रखने चाहिए ताकि इमरजेंसी स्थिति में घबराए नहीं, सही व्यक्ति को फोन कर सके।

सेल्फ डिफेंस की जानकारी देना-

Life Skills for Children
Importance of self defence Credit: istock

बड़े हो रहे बच्चे को अपनी एक्टिविटीज या खेलने के लिए अकेले बाहर जाना पड़ता है। कई बार उसका सामना ऐसे अनजान लोगों से होता है जिनके इरादे अच्छे नहीं होते। उसे यह बताना चाहिए कि किसी भी अनजान व्यक्ति से एक लिमिट में ही बात करनी चाहिए, अपनी पर्सनल चीजें शेयर नही करनी चाहिए। अनहोनी से बचने के लिए बच्चे को बचपन से ही सेल्फ डिफेंस टैेक्नीक जरूर सिखानी चाहिए।

Leave a comment