Soft Skills Development in Kids
Soft Skills Development in Kids

Soft Skills Development in Kids: बच्चे बहुत जल्दी-जल्दी बड़े होने लगते हैं। लेकिन वयस्क होने से पहले बच्चों को एकेडमिक ज्ञान से ज्यादा भी कुछ बातों को सीखने की जरूरत होती है। विशेषज्ञों के हिसाब से, अगर बच्चों को शुरुआत से ही कुछ खास सॉफ्ट स्किन सिखाया जाए तो उनका इमोशनल इंटेलिजेंस और मेंटल वेलनेस काफी बेहतर हो सकती है। सॉफ्ट स्किल्स पर्सनैलिटी को शेप देते हैं। ये स्किल्स कॉन्फिडेंस बढ़ाते हैं और रियल लाइफ के चैलेंज से निपटने में भी सहायता करते हैं। इन गुणों के चलते रिश्तों को बनाए रखना, पर्सनल, प्रोफेशनल लाइफ और निर्णय लेने इन सभी मुकाम पर सफल होने में मदद मिलती है।‌ इन सॉफ्ट स्किल्स को सिखाने में माता-पिता की अहम भूमिका होती है और जितनी जल्दी बच्चों को इन्हें सिखाया जाए तो वह उतने ही बेहतर से इन बातों को फॉलो करते हैं और याद भी रख पाते हैं। 6 जरूरी सॉफ्ट स्किल्स, जिन्हें हर बच्चे को एडल्ट होने से पहले डेवलप करना चाहिए।

अगर माता-पिता बच्चों की पढ़ाई, स्कूल और ट्यूशन पर ज्यादा फोकस करते हैं। हालांकि लाइफ स्किल्स जैसे इमोशनल कंट्रोल कम्युनिकेशन और सेल्फ अवेयरनेस का महत्व समझाना किताबी ज्ञान से भी बढ़कर है। कुछ सॉफ्ट स्किल्स को बचपन से ही सिखाया जाए तो बच्चों में आत्मविश्वास को मजबूत करने के साथ ही मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाया जा सकता है।

साफ-सुथरा और आत्मविश्वास के साथ बात करना एक ऐसा आर्ट है, जो बच्चों को हर फील्ड में आगे बढ़ाने में मददगार होता है। छोटे बच्चों को बड़ी ही आसान भाषा में अपनी ज़रूरतें, विचार और भावनाओं को व्यक्त करना सिखाएं, फैमिली डिस्कशन टाइम रखें, जिसमें आप अपने बच्चों को रोजाना 5-10 मिनट बोलने का अवसर दें, जिसमें वह कहानी या कोई भी बात कह सके।

बच्चा अपनी भावनाओं और विचारों को प्रभावित तरीके से किसी के भी सामने व्यक्त कर सके जो बच्चे अच्छे तरीके से बातचीत करते हैं उनके दोस्त जल्दी बनते हैं और उनकी समस्याएं भी कम समय में सुलझ जाती हैं। ऐसे बच्चों के स्ट्रांग रिलेशनशिप बनते हैं। यह सॉफ्ट स्किल्स कॉन्फिडेंस को बढ़ाती है।

बड़ो ही नहीं बच्चों के जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ऐसे में इमोशंस को कंट्रोल कर पाने की कला कई बदलाव ला सकती है। इमोशनल इंटेलिजेंस बच्चों को अपनी भावनाओं को पहचानना और दूसरों को बेहतर तरीके से समझने में सहायता करती है। यह सिंपैथी, धैर्य और सेल्फ कॉन्फिडेंस सिखाती है। इससे अच्छे रिश्ते मजबूत बनते हैं।

जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटना और इनसे सीखना भी एक मूल्यवान कौशल है। किसी समस्या का सामना करने पर अकेला और कमजोर महसूस करने के बजाय, बच्चे को गंभीरता से सोचना और उस परेशानी का समाधान खोजना सीखाएं। यह कौशल सिखाना उतना ही सरल हो सकता है जितना कि बच्चों को निर्णय लेने में शामिल करना, उन्हें अलग-अलग समाधान खोजने के लिए मोटिवेट करें। रिजल्ट के बारे में ना सोचते हुए उसकी कोशिशों की प्रसंशा करें। इससे उनकी क्षमताओं में लचीलापन और कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।

यह एक बेहद जरूरी स्किल है, जो पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों में ही मदद करता है। चाहे वह टीम खेल खेलना हो, ग्रुप प्रोजेक्ट पर काम करना हो, या घर पर मदद करना , हमेशा दूसरों के साथ काम करना सीखना, सहयोग, धैर्य सिखाता है। बोर्ड गेम, ग्रुप वर्क या घरेलू ज़िम्मेदारियों जैसी आसान एक्टिवीटिज बच्चों को टीमवर्क के महत्व को समझने में मदद कर सकती हैं।

प्रतिमा 'गृहलक्ष्मी’ टीम में लेखक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। डिजिटल मीडिया में 10 सालों से अधिक का अनुभव है, जिसने 2013 में काशी विद्यापीठ, वाराणसी से MJMC (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की। बीते वर्षों...