Indian Parental Alienation Awareness Day
Indian Parental Alienation Awareness Day

Overview: बच्चों की भावनात्मक पीड़ा को समझने और समाज में जागरूकता फैलाने की पहल

भारतीय पेरेंटल एलियनशन अवेयरनेस डे हमें याद दिलाता है कि बच्चों की मुस्कान सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। व्यक्तिगत विवाद चाहे कितने भी गहरे क्यों न हों, बच्चों का भविष्य और उनका मानसिक संतुलन उससे कहीं ज्यादा अहम है। अगर हम सचमुच बच्चों को आवाज़ देना चाहते हैं, तो हमें उनकी भावनाओं को प्राथमिकता देनी होगी।

Indian Parental Alienation Awareness Day: हर साल भारत में हज़ारों बच्चे एक ऐसे अदृश्य लेकिन बेहद तकलीफ़देह संकट से जूझते हैं, जिसे पेरेंटल एलियनशन रिलेशनल प्रॉब्लम (PARP) कहा जाता है। इस गंभीर समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भारतीय पेरेंटल एलियनशन अवेयरनेस डे (IPAAD) मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है बच्चों की उस चुप्पी को आवाज़ देना, जो माता-पिता के बीच संघर्ष का सबसे बड़ा शिकार बनते हैं।

क्या है पेरेंटल एलियनशन?

What is Parental Alienation
What is Parental Alienation

पेरेंटल एलियनशन तब होता है जब किसी बच्चे को एक माता या पिता के खिलाफ़ जानबूझकर या अनजाने में भड़काया जाता है। अक्सर ऐसा तब होता है जब माता-पिता के बीच झगड़े या मतभेद लंबे समय तक चलते हैं। बाहर से यह “सिर्फ़ पारिवारिक कलह” लग सकता है, लेकिन बच्चों पर इसके गहरे और आजीवन प्रभाव पड़ते हैं।

ऐसे बच्चे अक्सर चिंता, अवसाद, अपराधबोध, आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं से जूझते हैं और बड़े होने पर उनके लिए भरोसेमंद रिश्ते बनाना मुश्किल हो जाता है।

बच्चों पर असर

जब बच्चे माता-पिता की खींचतान में फंस जाते हैं, तो उनका सुरक्षा और प्यार का एहसास टूटने लगता है। उन्हें यह डर सताता है कि अगर वे एक अभिभावक से जुड़ाव दिखाएँगे तो दूसरा उनसे नाराज़ हो जाएगा। यह स्थिति बच्चों में गहरे भ्रम, अकेलेपन और बेबसी की भावना पैदा करती है। दूसरी ओर, अलग-थलग किए गए माता या पिता को भी अपने बच्चे से पोषणकारी रिश्ता खोने का दर्द झेलना पड़ता है।

इस विषय पर बात करते हुए डॉ. आस्तिक जोशी, चाइल्ड एंड एडोलेसेंट एवं फॉरेंसिक साइकिएट्रिस्ट, वेदा चाइल्ड एंड एडोलेसेंट डेवलपमेंटल-बिहेवियरल क्लिनिक, रोहिणी, नई दिल्ली एवं फोर्टिस हेल्थकेयर, दिल्ली-एनसीआर ने कहा—“पेरेंटल एलियनशन भारत में मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों की सबसे कम पहचानी जाने वाली चुनौतियों में से एक है। बच्चों को यह स्वतंत्रता मिलनी चाहिए कि वे दोनों माता-पिता से बिना डर, अपराधबोध या दबाव के प्रेम कर सकें। इस भारतीय पेरेंटल एलियनशन अवेयरनेस डे पर हमें मिलकर इस पर चुप्पी तोड़नी होगी, शुरुआती संकेत पहचानने होंगे और पेशेवर मदद लेनी होगी। जब हम बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य को केंद्र में रखते हैं, तभी उपचार संभव है।”

समाधान की दिशा में कदम

विशेषज्ञ मानते हैं कि जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप बेहद ज़रूरी है। माता-पिता, शिक्षक और देखभाल करने वालों को बच्चों के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर संवेदनशील रहना चाहिए। शुरुआती काउंसलिंग, मेडिएशन और फैमिली थेरेपी के ज़रिए भरोसा और संवाद को फिर से स्थापित किया जा सकता है, जिससे बच्चों को संतुलन और सुरक्षा की भावना वापस मिल सके।

समाज की ज़िम्मेदारी

IPAAD केवल समस्या की पहचान का दिन नहीं है, बल्कि समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर भी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कानूनी लड़ाइयों और पारिवारिक विवादों के बीच सबसे गहरा घाव बच्चों को लगता है—और अक्सर वे इसे चुपचाप सहते रहते हैं। ज़रूरी है कि समाज इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करे, बच्चों की भावनात्मक ज़रूरतों को प्राथमिकता दे और पेशेवर मदद लेकर परिवारों को फिर से जोड़ने में सहयोग करे।

भारतीय पेरेंटल एलियनशन अवेयरनेस डे हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि बच्चों की हँसी-खुशी से बढ़कर कुछ नहीं। बच्चों को दोनों माता-पिता का प्यार और सहारा मिलना उनका अधिकार है। अब समय आ गया है कि हम उनकी इस चुप्पी को आवाज़ दें और उन्हें स्वस्थ और प्यारभरा बचपन लौटाएँ।

मैं मधु गोयल हूं, मेरठ से हूं और बीते 30 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है और हिंदी पत्रिकाओं व डिजिटल मीडिया में लंबे समय से स्वतंत्र लेखिका (Freelance Writer) के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरा लेखन बच्चों,...