“मेरी सहेली अर्चना,किसी भी समय घर लौटे,किसी के भी साथ घूमे फिरे,उसके पापा उसे कभी कुछ नहीं कहते”,दसवीं पास संगीता ने अपनी माँ से शिकायत की तो वो,सोच में पड़ ग़यी.लेकिन उसके पिता ने जो जवाब दिया वो क़ाबिले तारीफ़ था,”आगे जाकर तुम्हारी ज़िंदगी कैसी होगी और तुम्हारी सहेली की कैसी,तुम देखना फिर मुझे बताना.”
कुछ दिन बाद अख़बार में ख़बर आयी कि अर्चना की इसी सहेली,ने अपने बॉय फ़्रेंड के साथ भागकर एक मंदिर में शादी कर ली,फिर दो दिन बाद उसे छोड़कर, उसके गहने और कैश लेकर ऐसा चंपत हुआ कि आज तक उसका पता ठिकाना किसी को पता नहीं चला.पुलिस अभी भी छानबीन कर रही है. हकीकत है कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने साल के हैं, लेकिन लड़कियां हमेशा ही अपने डैडी की छोटी डॉल बनी रहती हैं। क्योंकि पिता हमेशा लड़कियों के जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं, भले ही वे उनसे सौ मील दूर रहते हों।

अनमोल बंधन
नए अध्ययन ने साबित भी किया है कि यह पहला पुरुष संबंध वह अनमोल बंधन है जो एक बेटी को उसके अपने जीवन में बहुत मायने रखता हैं। एक बेटी के प्रेम भरे जीवन को भी काफी प्रभावित करता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके, आपके पिता से संबंध बेहतर है या बदतर । आपके पिता के साथ संबंध (जैविक, या अन्यथा) जीवन के बाकी हिस्सों में अन्य रिश्तों को देखने के तरीके को भी प्रभावित कर सकते हैं।
प्यारा बंधन
हर घर में बेटियाँ पिता की लाड़ली होती हैं। वैसे भी अक्सर यही कहा जाता है कि बेटे माँ के क़रीब होते हैं और बेटियाँ पिता के क़रीब होती हैं.पापा की परी और घर में सबसे प्यारी बिटिया के साथ बड़ा लगाव और गहरा चाव होता है दोनों के बीच,तभी तो उम्र के हर पड़ाव पर,उनके लिए ख़ास भूमिका बना रहे होते हैं.
सुपर हीरो
कभी बचपन में हर खेल में जीत दिलाने वाले सुपरमैन के रोल में होते हैं तो कभी बिटिया की विदाई के समय फूट फूट कर रोते है.कभी नरम तो कभी गरम अन्दाज़ में बेटियों को अनुशासन और व्यवहारिकता का पाठ पढ़ाने वाले पापा ही अपनी बेटी को कभी मन की करने की छूट देते हैं। तो कभी बन्दिशों से भरी हिदायतें भी लेकिन रूखी सी हँसी और सख़्ती ओढ़े व्यवहार के पीछे पिता के मन में गहरा प्रेम और चिंता ही छिपी होती है.
एक टीचर
वे दुनियावी बातों और हालातों को जानते -समझते हैं,इसीलिए सम्भलकर जीने और आगे बढ़ने की सीख उनकी हर बात में शामिल होती है। हालाँकि अब,पिता ख़ुद उस कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आ रहे हैं,जिसमें बेटियों को एक तयशुदा परवरिश देने की हिमायत की जाती थी फिर भी ,बिटिया की सुरक्षाओं को लेकर उनकी दृढ़ता साफ़ दिखाई दे जाती है.

व्यवहारिक पाठ पढ़ाने वाले
कभी नरम तो कभी गरम अन्दाज़ में बच्चों को अनुसाशन और व्यवहारिकता का पाठ पढ़ाने वाले पापा ही नई पीढ़ी के सपनों को पंख फैलाने का समान देते हैं,इसी खुले आकाश में आज बेटियाँ बेहिचक उड़ान भर रही हैं.फ़िल्म पीकू में बाप बेटी बने अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण या दंगल में ,हानिकारक बापू आमिर खान और उनकी दो बेटियों को याद करें.तो पिता के साथ हो रही दिक़्क़तें सब के लिए कहानी बन जाएगी.लेकिन विज्ञान कुछ और कहता है .
रिश्तों का प्रभाव
पिता के साथ आपके रिश्ते चाहे अच्छे हों या बुरे आपके प्रेम संबंध को ज़रूर प्रभावित करेंगे,जैसे आपका अपने जीवन साथी का चुनाव सही है या ग़लत?आपका अपने जीवनसाथी के साथ वैवाहिक जीवन सफल और सुखद होगा या नहीं?यहाँ तक कि ये संबंध पंद्रह वर्ष बाद भी आपके सफल प्रेम जीवन को प्रभावित कर सकता है.मसलन अच्छे संबंध,ज़रूरत पड़ने पर (यदि आपका ,अपने प्रेमी या विवाह के बाद आपके पति से मनमुटाव या झगड़ा हो जाय)हमेशा आपका साथ देंगे.दूसरे,जब पार्ट्नर के साथ आपके तालमेल बिठाने की बात आएगी तो,अच्छे सम्बन्ध इस रिश्ते पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं
भावनात्मक और सहयोगात्मक रिश्ता
लड़कियां अपने पिता को जैसी भूमिका में देखती हैं उनकी वैसी ही राय अन्य पुरुषों के लिए कायम हो जाते हैं यदि उन्होंने अपने पिता को हमेशा एक अनुशासन प्रिय , सहायक, भावनात्मक रूप से उपलब्ध देखा होगा तो अपने स्वस्थ रिश्ते के लिए आवश्यक कौशल जल्दी सीख लेती है और परिणामस्वरूप उनके रोमांटिक रिश्तों को लाभ मिलता है। दूसरी ओर, यदि आप अपने पिता को झगड़ालू लापरवाह पिता के रूप में यदि देखा है तो आप आपके जीवन में आए अन्य पुरुष के लिए भी ऐसे ही सोच रखेंगी और परिणाम आपसी संबंधों में अक्सर थकावट या नाराजगी महसूस होगी। अंत में यही कहूंगी जो महिलाएं अपने पिता के साथ सार्थक, आरामदायक, संवादी संबंधों के साथ बढ़ती हैं, वे बेहतर विकल्प चुनती हैं।
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