बच्चों में टाइप 2 मधुमेह का एक मात्र सबसे बड़ा कारण अतिरिक्त वजन है। एक बार जब किसी बच्चे का वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो उसमे मधुमेह होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। टाइप 2 मधुमेह में, बच्चे के शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का जवाब नहीं देती हैं, और ग्लूकोज उसके रक्तप्रवाह में बनता है। इसे इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है। आखिरकार, उसके शरीर में शर्करा के स्तर को संभालने के लिए बहुत अधिक हो जाता है। यह भविष्य में अन्य स्थितियों को जन्म दे सकता है, जैसे हृदय रोग, अंधापन और गुर्दे की विफलता।
 
कई साल पहले , टाइप 2 मधुमेह वाले बच्चों के बारे में सुनना दुर्लभ बात थी। डॉक्टर्स का ऐसा मानना था कि बच्चों को केवल टाइप 1 मधुमेह होता है  इसे  किशोर मधुमेह भी कहा जाता था। लेकिन अब टाइप 2 मधुमेह ने भी बच्चों को गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। 
 

 

बच्चों को आम तौर पर थकान, सिर में दर्द, ज्यादा प्यास लगने, ज्यादा भूख लगने, व्यवहार में बदलाव, पेट में दर्द, बेवजह वजन कम होने, खासतौर पर रात के समय बार-बार पेशाब आने, यौन अंगों के आस-पास खुजली होने पर उनमें मधुमेह के लक्षणों को पहचाना जा सकता है। 
 
बच्चों में टाईप 1 डायबिटीज के लक्षण कुछ ही हफ़्तों में तेजी से बढ़ जाते हैं जबकि  टाईप 2 मधुमेह के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कई मामलों में महीनों या सालों तक इनका कोई इलाज नहीं हो पाता। डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को इंसुलिन थेरेपी दी जाती है। अक्सर निदान के पहले साल में बच्चे को इंसुलिन की कम खुराक दी जाती है।  आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों को रात में इंजेक्शन नहीं दिए जाते, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ रात को इंसुलिन शुरू कर दिया  जाता है।
मोटे बच्चों में टाईप 2 मधुमेह की संभावना अधिक होती है। गतिहीन जीवनशैली के कारण शरीर इंसुलिन और रक्तचाप पर नियंत्रण  नहीं रख पाता। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए चीनी से युक्त खाद्य एवं पेय पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें। ज्यादा चीनी से बने खाद्य पदार्थों के सेवन से  वजन बढ़ता है, जो शरीर में इंसुलिन स्तर के लिए खतरनाक है। विटामिन और फाईबर से युक्त संतुलित, पोषक आहार के सेवन से टाईप 2 डायबिटीज की संभावना को घटाया जा सकता है।