बचपन का दौर उत्सुकता और आसपास की चीजों के बारे में जानने का होता है। इसलिए बाल मस्तिष्क अक्सर अनगिनत अप्रत्याशित सवाल पूछते रहते हैं, जिन्हें सुनकर हम भौचक्के हो जाते हैं। अक्सर अभिभावकों को समझ नहीं आता कि वे ऐसे सवालों के जवाब कैसे दें और वे उस सवाल का सीधा जवाब देने से कतराते हैं या फिर बातचीत का विषय ही बदल देते हैं। निम्न बातें पढ़कर आप यह समझ जाएंगे कि क्यों बच्चों के सवालों का उपयुक्त जवाब देना सही होता है-

विश्वास बढ़ाना
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके लिए बहुत जरूरी है कि उसमें विश्वास और सुरक्षा की भावना विकसित की जाए। अभिभावकों के तौर पर आपके लिए जरूरी है कि आप बच्चों की उत्सुकता को नजरअंदाज न करें और न ही उनके सवालों को टालें। बेहतर यह होगा कि आप उनके सवालों का जितनी सटीकता के साथ मुमकिन हो जवाब दें, जो उनकी उम्र और समझ के स्तर को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए।

परस्पर सम्मान
आपका बच्चा आपके प्रति आदर का भाव रखे इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप भी उसके साथ सम्मान से पेश आएं। अभिभावक के तौर पर आपके लिए आवश्यक हो जाता है कि आप उनके कभी न खत्म होने वाले सवालों का सम्मान और तारीफ करें। वहीं उनकी उम्र और परिस्थिति के अनुसार उनकी उत्सुकता को संतुष्ट करने की भी पूरी कोशिश करें।

खुलकर करें बात
हम अपने बच्चों से उम्मीद रखते हैं कि वे हमसे खुलकर और ईमानदारी से बात करें। इसकी शुरूआत एक अभिभावक के तौर पर हमसे ही होनी चाहिए। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे और किशोर आने वाले समय में हमसे अपनी सभी बातें खुलकर करें तो जरूरी है कि शुरूआत से हम भी उनके साथ ऐसा व्यवहार करें।

भ्रम घटाना
अगर हम शुरूआत से ही अपने बच्चों के साथ खुला रवैया अपनाते हैं तो हमें उनसे भी ऐसा करने को कहने का अधिकार मिलता है। अगर अभिभावक ही अपने बच्चों से सच्चाई छिपाते हैं और उनके सवालों के सामने नहीं झुकते हैं तो इसकी आशंका अधिक बढ़ जाती है कि आने वाले समय में बच्चे भी ऐसा करना शुरू कर देंगे।

स्वायत्तता की भावना
बच्चों के सवालों का सम्मान करने और जवाब देने से न सिर्फ बच्चों को संतुष्ट करने और जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है बल्कि इससे उनके अंदर स्वायत्तता की भावना भी विकसित होती है। जब उन्हें उनके सवालों के जवाब मिलने लगते हैं तो उनके भीतर अपने आसपास की दुनिया के बारे में और जानने की उत्सुकता उत्पन्न होती है।

उदाहरण पेश करें
बाल मस्तिष्क सबसे अधिक अपने आसपास के माहौल को देखकर सीखते हैं और इसलिए दूसरों को देखकर सीखना ही उनके लिए जानकारी जुटाने का सबसे अहम स्रोत होता है। अभिभावकों के तौर पर हमें अपने बच्चों के सामने ऐसे उदाहरण पेश करने चाहिए, जिनका अनुपालन करने की हम उनसे उम्मीद करते हैं, जिससे वे ऐसी खूबियों को आत्मसात कर सकें।

जानकारी का विश्वसनीय स्रोत
चूंकि बाल मस्तिष्क की अपनी सोच और उत्सुकताएं होती हैं इसलिए सबसे बेहतर यही रहता है कि वे इनके समाधान के लिए जानकारी के स्रोत के तौर पर शुरूआत से आप पर ही निर्भर हों। उनका अपने दोस्तों, मीडिया इत्यादि जैसे अविश्वसनीय स्रोतों पर जानकारी के लिए निर्भर रहना ठीक नहीं होगा।

समर्थन की उपलब्धता
जो अभिभावक अपने बच्चों के सवालों का स्पष्ट और सीधा जवाब देते हैं उन्हें समय बीतने के साथ उनके बच्चे अपना विश्वसनीय सपोर्ट सिस्टम मानते हैं।